सोशल मीडिया पर प्रसारित भ्र्ष्टाचार के आरोपों की होगी जाँच

देखें वीडियो व आदेश

राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध लगाए गए आरोप, जाँच अधिकारी नियुक्त

अविकल उत्तराखंड

नैनीताल। डीएम ललित मोहन रयाल ने कड़ा कदम उठाते हुए ‘अर्जी नवीस” द्वारा
राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जाँच हेतु जाँच अधिकारी नियुक्त कर दिया। अपर जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह नेगी मामले की जांच करेंगे।

जारी आदेश में कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक व्यक्ति, जो स्वयं को “अर्जी नवीस” बताता है, द्वारा आरोपों से सम्बंधित एक वीडियो/पोस्ट व्यापक रूप से प्रसारित की गई है। उक्त सामग्री में सम्बन्धित व्यक्ति ने राजस्व विभाग के अधिकारियों—विशेष रूप से पटवारी, तहसीलदार तथा उप जिलाधिकारी—के विरुद्ध गंभीर आरोप लगाए हैं तथा विभिन्न राजस्व कार्यों के लिए कथित “नियत दरें/रेट” निर्धारित होने का उल्लेख किया है।

उक्त आरोप प्रथमदृष्टया राजकीय कार्यप्रणाली की पारदर्शिता एवं अखंडता को प्रभावित करने वाले प्रतीत होते हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण की निष्पक्ष व तथ्यात्मक जाँच आवश्यक समझी जाती है।

अतः, भारतीय दण्ड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा प्रचलित राजस्व नियमावली के प्रावधानों के आलोक में तथ्यों की पुष्टि एवं आरोपों की सत्यता का परीक्षण करने हेतु निम्न आदेश पारित किया जाता है—

  1. जाँच अधिकारी की नियुक्ति

शैलेन्द्र सिंह नेगी, अपर जिलाधिकारी (वि./रा.), नैनीताल को इस प्रकरण की संपूर्ण तथ्यात्मक जाँच (Fact-Finding Inquiry) हेतु जाँच अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

  1. जाँच का दायरा (Terms of Reference)

जाँच अधिकारी निम्न बिंदुओं पर विस्तृत परीक्षण करेंगे—

  1. सोशल मीडिया पर प्रसारित संबंधित वीडियो/पोस्ट की सत्यता, स्रोत एवं मूल अपलोडकर्ता का परीक्षण।
  2. वीडियो/पोस्ट में वर्णित कथित “सरकारी कार्यों के रेट/अवैध वसूली” से सम्बंधित तथ्यों की पुष्टि।
  3. संबंधित राजस्व अधिकारियों—पटवारी, तहसीलदार एवं उप जिलाधिकारी—की संलिप्तता/भूमिका का परीक्षण।
  4. यदि किसी प्रकार की अवैध माँग, भ्रष्ट आचरण अथवा कदाचार के प्रारंभिक तथ्य पाए जाते हैं, तो उनके सम्बन्ध में अभिलेखीय साक्ष्यों सहित स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
  5. उक्त सामग्री के प्रकाशन से उत्पन्न संभावित विधिक निहितार्थ तथा लोकशांति/लोकविश्वास पर प्रभाव का मूल्यांकन।
  6. आवश्यकतानुसार सभी पक्षों के बयान दर्ज करना, उपलब्ध अभिलेखों का परीक्षण करना एवं संबंधित कार्यालयों से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करना।

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