नहीं चाहिए एलिवेटेड रोड
दून से कुमाऊँ तक संगठनों का खुला खत
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना के खिलाफ दून समेत राज्यभर में विरोध तेज हो गया है। दून समग्र विकास अभियान और प्रदेश के विभिन्न जन संगठनों ने इसे विनाशकारी, गैर-ज़रूरी और जनता के जीवन पर भारी प्रभाव डालने वाला निर्णय बताते हुए परियोजना को तत्काल रद्द करने की मांग की है।
राजीव नगर ब्रह्मपुरी में आयोजित सभा में लोगों ने कहा कि ‘‘नहीं चाहिए एलिवेटेड रोड की मार, हमें चाहिए घर, बस और रोज़गार’’—यह आवाज अब शहर भर से उठ रही है। नागरिकों ने आरोप लगाया कि सामाजिक प्रभाव आकलन की रिपोर्टें आने के बावजूद सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि कितने परिवार प्रभावित होंगे और पर्यावरण व पुनर्वास की क्या व्यवस्था होगी। लोगों का कहना है कि यदि 15 सितंबर को बिंदाल में आई बाढ़ के समय यह रोड बनी होती तो सैकड़ों घर बहने की आशंका थी।
इधर, नैनीताल, उधम सिंह नगर, हल्द्वानी, टिहरी, रामनगर, पौड़ी और अन्य जिलों के जन संगठनों ने एक खुला खत जारी कर मुख्यमंत्री को चेताया कि जब राज्य की जनता स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के लिए जूझ रही है, तब अनुपूरक बजट में ₹925 करोड़ एलिवेटेड रोड के लिए आवंटित करना जनता के साथ बड़ा मज़ाक है। उनका कहना है कि इस परियोजना से हज़ारों परिवार उजड़ेंगे, हज़ारों पेड़ कटेंगे और नदियों में भारी मात्रा में मलबा फेंके जाने से बाढ़ और आपदाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।
जन संगठनों ने सरकार को सुझाव दिया कि इस धनराशि से 400 नई बसें खरीदी जाएं, महिलाओं के लिए बस यात्रा निःशुल्क की जाए, शहरों में रोजगार गारंटी के माध्यम से किफायती आवास बनाए जाएं और हरित विकास पर आधारित शहरी योजनाएं लागू की जाएं।
संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार अपनी नीति पर पुनर्विचार नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

