संस्कृत के संरक्षण और वैश्विक उपयोगिता पर मंथन

वैली ऑफ वर्ड्स’ में पहली बार संस्कृत पर सत्र आयोजित

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। विश्व प्रसिद्ध संस्था वैली ऑफ वर्डस के भव्य साहित्यिक समारोह में इस वर्ष पहली बार उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा संस्कृत को समर्पित विशेष सत्र आयोजित किया गया। संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्द्धन एवं प्रचार-प्रसार पर आधारित यह कार्यक्रम संस्था के वैश्विक मंच पर एक ऐतिहासिक पहल साबित हुआ।

इस सत्र में उत्तराखंड सरकार के संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार की पूर्व कुलपति प्रो. सुधा रानी पांडेय ने वक्ता के रूप में विचार व्यक्त किए। सत्र की अध्यक्षता राज्य के पूर्व मुख्य सचिव डॉ. इंदु कुमार पांडेय ने की।

संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला ने कहा कि उत्तराखंड सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए अनेक योजनाएँ संचालित कर रही है। राज्य के प्रत्येक जिले में एक-एक संस्कृत ग्राम विकसित किया जा रहा है। संस्कृत को रोजगार से जोड़ने के लिए पूर्व एवं उत्तर मध्यमा में विज्ञान और गणित विषयों की शुरुआत की गई है, जिससे विद्यार्थी भविष्य में JEE और NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सम्मिलित हो सकेंगे।

उन्होंने बताया कि अगले सत्र से हरिद्वार स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्राओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था की जा रही है, जिससे देश-विदेश के अभिभावक अपनी बेटियों को संस्कृत शिक्षा हेतु यहाँ भेज सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्र चिकित्सा पर अनुसंधान और अल्पसंख्यक समुदायों में संस्कृत शिक्षण जैसे नए प्रयास भी शुरू किए जा रहे हैं।

गैरोला ने कहा कि संस्कृत की मांग आज पूरे विश्व में बढ़ रही है। विदेशों में भी संस्कृत विद्यार्थियों के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं। उन्होंने संस्कृत के साथ किसी एक विदेशी भाषा के अध्ययन पर भी बल दिया ताकि भारतीय ग्रंथों और ज्ञान परंपरा को विश्व स्तर पर प्रसारित किया जा सके।

प्रो. सुधा रानी पांडेय ने कहा कि संस्कृत केवल पूजा-पाठ की भाषा नहीं, बल्कि ज्ञान और अनुसंधान की असीम संभावनाओं वाली भाषा है। उत्तराखंड प्राचीन काल से ही संस्कृत अध्ययन का केंद्र रहा है। उन्होंने कहा, “जैसे गंगा यहाँ से निकलकर पूरे भारत को सींचती है, वैसे ही उत्तराखंड से संस्कृत ज्ञान गंगा पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकती है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. इंदु कुमार पांडेय ने संस्कृत के ऐतिहासिक महत्व पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि आज संस्कृत को फिर से उसका उचित स्थान मिल रहा है।
कार्यक्रम में डॉ. भारती मिश्रा वार्ताकार के रूप में उपस्थित रहीं।
वैदिक मंगलाचरण गुरुकुल पौधा, देहरादून के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया।

अपराह्न तीन बजे से प्रारंभ हुए इस सत्र में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, उप कुलसचिव दिनेश कुमार, शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. प्रकाश चंद्र पंत, सहायक निदेशक हरिद्वार डॉ. वाजश्रवा आर्य, डॉ. नवीन पंत, डॉ. राम भूषण विजलवन, डॉ. आनंद मोहन जोशी, मनोज कुमार शर्मा सहित आर्ष कन्या गुरुकुल देहरादून की छात्राएँ, गुरु राम राय संस्कृत विद्यालय के छात्र-अध्यापक एवं अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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