हाईकोर्ट ने पूछा, प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था क्यों चरमरा गई ?

देवभूमि” गन कल्चर की ओर बढ़ रही है-हाईकोर्ट

दो सप्ताह में गृह सचिव व डीजीपी से मांग प्लान

अविकल उत्तराखंड

नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत चुनाव के दौरान सदस्यों के अपहरण के मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाया।
अदालत ने गृह सचिव शैलेश बगौली और डीजीपी दीपम सेठ से पूछा कि प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था क्यों चरमरा गई है।

कोर्ट ने कहा कि चुनाव के दौरान नैनीताल में अपहरण, बेतालघाट में गोलीकांड, उधमसिंह नगर में हत्या और काशीपुर में छात्र द्वारा शिक्षक को तमंचे से गोली मारना, यह सब समाज के लिए बेहद चिंताजनक है।
अदालत ने टिप्पणी की कि “देवभूमि” गन कल्चर की ओर बढ़ रही है और इससे बाहर आना जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश ने 2019 में जारी किए गए सुरक्षा संबंधी निर्देशों पर अमल न होने पर नाराज़गी जताई।
कोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी को गन कल्चर, निर्वाचित सदस्यों की सुरक्षा और अवैध खनन पर रोक के लिए दो सप्ताह में विस्तृत योजना व एसओपी पेश करने के निर्देश दिए।

“तमंचे की फैक्ट्रियां बंद करो, सप्लायर पकड़ो” – कोर्ट

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने काशीपुर की घटना पर गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आरोपी का पिता अपराधी है तो उसके घर की तलाशी क्यों नहीं ली गई। कोर्ट ने कहा कि अवैध हथियारों के सप्लायर और फैक्ट्रियों को जड़ से खत्म करना होगा, तभी समस्या रुकेगी।

डीजीपी दीपम सेठ ने बताया कि काशीपुर मामले में पिता-पुत्र दोनों गिरफ्तार कर लिए गए हैं और जांच चल रही है कि छात्र को तमंचा कैसे मिला। उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि प्रदेश में 4415 शस्त्र लाइसेंस जारी हैं। पिछले 3 वर्षों में अवैध हथियारों के 1550 केस दर्ज किए गए, 1700 लोगों से 3000 शस्त्र जब्त हुए और कई लाइसेंस रद्द किए गए।

सोशल मीडिया पर तमंचे के साथ वीडियो डालने के 73 मामलों में 12 गिरफ्तारियां भी हुई हैं।

अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई 12 सितंबर को तय की है, जबकि नैनीताल जिला पंचायत की रिपोलिंग पर अगली सुनवाई आगामी मंगलवार को होगी।

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