उच्च स्तरीय समन्वय बैठक का आयोजन
अविकल उत्तराखंड
नई दिल्ली। उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय को और अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया है।
सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के साथ-साथ बुनियादी ढांचे का उन्नयन एक महत्वपूर्ण संतुलन है, जो स्थायी पर्यटन के लिए आवश्यक है।
बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के धरोहर भवन में जागेश्वर धाम गंतव्य विकास योजना के अंतर्गत चल रही परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के उद्देश्य से एक उच्च स्तरीय समन्वय बैठक आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की गई, जिसमें सचिव, पर्यटन विभाग; अपर महानिदेशक, ASI; जिलाधिकारी, अल्मोड़ा; ASI के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य ASI टीम के प्रतिनिधि, और परियोजना सलाहकार INI डिजाइन स्टूडियो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में चर्चा किए गए विशिष्ट लक्ष्यों का विवरण आगे दिया गया है।
बैठक के मुख्य बिंदु और लक्ष्य
विकास कार्यों का रणनीतिक महत्व केवल सौंदर्यीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इनका मुख्य उद्देश्य तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाना, आगंतुकों के प्रवाह को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करना और इस ऐतिहासिक स्थल को पर्यावरणीय जोखिमों से बचाना है, ताकि इसकी दीर्घकालिक महत्ता सुनिश्चित हो सके।
बैठक के दौरान निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों पर विस्तृत चर्चा की गई:
- विकास कार्यों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाना और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय के साथ उनका निष्पादन सुनिश्चित करना।
- सार्वजनिक सुविधाओं और तीर्थयात्रा/पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना।
- भीड़ प्रबंधन प्रणालियों को और अधिक सुदृढ़ करना।
- बाढ़ शमन से संबंधित आवश्यकताओं को संबोधित करना।
- यह सुनिश्चित करना कि सभी विकास कार्य जागेश्वर मंदिर परिसर के पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व को पूरी तरह से संरक्षित रखते हुए किए जाएं।
चर्चा के केंद्र में निम्नलिखित विशिष्ट परियोजना घटक शामिल थे:
- मंदिर परिसर के भीतर सुधार कार्य
- सार्वजनिक उपयोगिता सुविधाओं का विकास
- आगमन और परिसंचरण अवसंरचना
- स्ट्रीटस्केप में सुधार
- जटा गंगा के किनारे रिवरफ्रंट का विकास
- तीर्थयात्रियों और आगंतुकों के लिए संगठित सार्वजनिक स्थानों का निर्माण
इन सभी परियोजनाओं का कार्यान्वयन चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा और यह ASI के संरक्षण मानदंडों का सख्ती से पालन करेगा। इस अनुपालन को सुनिश्चित करने हेतु एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जो भविष्य की कार्यप्रणाली को दिशा देगा।
महत्वपूर्ण निर्णय: समझौता ज्ञापन (MoU) का निर्माण
इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच अनौपचारिक चर्चाओं से आगे बढ़कर एक संरचित समझौते पर पहुंचना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक समझौता ज्ञापन (MoU) जैसी औपचारिक व्यवस्था प्रक्रियात्मक देरी को खत्म करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में एक निर्णायक कदम है।
बैठक में लिया गया सबसे महत्वपूर्ण निर्णय यह था कि प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और समय पर निष्पादन को सक्षम बनाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और उत्तराखंड सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) तैयार किया जाएगा। यह MoU परियोजनाओं के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाने और उनके कार्यान्वयन के लिए एक संरचित समन्वय तंत्र स्थापित करेगा। यह सहयोगी मॉडल केवल जागेश्वर तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राज्य भर में विरासत विकास के लिए एक नई मिसाल कायम करेगा।
MoU का व्यापक प्रभाव और भविष्य की योजना
इस पहल की वास्तविक सफलता एक ऐसे दोहराए जा सकने वाले मॉडल के निर्माण में निहित है, जिसे अन्य विरासत स्थलों पर भी लागू किया जा सके। यह राज्य में विरासत संरक्षण और पर्यटन विकास के दृष्टिकोण में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा। यह समझौता ज्ञापन केवल जागेश्वर धाम तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे एक मॉडल ढांचे के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस मॉडल का लाभ उत्तराखंड में ASI द्वारा संरक्षित अन्य महत्वपूर्ण विरासत स्थलों के नियोजित विकास के लिए भी मिलेगा, जिनमें निम्नलिखित स्थल शामिल हैं:
- दांडेश्वर
- कटारमल सूर्य मंदिर
- बैजनाथ मंदिर परिसर
- गोविंदघाट
इस अवसर पर सचिव पर्यटन, धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा रेखांकित किया गया की यह समझौता ज्ञापन राज्य भर में समान सांस्कृतिक महत्व वाले अन्य गंतव्यों के विकास के लिए एक मिसाल कायम करेगा। सरकार इस सहयोगी दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है।
साथ ही सचिव पर्यटन द्वारा अवगत कराया गया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ननिर्देशानुसार पर्यटन विभाग, उत्तराखंड सरकार, राज्य में स्थायी विरासत संरक्षण, बेहतर तीर्थयात्री सुविधाओं और जिम्मेदार पर्यटन विकास सुनिश्चित करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और जिला प्रशासन के साथ सहयोगात्मक योजना के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

