पढ़ें, उत्तराखण्ड की प्राकृतिक आपदा के साथ आई राजनीति की ‘आपदा’
खनन राजस्व हानि का आरोप बेबुनियाद: खनन विभाग
सालाना राजस्व 300-350 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 1040.57 करोड़
अविकल थपलियाल
देहरादून। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के गम्भीर मुद्दे के बीच खनन को लेकर सियासत गरमा गई है। उत्तराखण्ड स्वाभिमान मोर्चा द्वारा स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांटों के नवीनीकरण पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने स्पष्ट किया है कि सरकार की नीतियां पूरी तरह पारदर्शी हैं और किसी प्रकार की राजस्व हानि नहीं हुई है।
विभाग ने बताया कि स्टोन क्रेशर/स्क्रीनिंग प्लांट अनुज्ञा नीति 2019 और बाद में कोविड-19 काल में Ease of Doing Business के तहत लागू की गई स्व-प्रमाणन प्रणाली के आधार पर केवल पहले से स्वीकृत और संचालित इकाइयों का ही नवीनीकरण किया गया। इस प्रक्रिया से राज्य को करीब 40 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। विभाग ने यह भी दोहराया कि इस अवधि में कोई नया स्टोन क्रेशर या खनन पट्टा स्वीकृत नहीं किया गया।
गौरतलब है कि उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस कर 2021 में स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांटों के नवीनीकरण नीति और सील उठाये थे। (देखें नीचे न्यूज लिंक)
इधऱ, शनिवार को खनन विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उत्तराखण्ड उपखनिज (परिहार) नियमावली 2023 लागू कर ई-निविदा प्रणाली शुरू की गई, जिसके तहत 238 में से 170 लॉट सफलतापूर्वक आवंटित हुए हैं। इससे करीब 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। खनन कार्य को पारदर्शी बनाने और अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए Mining Digital Transformation & Surveillance System (MDTSS) के तहत चार जिलों में 45 माइन चेक गेट लगाए जा रहे हैं।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, पूर्व में जहां सालाना राजस्व 300-350 करोड़ रुपये के बीच रहता था, वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1040.57 करोड़ रुपये की वसूली हुई। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में अप्रैल से अगस्त तक ही 402.76 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हो चुका है और पूरे साल में यह आंकड़ा 1200 करोड़ रुपये तक पहुँचने की संभावना है।
विभाग का कहना है कि यह स्थिति स्पष्ट करती है कि सरकार की नीतियों से राजस्व में लगातार वृद्धि हुई है और स्वाभिमान मोर्चा द्वारा लगाया गया राजस्व हानि का आरोप पूरी तरह निराधार और असत्य है।
प्रदेश में राजनीति की ‘आपदा’

गौरतलब है कि प्रदेश में आई गम्भीर प्राकृतिक आपदा के बीच प्रदेश में राजनीतिक आपदा भी जोरों पर दिख रही है। धराली-हर्षिल-थराली समेत अन्य इलाकों में रोज रोज आ रही आपदा के बीच राजनीतिक बयानबाजी ने भी माहौल गरमाया हुआ है। दून से दिल्ली दौड़ और मुलाकातों की फ़ोटो से सोशल मीडिया अटा हुआ है।
खनन पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र-मुन्ना चौहान-अरविंद पांडे और अब बॉबी पंवार ने सवाल उठा रखे हैं। उधर, कांग्रेसी नेता हरक सिंह ने त्रिवेंद्र सिंह रावत, अमित शाह, स्पीकर ऋतु खंडूड़ी समेत कई नेताओं को और अपने अंदाज में निशाने पर रलह माहौल को गुदगुदाया हुआ है।
इन हंसी ठिठोली और दलीय राजनीति के चक्रव्यूह के बीच प्राकृतिक आपदा में अभी तक 75 मौतें हो चुकी है। 2500 करोड़ के नुकसान का आंकलन किया गया है।
सौ से अधिक लोग घायल हुए हैं। जबकि लगभग 100 व्यक्ति लापता है। यही नहीं, 1400 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है। और 225 आवासीय भवन ध्वस्त हो चुके हैं। कई सड़क मार्ग ध्वस्त हैं।
पहाड़ की जनता प्राकृतिक आपदा के साथ राजनीति की नई आपदा को भी देख और समझ रही हैं। प्राकृतिक आपदा में सब कुछ गंवा चुके पीड़ितों के आंसू पोंछने कौन नेता जा रहा है और कौन सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। यह भी गंगोत्री के गंगा जल की तरह साफ दिख रहा है।

देखें खनन विभाग का जवाब

