स्थानीय लोगों ने वकीलों के आंदोलन की खिलाफत कर डीएम को लिखा पत्र
मंदिर समिति के गैर कानूनी कार्यों पर उपजिलाधिकारी की कार्रवाई का समर्थन
एसडीएम ने मंदिर समिति की विवादित संपत्ति, कार्यालय और दानपात्र को सीज किया
अधिवक्ताओं द्वारा किए जा रहे धरना-प्रदर्शन की निंदा
अविकल उत्तराखण्ड
कोटद्वार। अधिवक्ताओं के आंदोलन और देवी मन्दिर समिति से जुड़े कुछ मसलों को एक दूसरे से जोड़कर देखा जा रहा है। आंदोलन पर उंगली उठाते हुए स्थानीय निवासियों ने डीएम को पत्र लिखा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कुछ वकीलों के स्वार्थ मन्दिर से जुड़े हैं। यह भनक लगते ही एसडीएम कोटद्वार ने मंदिर समिति की विवादित संपत्ति, कार्यालय और दानपात्र को सीज करने के आदेश पारित किए।
इस कार्रवाई के बाद अधिबक्ताओं के एक गुट ने एसडीएम कोटद्वार के खिलाफ मोर्चा खोल फ़िया।
स्थानीय निवासियों ने जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल को भेजे ज्ञापन में बताया कि मंदिर समिति की कार्यकारिणी द्वारा लगातार गैर कानूनी कार्य किए जा रहे हैं। इस संबंध में जनता की शिकायतों पर थाना कोटद्वार ने रिपोर्ट तैयार कर उपजिलाधिकारी कोटद्वार को सौंपी थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए उपजिलाधिकारी ने धारा-164 बीएनएसएस के अंतर्गत मंदिर समिति की विवादित संपत्ति, कार्यालय और दानपात्र को सीज करने के आदेश पारित किए। पूजा-अर्चना और जनता दर्शन की प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई गई।
उक्त कार्रवाई के बाद समिति से जुड़े कुछ सदस्य और अधिवक्ता विरोध में उतर आए और उपजिलाधिकारी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। जबकि यह पूरा मामला न्यायिक प्रक्रिया के तहत और मामले की गंभीरता को देखते हुए किया गया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोटद्वार में भी यह निगरानी प्रस्तुत की जा चुकी है और न्यायालय द्वारा इसका निर्णय दिया जा चुका है।
कोटद्वार निवासियों ने स्पष्ट किया है कि मंदिर समिति से जुड़े कुछ अधिवक्ता अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। उपजिलाधिकारी कोटद्वार अब तक जनता से जुड़े मामलों में निष्पक्ष भाव से कार्य करते आए हैं और वर्तमान में भी पूरी निष्ठा से जनहित में निर्णय ले रहे हैं। ऐसे में उनके विरुद्ध किया जा रहा धरना-प्रदर्शन पूरी तरह अनुचित और गैरकानूनी है।
ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री के अलावा बार काउंसिल उत्तराखण्ड,नैनीताल, लैंसडौन व श्रीनगर गढ़वाल को भी भेजी गयी है।
बहरहाल, देवी मंदिर विवाद व अधिवक्ताओं के आंदोलन को लेकर कोटद्वार का माहौल सरगर्म है। आंदोलन में सभी अधिवक्ताओं की भागीदारी में भी संदेह बना हुआ है।

श्रीमान जिलाधिकारी महोदया,
पौड़ी गढ़वाल।
महोदय,
हम समस्त कोटद्वार निवासी आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि मन्दिर समिति की कार्यकारिणी के द्वारा मन्दिर में कई गैर कानूनी कार्य किए जा रहे हैं, जिनकी शिकायत स्थानीय जनता द्वारा शासन-प्रशासन से भी की गयी थी। वर्तमान में मन्दिर समिति के गैर कानूनी कार्य के चलते थाना-कोटद्वार द्वारा अपनी रिपोर्ट श्रीमान उपजिलाधिकारी महोदय कोटद्वार को दी गयी थी, जिस पर उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्यवाही करते हुए धारा-164 बी०एन०एस०एस० के अन्तर्गत मन्दिर समिति की विवादित सम्पत्ति, (मन्दिर में प्रतिदिन की पूजा अर्चना एवं जनता दर्शन के कार्यक्रम को बाधित न कर) कार्यालय व वहां पर रखे दानपात्र सीज करने के आदेश कर पारित करते हुए सीज कर दिए। जिसमें कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों व कुछ अधिवक्ताओं द्वारा विरोद्ध प्रकट करते हुए श्रीमान उपजिलाधिकारी महोदय के विरूद्ध धरना-प्रदर्शन करना प्रारम्भ कर दिया।
उक्त प्रकरण में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटद्वार के न्यायालय में निगरानी प्रस्तुत की जो कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीध न्यायालय द्वारा निर्णित कर दी गयी है। परन्तु कोटद्वार बार के कुछ अधिवक्ताओं जिनका मन्दिर समिति में निजी स्वार्थ निहित है, के द्वारा श्रीमान उपजिलाधिकारी कोटद्वार के विरूद्ध मन्दिर समिति को सीज किए जाने की विधिक कार्यवाही को मुद्दा बनाते हुए उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके विरूद्ध धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है, उनके द्वारा जो भी कार्यवाही की गयी थी वह पूरी न्यायिक प्रक्रिया के अधीन व मामले की गंभीरता को देखते हुए की गयी है, जिसमें कुछ गैर कानूनी कार्यवाही नहीं है।
मन्दिर समिति से जुड़े हुए कुछ अधिवक्ताओं द्वारा अपने निजी स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसका हम समस्त कोटद्वार निवासी घोर निन्दा करते हैं। इनके द्वारा उपजिलाधिकारी कोटद्वार के विरूद्ध किए जा रहा धरना प्रदर्शन गैर कानूनी है। उपजिलाधिकारी कोटद्वार पूर्व में भी जनता से जुड़े कार्यों को निष्पक्ष भाव से सम्पादित किया है तथा वर्तमान में भी उपजिलाधिकारी द्वारा बिना किसी भेदभाव के जनमानस के कार्य किए जा रहे हैं। कुछ अधिवक्ताओं द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन से जनहित एवं राजकीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जो कि न्योचित नहीं हैं, गलत है।
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