कॉर्बेट पाखरो सफारी प्रकरण : हरक सिंह का क्लीन चिट मिलने का दावा

सफारी मामले में अधिकारियों पर हो चुकी है कार्रवाई

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो सफारी प्रकरण में पूर्व कैबिनेट मंत्री और तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत ने खुद को क्लीन चिट मिलने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में उनका नाम शामिल नहीं है, जिससे स्पष्ट होता है कि एजेंसी ने उन्हें इस मामले में दोषमुक्त माना है।

हरक सिंह रावत ने कहा कि पाखरो टाइगर सफारी उनका सपना था और आज भी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रोजेक्ट पर रोक नहीं लगाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने निजी स्वार्थ के चलते उन्हें षड्यंत्र के तहत फंसाने की कोशिश की थी। हरक सिंह ने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो वह इस प्रोजेक्ट को जरूर पूरा करेंगे ताकि गढ़वाल का विकास हो सके।

बता दें कि यह प्रकरण 2019 का है, जब त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में पाखरो रेंज में टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव आया था। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू किया गया। उस समय दावा किया कि केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन बाद में जांच में सामने आया कि 6,903 पेड़ काट दिए गए। इस खुलासे के बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। पाखरो प्रकरण में सीबीआई और ईडी ने लंबी जांच की। कई अधिकारियों को चार्जशीट दी गई और कुछ के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति भी मांगी गई है। लेकिन हरक सिंह रावत का कहना है कि आरोप पत्र में उनका नाम नहीं है, यही इस बात का सबूत है कि उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है।

प्रकरण का सार

  • वर्ष 2019 में पाखरो रेंज में टाइगर सफारी का प्रस्ताव।
  • 106 हेक्टेयर भूमि पर सफारी के लिए केंद्र से मंजूरी।
  • सरकार का दावा : केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे।
  • जांच में खुलासा : 6,903 पेड़ काटे गए।

जांच और कार्रवाई

  • वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने मामले को उठाया।
  • एनटीसीए ने जांच कमेटी गठित की और रिपोर्ट सौंपी।
  • एनटीसीए की रिपोर्ट पर उत्तराखंड हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया।
  • फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने सैटेलाइट इमेज और निरीक्षण से पेड़ कटान की पुष्टि की।
  • सीबीआई और ईडी ने जांच की, कई अधिकारियों पर आरोप पत्र।

हरक सिंह रावत का पक्ष

  • सीबीआई के आरोप पत्र में उनका नाम नहीं।
  • सफारी प्रोजेक्ट उनका सपना था, अब भी है।
  • षड्यंत्र के तहत फंसाने का आरोप।
  • कांग्रेस सरकार आने पर प्रोजेक्ट पूरा करने का संकल्प।

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