सरकार कोर्ट के आदेशों की भी अनदेखी कर रही- कांग्रेस
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उपनल कर्मियों की हड़ताल ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है। दून अस्पताल में ओपीडी के बाद अब इमरजेंसी विभाग में भी लंबी कतारें लग रही हैं।
अस्पताल के करीब 300 कर्मचारी उपनल के माध्यम से सेवाएं दे रहे थे, जो हड़ताल पर चले गए हैं। इसी प्रकार हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भी 200 से अधिक उपनल कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे मरीजों की भारी भीड़ बेकाबू हो गई।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह ने कहा कि उपनल कर्मियों की हड़ताल ने सरकार की हठधर्मिता और विफलता को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 22 हजार उपनल कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश सैनिक पृष्ठभूमि के हैं। ये कर्मचारी वर्षों से नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं और इस संबंध में हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट तक से अपने पक्ष में फैसले प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन सरकार आदेशों की अवहेलना कर रही है।
डॉ. प्रतिमा सिंह ने कहा कि 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने कुंदन सिंह मामले में राज्य सरकार को चरणबद्ध तरीके से उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के आदेश दिए थे, साथ ही छह माह में महंगाई भत्ते सहित न्यूनतम वेतन देने के निर्देश भी दिए थे। सरकार ने इन आदेशों का पालन न करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन अक्टूबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक ओर रोजगार देने के दावे करते हैं, वहीं दूसरी ओर कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद उपनल कर्मियों का नियमितीकरण नहीं किया जा रहा। भाजपा सरकार सदैव छीनने की नीति पर चलती है, देने की नहीं। डॉ. प्रतिमा सिंह ने कहा कि सरकार को शीघ्र निर्णय लेकर उपनल कर्मियों की मांगों का समाधान करना चाहिए, ताकि जनता को राहत मिल सके।

