संघर्ष समिति ने DM को सौंपा ज्ञापन, 48 घंटे में कार्रवाई की माँग

वकीलों की हड़ताल का आठवाँ दिन

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। जिला न्यायालय परिसर में भूमि आवंटन, अधिवक्ता चैंबर निर्माण, नई-जुनी जिला जजियों को जोड़ने वाले भूमिगत मार्ग तथा अन्य लंबित माँगों को लेकर अधिवक्ताओं की हड़ताल सोमवार को आठवें दिन भी जारी रही। अधिवक्ताओं ने आज जिलाधिकारी को विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए **48 घंटे के भीतर ठोस कार्रवाई की मांग उठाई है।

ज्ञापन सौंपते समय अधिवक्ताओं ने बताया कि पुरानी जिला जजी की भूमि, नई जिला जजी में आवंटित भूमि के साथ जुड़े सभी प्रस्तावों पर अब तक उचित निर्णय न होने से अधिवक्ता समुदाय में रोष व्याप्त है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि चैंबरों के हस्तांतरण, मार्ग निर्माण, भूमिगत रास्ता/अंडरपास, भवनों के निर्माण व निगरानी में बार एसोसिएशन की भूमिका सुनिश्चित की जानी आवश्यक है।

इस दौरान बार एसोसिएशन देहरादून द्वारा 15 सदस्यीय संघर्ष समिति का गठन कर दिया गया।
समिति के पदाधिकारियों में—

अध्यक्ष: प्रेमचंद शर्मा
पूर्व सचिव शिवचरण सिंह रावत
सदस्य,अनुपम गौतम, अजय बिष्ट सहित कुल 15 सदस्य

समिति का कहना है कि यदि 48 घंटे में कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो अधिवक्ता आंदोलन को और व्यापक स्वरूप दिया जाएगा।

अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया कि न्यायालय परिसर और अधिवक्ताओं की कार्यप्रणाली से संबंधित किसी भी निर्माण कार्य, स्थानांतरण या फैसले को बिना लिखित और स्पष्ट सहमति के स्वीकार नहीं किया जाएगा।

SFI का समर्थन

देहरादून में इन दिनों वकील अपने नए चेंबर आवंटन की माँग को लेकर हड़ताल पर हैं। वकीलों का कहना है कि लंबे समय से चेंबर से जुड़ी मूलभूत व्यवस्थाएँ लंबित हैं, जिससे उनके कार्य में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं। न्यायिक कार्य सुचारू रूप से चल सके, इसके लिए चेंबर की समस्या का समाधान आवश्यक है।

इसी के साथ शहर में कार्यरत संविदा कर्मी भी वर्षों से अपने नियमितीकरण की माँग कर रहे हैं। शहर की व्यवस्था और सार्वजनिक सेवाओं को संभालने वाले इन मेहनतकश कर्मियों को आज भी स्थायी सुविधा, सुरक्षित नौकरी और उचित वेतन का इंतज़ार है।

Students’ Federation of India (SFI) ने वकीलों की चेंबर से संबंधित माँग और संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के संघर्ष—दोनों को पूर्ण समर्थन दिया है। SFI ने कहा है कि न्याय सुनिश्चित करने और श्रमिकों के सम्मान की रक्षा के लिए सरकार को जल्द से जल्द समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।

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