सेतु आयोग और डीएसडीई के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर उत्तराखण्ड शासन के कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग (DSDE) द्वारा सेतु आयोग (Setu Aayog) के सहयोग से ‘भविष्य के लिए कौशल और उद्यमिताः 25 वर्षों का संकल्प’ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस सम्मेलन में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, इंडस्ट्री लीडर्स, पॉलिसी मेकर, शिक्षाविद एवं डेवलपमेंट पार्टनर्स शामिल हुए। सभी विशेषज्ञों ने उत्तराखण्ड में कौशल विकास और उद्यमिता के क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा की तथा आगामी 25 वर्षों के लिए राज्य के विकास एवं नवाचार का रोडमैप तैयार करने पर विचार-विमर्श किया।
उद्घाटन सत्र में सौरभ बहुगुणा, मंत्री, कौशल विकास एवं सेवायोजन, उत्तराखंड, राज शेखर जोशी, उपाध्यक्ष, सेतु आयोग, प्रशांत पिसे, आईएफएस, अपर सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, सुश्री सीता शर्मा, सलाहकार, आंध्र प्रदेश सरकार (अंतरराष्ट्रीय कौशल विकास और माइग्रेशन) और अरिंदम लाहिड़ी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (ASDC) द्वारा बढ़ाई गई। साथ ही डॉ. निर्मलजीत सिंह कल्सी, आईएएस (सेवानिवृत्त), पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (NCVET) ने भी वर्चुअल माध्यम से अपने विचार साझा किए।

अपने मुख्य संबोधन में मंत्री सौरभ बहुगुणा ने राज्य सरकार की इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि उत्तराखण्ड को एक कुशल, नवाचारी एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धी कार्यबल के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कौशल विकास राज्य में एक परिवर्तनकारी अभियान बन चुका है, जो युवाओं को एआई और रोबोटिक्स, हरित प्रौद्योगिकी, डिजिटल परिवर्तन, स्मार्ट विनिर्माण और वैश्विक कार्यबल गतिशीलता जैसे उभरते अवसरों के लिए तैयार कर रहा है।
बहुगुणा ने कहा, “उत्तराखंड के युवा हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। उद्योग-प्रधान कौशल विकास, उद्यमिता और नवाचार के माध्यम से हम उन्हें न केवल भारत में बल्कि वैश्विक मंच पर भी अवसरों के लिए तैयार कर रहे हैं।” उन्होंने “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग” जैसी पहलों को भी रेखांकित किया।
राज शेखर जोशी, उपाध्यक्ष, सेतु आयोग, ने “कौशल विकास और सेवायोजन सृजन के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण और क्रियात्मक नीतियों के साथ समग्र पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण” के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कौशल विकास विभाग, उद्योग और शिक्षा जगत के साथ सेतु की पहलों की जानकारी दी, जैसे कि “स्किल गैप स्टडी, नैनीताल में हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म के लिए कौशल केंद्र की स्थापना”, कृषि, पशुपालन, ईवी और एआई जैसे उद्योग, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य क्षेत्र में पहलें, ताकि कौशल और रोजगार के अवसरों की पहचान की जा सके। उन्होंने “कौशल विकास के लिए अवसरों की पहचान और उद्योग शिक्षा जगत सहयोग” पर भी जोर दिया।

सम्मेलन के दौरान चार उच्च स्तरीय पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं, जिनके विषय थे फ्यूचर इंडस्ट्रीज, ग्रीन इकॉनमी एंड सस्टेनेबिलिटी, ग्लोबल वर्कफोर्स एंड मोबिलिटी, तथा कौशल विकास और उद्यमिता पर नीतिगत दृष्टिकोण। इन सत्रों में उद्योग, शिक्षा और सरकार के विशेषज्ञों ने भविष्य उन्मुख प्रशिक्षण मॉडल, ग्रीन जॉब्स के एकीकरण, अंतरराष्ट्रीय रोजगार संभावनाओं तथा उत्तराखण्ड की दीर्घकालिक नीति सुधारों पर विचार साझा किए।
इसके अतिरिक्त लाइटनिंग टॉक्स और विशेष सत्रों में कई नवाचारी पहलों की प्रस्तुति दी गई। इनमें नासकॉम फ्यूचर स्किल्स प्राइम प्रोजेक्ट, वाधवानी जीवन कौशल परियोजना, तथा डीएसटी मॉडल्स इन उत्तराखण्ड जैसे विषयों पर उद्योग प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए।
स्किल गैप एनालिसिस इन उत्तराखंड विषय पर निखिल पंत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एंड चेयरमैन, ऋचा फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुति दी गई। साथ ही टाटा स्ट्राइव, आईएचसीएल और कुमाऊं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में अतिथि सत्कार कौशल विकास केंद्र का शुभारंभ के बारे में जानकारी दे गई।
कार्यक्रम में एनआईआईटी फाउंडेशन द्वारा साइबर सिक्योरिटी एवं एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स प्रोजेक्ट का परिचय, क्षितिज दोवल द्वारा स्टार्ट-अप नवाचार सत्र, और प्रशांत चौधरी द्वारा कोडिंग फॉर पयूचर स्किल्स पर चर्चा भी सम्मिलित रही।
कार्यक्रम में भारत स्किल्स प्रतियोगिता में उत्तराखण्ड के विजेताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का गौरव बढ़ाया।
अंत में अनिल त्रिपाठी, अपर निदेशक, कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
यह कार्यक्रम सी. रवि शंकर, आईएएस, सचिव, कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग तथा संजय कुमार, निदेशक, कौशल विकास एवं सेवायोजन की प्रेरणा सें आयोजित किया गया।
आयोजकों में लव भारद्वाज, डोमेन लीड, Setu Aayog श्रीमती श्वेता अविलाष बिष्ट, कौशल विकास एवं उद्यमिता विशेषज्ञय, Setu Aayog, मनमोहन कुँडियाल, संयुक्त निदेशक, DSDE, श्रीमती स्मिता अग्रवाल, डिप्टी डायरेक्टर, DSDE, चंद्रकांता, डिप्टी डायरेक्टर, DSDE आशीष नौटियाल, सहायक निदेशक, DSDE, तथा अन्य अनेक विशिष्ट टीम सदस्यों का योगदान रहा।

