अविकल उत्तराखंड
नई टिहरी। बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में जनजातीय गौरव सम्मान दिवस बड़े ही उत्साह और गरिमामय तरीके से मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सीमा पांडेय द्वारा किया गया।
डॉ. पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपनी संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए जो ऐतिहासिक आंदोलन किया, वह पीढ़ियों तक याद किया जाएगा। हमें उनके जीवन से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे अपनी सभ्यता और संस्कृति को संरक्षित रखा जा सकता है।
डॉ. निरंजना शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा जनजातीय गौरव दिवस मनाने की पहल का उद्देश्य जनजातियों को मुख्यधारा से जोड़ना है, ताकि वे आधुनिक दौर में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
डॉ. शनोवर ने बिरसा मुंडा के संघर्ष और योगदान को श्रद्धापूर्वक याद किया।डॉ ईरा द्वारा बिरसा मुंडा की उपलब्धियों एव उनके द्वारा दिए गए स्लोगन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गईं
डॉ. संगीता बिजलवान जोशी ने कहा कि यदि किसी समुदाय ने आज भी अपनी संस्कृति को सजीव रखा है, तो वह जनजातीय समाज है।
उन्होंने उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियों, उनकी उपलब्धियों और सांस्कृतिक विशेषताओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसंधानकर्ताओं को जनजातियों पर तथ्यात्मक और वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए ताकि समाज को सही जानकारी मिले और किसी प्रकार की भ्रामक धारणाएँ न फैलें।
डॉ. मीनाक्षी ने जनजातीय महिलाओं की उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।
योगाचार्य रघुबीर ने भोटिया समुदाय के इतिहास, संस्कृति और जीवनशैली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. सीमा पांडेय ने सभी उपस्थित जनों को शुभकामनाएँ दीं।
कार्यक्रम में डॉ. ईरा, डॉ. मीना, ममता चौहान, तथा शिक्षणेतर कर्मचारी मनीषा, दीपक, पंकज, हितेश सहित सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