उत्तराखण्ड स्वाभिमान मोर्चा के द्वारा स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांटों के नवीनीकरण के सम्बन्ध में जारी प्रेस नोट का खण्डन करते हुए स्पष्ट किया जाता है कि राज्य सरकार के द्वारा उत्तराखण्ड स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, मोबाईल स्टोन क्रेशर, मोबाईल स्क्रीनिंग प्लांट, पल्वराईजर प्लांट, हाट मिक्स प्लांट, रेडिमिक्स प्लांट अनुज्ञा नीति, 2019 के अध्याय-1 के बिन्दु-8(1) के द्वारा 10 वर्ष की अवधि हेतु स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट स्वीकृक्ति का प्रावधान किया गया तथा अध्याय-3 के बिन्दु-1(2) के द्वारा 10 वर्ष की अवधि हेतु नवीनीकरण का प्रावधान किया गया तथा उत्तराखण्ड शासन, औद्योगिक विकास (खनन) अनुभाग-1 के कार्यालय ज्ञाप संख्या 1480/VII-A-1/2021/68 रिट/टीसी-1, दिनांक 8 सितम्बर 2021 के द्वारा राज्य सरकार द्वारा राजस्व एवं विकास हित, कोविड-19 (Covid-19) के महामारी को दृष्टिगत रखते हुए उत्तराखण्ड स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, मोबाईल स्टोन क्रेशर, मोबाईल स्क्रीनिंग प्लांट, पल्वराईजर प्लांट, हाट मिक्स प्लांट, रेडिमिक्स प्लांट अनुज्ञा नीति, 2020 को सरलीकृत करते हुए उक्त नीति के अध्याय ।। के बिन्दु संख्या 1 के उप बिन्दु 2 में संशोधन कर प्रावधानित किया गया कि “स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांट का नवीनीकरण जिलाधिकारी अथवा उनके द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी / मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की संयुक्त निरीक्षण आख्या के आधार पर जिलाधिकारी एवं निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई की संस्तुति पर शासन द्वारा 10 वर्ष की अवधि हेतु की जायेगी। परन्तु वर्तमान में कोविड-19 (Covid-19) के महामारी के प्रभाव एवं संक्रमण की सम्भावनाओं एवं Ease of Doing Business के दृष्टिगत पूर्व से स्वीकृत तथा संचालित स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांट एवं प्लांट परिसर में उपखनिज भण्डारण की अनुज्ञा का नवीनीकरण (मा० न्यायालय, मा० राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश द्वारा बन्द या सीज की गयी इकाईयों को छोड़कर) आवेदक इकाई द्वारा नवीनीकरण शुल्क जमा किये जाने एवं आवेदन पत्र के साथ नीति मे निर्धारित मानकों/प्रावधानों को पूर्ण किये जाने से सम्बन्धित शपथ पत्र के द्वारा स्वप्रमाणपन (Self Certification) प्रस्तुत किये जाने पर निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई द्वारा सम्बन्धित अभिलेखों का परीक्षण / जाँच करने के उपरान्त आगामी 10 वर्ष की अवधि हेतु नवीनीकरण किया जायेगा, प्रतिबन्ध यह कि यह परन्तुक उक्त नीति प्रख्यापित होने की तिथि से 01 माह तक ही प्रवृत्त एवं प्रभावी होगा। उक्त प्रावधानों के अनुपालन में राज्य राज्य के अन्तर्गत कोविड 19 की महामारी के प्रभाव एवं सक्रमण की संभावनाओं एवं Ease of Doing Business के दृष्टिगत पूर्व से स्वीकृत / संचालित स्टोन केशर/स्कीनिगं प्लांट एवं प्लांट परिसर में उपखनिज की भण्डारण की अनुज्ञा का नवीनीकरण आवेदक इकाई द्वारा नवीनीकरण शुल्क जमा कराये जाने एवं आवेदन पत्र के साथ नीति में निर्धारित मानकों/प्रावधानों को पूर्ण किये जाने से सम्बन्धित शपथ पत्र के माध्यम से स्वप्रमाणन (Self Certification) प्रस्तुत किये जाने पर निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई द्वारा सम्बन्धित अभिलेखों का परीक्षण/जाँच करने के उपरान्त आगामी 10 वर्ष की अवधि हेतु सर्शत कतिपय शर्तों के साथ यथा “1. स्टोन केशर नीति 2020 के अध्याय। बिन्दु-7 (16) के अनुसार प्लांट संचालन से पूर्व पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से Consent to Operate लिया जाना अपरिहार्य होगा, 2 नीति के अध्याय । के बिन्दु संख्या 1(1) के अनुसार अवशेष शुल्क नवीनीकरण आदेश के उपरान्त तथा ई-रखन्ना पोर्टल में अपलोड/अपडेट किये जाने से पूर्व निर्धारित लेखा शीर्षक में जमा किया जाना होगा, ३-यदि प्लांट स्वामी के द्वारा उपलब्ध कराये गये अभिलेख गलत पाये जाते हैं तो इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्लांट स्वामी की होगी तथा गलत अभिलेख पाये जाने की पुष्टि होने की दशा में प्लांट के नवीनीकरण की अनुज्ञा निरस्त किये जाने की कार्यवाही सम्पादित की जायेगी नवीनीकरण किया गया। तत्समय नवीन स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांटों की स्थापना की अनुमति नहीं दी गयी तथा केवल पूर्व से स्थापित / संचालित स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांटों का ही नवीनीकरण किया गया, तथा नवीनीकरण के सापेक्ष आवेदन शुल्क के रूप में लगभग रू0 40.00 करोड का राजस्व प्राप्त हुआ।
