दून में सोनम वांगचुक रिहाई मंच का गठन

हिमालय बचाने और वांगचुक को रिहा करने के लिए होगा आंदोलन

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक को रिहा करने और हिमालय कोे बचाने की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया है। इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए सोनम वांगचुक रिहाई मंच का गठन किया गया है।
राज्य आंदोलनकारी कमला पंत, जाने मान पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. रवि चोपड़ा सहित 17 सदस्यों की समिति को भावी कार्यक्रम तय करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ के पर्चें का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए भी अलग से एक कमेटी बनाई गई।

रविवार को कचहरी स्थित शहीद स्मारक में एक दर्जन से ज्यादा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सोनम वांगचुक बेशक एक व्यक्ति का नाम हो, लेकिन वे जो लड़ाई लड़ रहे हैं, वह पूरे हिमालय को बचाने की लड़ाई है। उत्तराखंड के हालात भी लद्दाख जैसे ही हैं, इसलिए उत्तराखंड में यह लड़ाई तेज करने की जरूरत है।

इस बैठक में आगामी 26 अक्टूबर को देहरादून में धरना-प्रदर्शन और उपवास का कार्यक्रम रखने का फैसला किया गया। इस दिन सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के एक महीना पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही हिमालय को बचाने के लिए भी अलग-अलग कार्यक्रम चलाने का प्रस्ताव रखा गया।
बैठक में कहा गया कि सोनम वांगचुक के बारे में संघ परिवार और बीजेपी द्वारा किये जा रहे दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए वांगचुक के कार्यों को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

इसके लिए पर्चा बांटने के साथ ही बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिताओं और युवाओं के लिए वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित करने, धार्मिक स्थलों पर जाकर बुजुर्गों के साथ संपर्क करने जैसे कार्यक्रम चलाने पर भी सहमति बनी।
बैठक में मौजूद 50 से ज्यादा सदस्यों ने संकल्प लिया कि वे हर रोज 5 लोगों को सोनम वांगचुक और उनके कार्यों के बारे में बताएंगे। वक्ताओं को कहना था कि आंदोलनकारियों पर सरकारें मुकदमें पहले भी दर्ज करती रही हैं, लेकिन सोनम वांगचुक जैसे वैज्ञानिक के खिलाफ रासुका लगना और हिंसा के लिए उन्हें दोषी ठहराना किसी भी हालत में उचित नहीं है। इसलिए उनकी रिहाई की लड़ाई सड़क से लेकर अदालतों तक लड़ी जाएगी।

बैठक में डॉ. रवि चोपड़ा, कमला पंत और राजीव नयन, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, परमजीत सिंह कक्कड़, नन्द नन्दन पांडेय, जगमोहन मेहंदीरत्ता, समदर्शी बड़थ्वाल, डॉ. उमा भट्ट, दिगम्बर, एडवोकेट लक्ष्मी, समर्थ, मलेशा, इंद्रेश मैखुरी, स्वाति नेगी, कमलेश खंतवाल, फ्लोरेंस, ईश्वर पाल, डॉ. जितेन्द्र भारती, मोहित डिमरी, संजीव घिल्डियाल, विजय भट्ट आदि ने अपनी बात रखी। संचालन हरिओम पाली ने किया। सतीश धौलाखंडी ने संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए जनगीत गाया।

बैठक में मुख्य रूप से विमला कोली, निर्मला बिष्ट, पद्मा गुप्ता, तुषार रावत, प्रो. राघवेन्द्र, त्रिलोचन भट्ट, चंद्रकला, इंद्रेश नौटियाल, आदि भी मौजूद थे।

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