एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की चारधाम यात्रा की प्रारंभिक फैक्टशीट

सतत यात्रा प्रबंधन की अपील

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। सस्टेनेबल डेवलपमेंट और पर्यावरण पर कार्य करने वाली सार्वजनिक-हित संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन ने चारधाम यात्रा 2025 फैक्टशीट जारी की है।

इस डाटा बेस्ड फैक्टशीट में चारधाम यात्रा 2025 की अवधि, यात्री संख्या वितरण, सर्वाधिक भीड़ वाले दिन, और जीरो-पिलग्रिम दिनों सहित केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब के विस्तृत आंकड़े संकलित किए गए हैं।

अपनी डेटा-आधारित सार्वजनिक संवाद की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए फाउंडेशन ने बयान जारी कर कहा है कि चारधाम यात्रा 2025 पर आधारित विस्तृत और व्यापक रिपोर्ट आने वाले दिनों में प्रकाशित की जाएगी। यह पिछले वर्ष संस्था द्वारा “पाथवेज़ टू पिलग्रिमेज” रिपोर्ट की निरंतरता है, जिसे चारधाम यात्रा 2024 के लिए जारी किया गया था।

फैक्टशीट प्रस्तुत करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि वर्ष 2025 में चारधाम यात्रा में 51,06,346 तीर्थयात्री पहुंचे, जबकि 2024 में यह संख्या 48,01,167 थी। इस वर्ष 3,05,179 यात्रियों की वृद्धि हुई जो यात्रा के बढ़ते आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है। 2025 मे चार धाम यात्रा अवधि हेमकुंड साहिब में 139 दिन, केदारनाथ में 175 दिन, गंगोत्री में 176 दिन, यमुनोत्री में 177 दिन और बद्रीनाथ में 206 दिन रही।

2024 और 2025 में यात्रा के कुल दिनों की संख्या लगभग समान रही, लेकिन बद्रीनाथ में इस वर्ष विशेष वृद्धि दर्ज हुई। 2024 में 190 दिनों की तुलना में 2025 में बद्रीनाथ धाम 206 दिनों तक खुला रहा यानी 16 अतिरिक्त यात्रा दिवस रहे।

2 मई 2025 को केदारनाथ धाम में 30,154 तीर्थयात्रियों के साथ सबसे अधिक एक-दिवसीय भीड़ दर्ज हुई। अनूप नौटियाल ने कहा कि तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को केवल “सफलता” का संकेतक नहीं माना जा सकता और एक प्रभावी यात्रा वही है जो सुरक्षित, सतत और सुचारू हो।

फैक्टशीट में सबसे चिंताजनक रुझानों में से एक जीरो-पिलग्रिम दिनों और अत्यंत कम यात्रियों वाले दिनों का रहा जो मुख्यतः मौसम, भूस्खलन और आपदा-जनित व्यवधानों के कारण हुई। वर्ष 2025 में चारधाम ने कुल 86 जीरो-पिलग्रिम दिन, 67 दिन (1–500 यात्रियों) और 80 दिन (501–1000 यात्रियों) दर्ज किए। अकेले गंगोत्री में 35 तथा यमुनोत्री में 38 जीरो-पिलग्रिम दिन रहे जो बार-बार होने वाले व्यवधानों को स्पष्ट दिखाते हैं।

फाउंडेशन के अनुसार, ये रुझान आपदा-नियंत्रण प्रणाली को मजबूत करने, सड़क पुनर्स्थापन में तेजी लाने, सूचना प्रबंधन को बेहतर बनाने और अधिक लचीली योजना की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। दैनिक यात्री संख्या में इस उच्च उतार-चढ़ाव को प्रशासनिक चुनौती नहीं, बल्कि गंभीर संचालनात्मक जोखिम के रूप में देखा जाना चाहिए।

चारधाम यात्रा 2024 की विस्तृत रिपोर्ट से मिले निष्कर्षों को दोहराते हुए, एसडीसी ने कहा कि अनेक प्रणालीगत समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं। अनूप नौटियाल ने राज्य सरकार से अपील की कि वह सिर्फ रिकॉर्ड यात्रा संख्या का उत्सव मनाने के बजाय सुरक्षा मानकों को मजबूत करने, वहन क्षमता के सिद्धांतों का पालन करने, हेली/एयर सुरक्षा प्रणालियों में सुधार, मेडिकल और आपातकालीन प्रतिक्रिया को मजबूत करने, पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने, मौसम और मार्ग सूचना को बेहतर प्रसारित करने, और स्थानीय समुदायों को यात्रा अर्थव्यवस्था का लाभ दिलाने पर ध्यान केंद्रित करे। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक सोच, सहयोगी शासन और सतत हितधारक सहभागिता ही यात्रा को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित बना सकती है।

उन्होंने कहा कि एसडीसी फाउंडेशन जल्द ही चारधाम यात्रा 2025 की विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगी जिसमें इस फैक्टशीट से आगे के निष्कर्ष और विस्तृत विश्लेषण सम्मिलित होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार, वैज्ञानिक संस्थानों, स्थानीय व्यवसायों, समुदायों और सभी संबंधित पक्षों के बीच समन्वित प्रयास ही यात्रा को भविष्य के लिए सुरक्षित और सतत बनाए रख सकते हैं।

अंत में उन्होंने फाउंडेशन के प्रवीण उप्रेती के महत्त्वपूर्ण योगदान का विशेष उल्लेख किया, जिनकी प्रतिदिन की डेटा संकलन और ट्रैकिंग की मेहनत के कारण यह फैक्टशीट संभव हो सकी।

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