AI दुष्प्रचार पर प्रमाण मांगने भाजपा मुख्यालय पहुंचे हरीश रावत

फेक प्रचार से उत्तराखंड का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा

अंकिता हत्याकांड- सबूत मिटाकर साजिश के तहत दोषियों को बचाया गया

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गुरुवार को अपने खिलाफ भाजपा द्वारा किए जा रहे कथित दुष्प्रचार के विरोध में भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंचे और लगाए गए आरोपों के सार्वजनिक प्रमाण मांगे।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत वे दोपहर एक बजे नेहरू कॉलोनी स्थित फव्वारा चौक पहुंचे। हालांकि, उन्होंने इसे एकांकी मार्च बताया था, लेकिन बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता स्वतःस्फूर्त रूप से उनके साथ चलते रहे।
भाजपा मुख्यालय के चारों ओर पुलिस बल की भारी तैनाती और बैरिकेडिंग के बीच हरीश रावत भाजपा कार्यालय के निकट तक पहुंचे और वहां भाजपा नेतृत्व को सीधे चुनौती दी।

भाजपा मुख्यालय के पास पहुंचकर हरीश रावत ने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में संवाद, सहिष्णुता और सामाजिक सौहार्द की जो परंपरा स्थापित की थी, आज की भाजपा को उसी से सीख लेने की आवश्यकता है।

हरीश रावत ने कहा कि भाजपा संगठित रूप से उनकी सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा द्वारा संचालित और छद्म रूप से चलाए जा रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उन्हें पाकिस्तान का जासूस और राष्ट्रद्रोही बताया गया तथा उनके खिलाफ नफरत आधारित हिंसा को भी उकसाया गया। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दुरुपयोग कर उनकी तस्वीरें और बयान तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए गए, ताकि राज्य में सामाजिक तनाव पैदा किया जा सके।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भाजपा के आईटी सेल के अध्यक्ष द्वारा इस प्रकार की सामग्री को आधिकारिक सोशल मीडिया पेजों से प्रचारित-प्रसारित किया गया, लेकिन जब उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने ऐसा कब और कहां कहा, तो कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जाता। उन्होंने चुनौती दी कि भाजपा उनके किसी भी कथित बयान का प्रमाण सार्वजनिक करे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्ष 2017 में उनकी सरकार पर लगाए गए उस आरोप को भी पूरी तरह निराधार बताया, जिसमें कहा गया था कि जुमे की नमाज के लिए सरकारी अवकाश घोषित किया गया था। उन्होंने कहा कि किसी धर्म विशेष की प्रार्थना के लिए अवकाश घोषित करना संवैधानिक रूप से संभव ही नहीं है। यदि ऐसा हुआ है तो भाजपा गजट नोटिफिकेशन और राज्य अवकाशों की सूची सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा कि आज तक यह नहीं बताया गया कि किस कार्यालय में शुक्रवार को अवकाश था।

उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर फैलाए गए कथित झूठ का भी जिक्र किया और कहा कि भारत का संविधान धर्म के नाम पर किसी विश्वविद्यालय की अनुमति नहीं देता। इसके बावजूद भाजपा नेताओं ने यह प्रचार किया कि उन्होंने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि आज तक भाजपा उनके किसी भी ऐसे सार्वजनिक बयान का प्रमाण नहीं दे पाई है।

हरीश रावत ने मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार राज्य में डेमोग्राफिक बदलाव की बात उठाने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने मांग की कि सरकार एक स्वतंत्र सिटिजन सोशल ऑडिट कमेटी गठित करे और दो माह के भीतर यह स्पष्ट करे कि किस वर्ष कितना जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ, राज्य में कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए पाए गए और उन्हें बाहर करने के लिए अब तक क्या कार्रवाई की गई।

अंकिता हत्याकांड में सीबीआई जांच की मांग

बोले— सबूत मिटाकर साजिश के तहत दोषियों को बचाया गया

हरीश रावत ने अंकिता हत्याकांड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि उत्तराखंड के आत्मसम्मान पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में जिस तरह सबूत नष्ट किए गए, बुलडोजर चलाया गया और फॉरेंसिक साक्ष्य मिटाए गए, उससे स्पष्ट होता है कि दोषियों को बचाने की कोशिश की गई।

उन्होंने कहा कि वायरल हो रहे बयानों और वीआईपी के नाम सामने आने के बावजूद सरकार ने सच्चाई सामने लाने की कोई गंभीर पहल नहीं की। हरीश रावत ने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की जांच सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से कराई जाए, ताकि न्याय हो सके और जनता का विश्वास बहाल हो।

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