राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगी – प्रो. सिंह

प्रो. सिंह का शिक्षा में मूल्यों और चरित्र निर्माण पर विशेष बल

अविकल उत्तराखंड

डोईवाला- स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू), जॉलीग्रांट में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ (TISS) के चांसलर एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष, प्रो. डी. पी. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा और सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित है।

एसआरएचयू में आयोजित विशेष व्यख्यान को संबोधित करते हुए प्रो. डी. पी. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा और सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित है। यह केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण, उद्देश्यपूर्ण जीवन, वैश्विक उत्तरदायित्व और आध्यात्मिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि यह नीति भारत को 21वीं सदी में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में अग्रसर करने का सशक्त आधार बनेगी।

इससे पहले एसआरएचयू के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने प्रो. डी. पी. सिंह को शॉल ओढ़ाकर भव स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। डॉ धस्माना ने कहा कि विश्वविद्यालय का “लाइफ का कंपास” सिद्धांत विद्यार्थियों को आत्मबोध, नैतिक मूल्यों और करुणा के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है

एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत की बदलती शैक्षणिक परिकल्पना में वैज्ञानिक सोच और भारतीय सभ्यतागत मूल्यों का संगम ही राष्ट्र की समग्र प्रगति का आधार बनेगा।

धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए डॉ. विजेन्द्र चौहान ने संस्थापक डॉ. स्वामी राम द्वारा प्रतिपादित शाश्वत मूल्यों का स्मरण किया।

इस दौरान एसआरएचयू के विभिन्न कॉलेज के प्रिंसिपल व फैकल्टी मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *