भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन में अवैध निर्माण पर सरकार से जवाब तलब

उत्तरकाशी डीएम को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश

अविकल उत्तराखंड

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी से गोमुख तक भागीरथी नदी के किनारे इको सेंसिटिव जोन में हो रहे अवैध होटल और रिसॉर्ट निर्माणों पर सख्त रुख अपनाया है।

न्यायालय ने उत्तरकाशी जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को आगामी 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह आदेश सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने पूर्व में प्रस्तुत रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों का कितना पालन किया गया है।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में कहा गया कि हर वर्ष क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बनती है, बावजूद इसके नदी किनारे और ग्लेशियर क्षेत्र में होटल, रिसॉर्ट और कैंपों को बिना वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुमति दी जा रही है। सरकार ने अपने पक्ष में कहा कि अनुमति से पूर्व सर्वे किया गया था, परंतु कोर्ट ने पूर्ण वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच की जनहित याचिका

मामला हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच की ओर से दाखिल जनहित याचिका से जुड़ा है। याचिका में कहा गया है कि गंगोत्री से उत्तरकाशी तक भागीरथी नदी के तट पर अनियंत्रित निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिससे क्षेत्र में बार-बार आपदाएं आती हैं। याचिकाकर्ताओं ने इन अवैध निर्माणों और अन्य गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है।

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