60 वर्ष से अधिक आयु के अधिकारियों के सेवा विस्तार का मुखर विरोध

मुख्यमंत्री से ऊर्जा निगमों में सेवा विस्तार व्यवस्था खत्म करने की अपील

उत्तराखंड पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने खोला मोर्चा

पदोन्नति प्रभावित होने से अभियंता नाराज

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। प्रदेश के ऊर्जा निगमों में सेवा विस्तार का मामला जोर पकड़ गया है।
उत्तराखण्ड के ऊर्जा निगमों में उच्चस्तरीय पदों पर सेवा विस्तार और प्रभारी व्यवस्था को लेकर अभियंताओं ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। इस बाबत 13 अक्टूबर, सोमवार को सीएम धामी को पत्र लिखा गया है।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन में प्रबंध निदेशक अनिल यादव व निदेशक ऑपरेशन एम आर आर्य रिटायरमेंट के बाद सेवा विस्तार ले चुके हैं। जल्द ही रिटायर होने वाले गढ़वाल ज़ोन के चीफ इंजीनियर बीएमएस परमार के भी संभावित सेवा विस्तार की जोरों पर चर्चा है।

पूर्व में युपुसिएल6 के एमडी पद परअनिल यादव के सेवा विस्तार को लेकरपावर कॉरिडोर और मीडिया में विशेष चर्चा का बाजार गर्म रहा था। एक बार फिर सीएम को भेजे पत्र के बाद अभियंताओं के आक्रोश से मामला और भी गर्मा गया है।

उत्तराखंड पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना है कि निगमों में प्रबन्ध निदेशक, निदेशक और अन्य उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों को अधिवर्षता की आयु 60 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जिससे विभाग के पात्र अभियंताओं की पदोन्नति समय पर नहीं हो पा रही है।

इस संबंध में अभियंता संगठन के महासचिव राहुल चानना की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि सेवा विस्तार की इस व्यवस्था के कारण मुख्य अभियंता से लेकर सहायक अभियंता तक लगभग चार स्तरों की पदोन्नति प्रभावित होती है।
इससे कई अभियंता बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि अधिवर्षता पूर्ण होने के बाद भी सेवा विस्तार देना यह संकेत देता है कि विभाग में अन्य अभियंता कम सक्षम हैं, जबकि ऊर्जा निगमों में सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त योग्य अभियंता उपलब्ध हैं।
संगठन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके किसी भी अधिकारी को सेवा विस्तार न दिया जाए तथा वर्तमान में सेवा विस्तार अथवा प्रभारी व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाए।

पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन व प्रमुख सचिव ऊर्जा मीनाक्षी सुन्दरम को भी भेजी गई है।
यहां यह भी बता दें कि अनिल यादव के सेवा विस्तार के आदेश की मांग को लेकर बॉबी पंवार और आईएएस मीनाक्षी सुन्दरम के बीच सचिवालय में तीखी झड़प हुई थी। यह मसला कई दिनों तक चर्चाओं में रहा था।

सेवा में,

मा० मुख्यमंत्री जी उत्तराखण्ड सरकार देहरादून।

विषयः उत्तराखण्ड के ऊर्जा निगमों में उच्चस्तरीय पदों के सेवा विस्तार एवं प्रभार की व्यवस्था को समाप्त किये जाने के सम्बन्ध में।

महोदय,

कृपया उपरोक्त विषयक आपके संज्ञान में लाना है कि ऊर्जा निगमों में विभिन्न उच्च स्तर के पदों यथा संवर्गीय पद, प्रबन्ध निदेशक, निदेशक पर अधिकारियों की 60 वर्ष की अधिवर्षता आयु पूर्ण हो जाने के उपरान्त भी सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप अनुभवी एवं पात्रता प्राप्त अभियन्ता की पदोन्नति ससमय नहीं हो पाती है।

महोदय, इस प्रकार के सेवा विस्तार के कारण मुख्य अभियन्ता स्तर के अभियन्ता से लेकर सहायक अभियन्ता स्तर के अभियन्ताओं (लगभग 4 पदों) की पदोन्नति प्रभावित होती है। सेवा विस्तार के कारण ऐसा भी हो सकता है कि कुछ अभियन्ता बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जायें, जो कि उनके सवैद्यानिक अधिकारों पर कुठाराघात है। पूर्व में भी इस प्रकार के सेवा विस्तार हुये हैं जिनके कारण कई अभियन्ताओं की पदोन्नति प्रभावित हुई है।

महोदय, अधिवर्षता आयु पूर्ण हो जाने के उपरान्त भी सेवा विस्तार दिये जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि विभागों में अन्य अभियन्ता इन अधिकारियों से ज्यादा उपयोगी नहीं हैं, जबकि ऊर्जा निगमों में सरकार की विभिन्न योजना के क्रियान्वयन हेतु पात्रता प्राप्त योग्य अभियन्ता मोजूद हैं।

महोदय अतः आपसे अनुरोध है कि 60 वर्ष की आयु अधिवर्षता पूर्ण हो जाने के पश्चात् ऊर्जा निगमों में कार्यरत किसी भी अधिकारी को सेवा विस्तार न दिया जाए। इसके अतिरिक्त वर्तमान में सेवा विस्तार एवं प्रभारी व्यवस्था में विभाग में अपनी सेवा देने वाले सभी अधिकारियों की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त किये जाने हेतु अग्रिम कार्यवाही करने की कृपा करें व ऊर्जा निगमों में प्रबन्ध निदेशक, निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया अविलम्ब प्रारम्भ कराने की कृपा करें जिसके लिये संगठन आपका सदैव आभारी रहेगा

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