यह भी अवगत कराना है कि स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांटों की स्थापना की अनुमति प्रचलित स्टोन क्रेशर नीति में निर्धारित मानकों को पूर्ण करने तथा राजस्व विभाग, वन विभाग, खनन विभाग एवं उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी की गठित समिति की संस्तुति पर शासन द्वारा सशर्त प्रदान की जाती है। विभाग द्वारा उक्त अवधि में केवल पूर्व से शासन द्वारा स्वीकृत स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांटों (जिनमें पूर्व से ही गठित समिति की अनापत्ति प्राप्त थी) का ही नवीनीकरण किया गया है तथा उक्त अवधि में कोई नया खनन पट्टा स्वीकृत नहीं किया गया तथा न ही नये स्टोन क्रेशर / स्क्रीनिंग प्लांट की स्वीकृति प्रदान की गयी।
इसी क्रम में राज्य सरकार के द्वारा उत्तराखण्ड उपखनिज (परिहार) नियमावली, 2001 (समय-समय पर यथा संशोधित) को अतिक्रमित करते हुए राजस्व एवं विकास हित में पूर्व में किये गये प्राविधानों को सरलीकृत करते हुए उत्तराखण्ड उपखनिज (परिहार) नियमावली, 2023 प्रख्यापित की गयी, जिसके फलस्वरूप-
प्रथम बार राज्य क्षेत्रान्तर्गत ई-निविदा के माध्यम से कुल 238 उपखनिज लॉटों में निविदा कार्यवाही के उपरान्त 170 उपखनिज लॉटों, सिलिका सैण्ड के 03 लॉट, मैग्नेसाईट के 01 लॉट में सफल निविदाकार का चयन किया गया, जिससे लगभग 200.00 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति होगी।
राज्य के अन्तर्गत क्रिटिकल खनिज तथा बेंसमैटल खनिज के अन्वेषण का कार्य गतिमान है।
विभागीय ई-रखन्ना पोर्टल को अपग्रेड किया गया, जिससे ई-रखन्ना प्रपत्रों का दुरुप्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकें।
खनन कार्य को और अधिक पारदर्शी, सुदृढ बनाये जाने तथा अवैध खनन / अवैध परिवहन की प्रभावी रोकथाम एवं राजस्व वृद्धि हेतु आधुनिक Mining digital Transformation and Surveillance System (MDTSS) के अन्तर्गत 04 मैदानी जनपदों में कुल 45 माईन चैक गेट्स, जो कि ऑटोमेटिक सर्विलांस सिस्टम से लैस होंगे, की स्थापना की जा रही है जिसमें Night Vision ANPR Cameras/Varifocal Cameras, RFID Reader, GPS Tracking आदि की व्यवस्था की जा रही है।
पूर्व में राज्य में ई-रवन्ना प्रपत्र एम०एम०-11, प्रपत्र “जे”, प्रपत्र “एन” एवं प्रपत्र “के” को साधारण पेपर पर प्रिन्ट किये जाने व्यवस्था के स्थान पर विशेष प्रकार के सिक्योरिटी फीचर युक्त कागज मे प्रिंट कर प्रयुक्त किये जाने की व्यवस्था पूरे राज्य में 06 अगस्त से लागू कर दी गयी है जिससे ई-रखन्ना प्रपत्रों के डुप्लीकेसी / दुरुप्रयोग पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।
उक्त के अतिरिक्त जनसाधारण की सुविधा के लिए विभागीय पोर्टल पर Complaint Redressal Portal तैयार किया गया, जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तथा तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला अवैध खनन निरोधक दल (District Anti Illegal Mining Force) का गठन किया गया है एवं निदेशालय स्तर पर प्रवर्तन दल (Enforcement Cell) का गठन किया गया है, जिनके द्वारा समस-समय पर कार्यवाही की जाती है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व के वर्षों में जहां खनन विभाग को राजस्व के रूप में 300 से 350 करोड का राजस्व प्राप्त हो रहा था, वहीं वर्तमान में वर्ष 2024-25 में 1040.57 करोड एवं वित्तीय वर्ष 2025-26 में माह अप्रैल से अतिथि तक कुल रू0 402.76 करोड का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक लगभग 1200 करोड़ प्राप्त होने की संभावना है, से स्पष्ट है कि सरकार की स्पष्ट एवं पारदर्शी नीति लागू होने से राजस्व में उत्तरोत्तर वृद्धि हुयी है तथा किसी प्रकार के राजस्व की हानि नहीं हुयी है, इस प्रकार स्वाभिमान मोर्चा के द्वारा लगाये गये राजस्व हानि का आरोप पूर्णतः मिथ्या एवं निराधार है।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, जनपद देहरादून।
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