भाकपा (माले) का आरोप— आपदा प्रबंधन में तालमेल की कमी, प्रभावितों की आवाज अनसुनी
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। धराली आपदा से लौटने के बाद भाकपा (माले) ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि बीस दिन बीतने के बाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग सुचारू नहीं हो पाया है। हताहतों की संख्या और नुकसान का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया, जबकि लापता अथवा मलबे में दबे लोगों की खोज प्राथमिकता में नहीं है।
भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी व अतुल सती ने आरोप लगाया कि मुआवजे और पुनर्वास पर सरकार की नीति अभी तक स्पष्ट नहीं है। आईएएस अफसरों की बनाई कमेटी की भूमिका पर भी कोई पारदर्शिता नहीं है। स्थानीय लोग अपने भविष्य को लेकर असंतोष और आशंका से घिरे हुए हैं।
भाकपा (माले) नेताओं ने कहा कि केवल पंजीकृत 9 होटलों को मुआवजा देने की बात निंदनीय है। आपदा में नुकसान उठाने वाले सभी लोगों को समुचित मुआवजा मिलना चाहिए। बिहार और नेपाल से आए मजदूरों के आश्रितों को भी मुआवजा व पुनर्वास में शामिल करने की मांग उठाई गई।
पार्टी ने चेताया कि ऑल वेदर रोड के नाम पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और सुक्खी टॉप बायपास योजना भविष्य में और विनाशकारी साबित होंगी। वैज्ञानिकों की चेतावनियों की अनदेखी करने वालों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डॉ. नवीन जुयाल के शोध पत्र व अन्य विशेषज्ञों की सलाह को प्राथमिकता देने की मांग की गई।
नेताओं ने कहा कि वाडिया इंस्टीट्यूट में बंद किए गए ग्लेशियलॉजी विभाग को पुनः शुरू किया जाए तथा हिमालयी विकास योजनाओं को जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी के दृष्टिकोण से तैयार किया जाए।

भाकपा (माले) ने थराली आपदा के हताहतों के प्रति शोक प्रकट करते हुए मांग की कि वहां प्रभावितों को राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया त्वरित गति से हो तथा सभी प्रकार के नुकसान की भरपाई की जाए।

