‘आकाश विद्यार्थियों की सीमा नहीं, बल्कि उनकी प्रयोगशाला है।”

तीन दिवसीय ‘स्टेलर एंड सोलर फिज़िक्स’ कार्यशाला का शुभारंभ

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। स्थानीय शैक्षिक संस्थान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “स्टेलर एंड सोलर फिज़िक्स” का शुभारंभ सचिव, संस्कृत शिक्षा विभाग, उत्तराखंड सरकार दीपक कुमार गैरोला ने किया ।
यह कार्यशाला दून विश्वविद्यालय, देहरादून के सहयोग से आयोजित की जा रही है, जिसमें देशभर से खगोल वैज्ञानिक, अध्यापक और शोधार्थी भाग ले रहे हैं।

उद्घाटन संबोधन में दीपक कुमार गैरोला ने कहा कि “आकाश हमारे विद्यार्थियों की सीमा नहीं, बल्कि उनकी प्रयोगशाला है।”
उन्होंने कहा कि भारत में ब्रह्मांड अध्ययन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है और आज के वैज्ञानिक प्रयास उसी वैदिक दृष्टि की आधुनिक अभिव्यक्ति हैं। उन्होंने इस आयोजन को उत्तराखंड में वैज्ञानिक चेतना और खगोल अनुसंधान को नई दिशा देने वाला बताया।

कार्यशाला का शुभारंभ डॉ. शैलजा पंत, प्राचार्य, डॉल्फिन संस्थान के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि यह आयोजन युवा विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान की गहराइयों से परिचित कराने का उत्कृष्ट अवसर है।
डॉ. आशीष रतूड़ी, संयोजक एवं एनईपी 2020 तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) प्रकोष्ठ के समन्वयक ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अंतरविषयी शिक्षण और खगोल जनजागरण को बढ़ावा देना है।

उद्घाटन व्याख्यान डॉ. अनुपम भारद्वाज (वैज्ञानिक, आईयूसीएए पुणे) ने “सौर और तारकीय खगोल भौतिकी की मूलभूत अवधारणाएँ” विषय पर दिया। उन्होंने बताया कि आधुनिक अवलोकन तकनीकों से अब सौर गतिविधियों और तारकीय विकास की गहन समझ संभव हुई है।
डॉ. हिमानी शर्मा (दून विश्वविद्यालय) ने संस्थागत सहयोग से खगोल शिक्षा के विस्तार पर बल दिया, जबकि प्रो. हेमवती नंदन (एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय) ने विद्यार्थियों को डेटा-आधारित अनुसंधान अपनाने की प्रेरणा दी।

इस अवसर पर डॉ. ज्ञानेंद्र अवस्थी (डीन, एकेडमिक्स) एवं डॉ. श्रुति शर्मा (आईक्यूएसी समन्वयक) भी उपस्थित रहे। समापन प्रो. वर्षा पारचा (डीन, अनुसंधान) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

पहले दिन डॉ. अनुपम भारद्वाज, डॉ. सौरभ शर्मा, डॉ. वीरेंद्र यादव (एरीज़, नैनीताल), डॉ. बलेंद्र प्रताप सिंह (यूपीईएस, देहरादून) और डॉ. कौशल शर्मा (आईयूसीएए एसोसिएट) ने तारों के गठन, संकुचित पिंडों और अवलोकनात्मक खगोल विज्ञान पर व्याख्यान दिए। शाम को प्रतिभागियों ने दूरबीन से रात्रिकालीन आकाश अवलोकन सत्र में भाग लिया।

यह कार्यशाला 8 अक्टूबर तक चलेगी । जिसमें सौर आंकड़ा विश्लेषण, तारकीय संरचना मॉडलिंग और खगोल शिक्षण पर तकनीकी सत्र होंगे।

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