अविकल उत्तराखंड
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश में निर्देश दिया कि प्रत्येक संरक्षित वन में एक किलोमीटर का इको सेंसिटिव जोन (ESZ) होना चाहिए। कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि ESZ के भीतर किसी भी स्थायी ढांचे की अनुमति नहीं दी जाएगी।
राष्ट्रीय वन्यजीव अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के भीतर खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही इस प्रकार अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि मौजूदा ESZ एक किमी बफर जोन से आगे जाता है या यदि कोई वैधानिक साधन उच्च सीमा निर्धारित करता है तो ऐसी विस्तारित सीमा मान्य होगी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने टीएन गोदावर्मन थिरुमलपद मामले में दायर आवेदनों में निर्देश पारित किए। जस्टिस बोस ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ा। प्रत्येक राज्य के मुख्य वन संरक्षक को ESZ में विद्यमान संरचनाओं की एक सूची बनाने और तीन महीने की अवधि के भीतर अदालत को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। (साभार live law hindi )
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