पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के कार्यकाल में कार्बेट नेशनल पार्क में हुए निर्माण कार्यों में गड़बड़ी का मामला
निदेशक को कहा, 15 दिनों के भीतर शासन को दें स्पष्टीकरण
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। भाजपा की नई सरकार ने अपने ही पुराने मंत्री हरक सिंह के कार्यकाल से जुड़े फैसलों पर टेढ़ी नजर कर दी है। कर्मकार कल्याण बोर्ड की गड़बड़ियों की जांच के बाद अब कार्बेट नेशनल पार्क में हुए निर्माण कार्यों में वित्तीय गड़बड़ी पर भी सवाल जवाब तेज कर दिए हैं। पूर्व में इस मामले में वन विभाग के आला अधिकारी राजीव भर्तहरि की कुर्सी बदल दी गयी।
जब हरक सिंह बतौर वन मंत्री भाजपा सरकार में मंत्री थे उसी समय से कर्मकार कल्याण बोर्ड व वन विभाग से जुड़े मसलों की जांच शुरू हो गयी थी। तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन दोनों विभागों में हुए कार्यों की खुली जांच करवा कर मंत्री हरक सिंह रावत को मुश्किल में डाल दिया था।
मौजूदा समय में हरक सिंह कांग्रेस में है। और हाल ही में अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन ने कार्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा है। पत्र में कार्बेट में हुए निर्माण कार्यों में वन व वन्य जन्तु अधिनियम के खुले उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। पूर्व वन मंत्री हरक सिंह के कार्यकाल में कार्बेट पार्क के अंदर कंडी रोड निर्माण, गोरघट्टी तथा पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, पाखरो वन विश्राम गृह के समीप जलाशय का निर्माण, पाखरो में प्रस्तावित टाईगर सफारी में वृक्षों के अवैध कटान किया गया था।
इस मामले में गठित पांच सदस्यीय जांच कमेटी ने गंभीर वितीय, प्रशासनिक व आपराधिक गड़बड़ी का खुलासा किया था। जांच कमेटी ने 7 फरवरी 2022 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इसी रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन ने कार्बेट पार्क के निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है।
पूर्व वन मंत्री के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी पर तेजी से कार्रवाई करते हुए भाजपा सरकार ने वर्तमान कांग्रेसी नेता हरक सिंह पर विशेष दबाव बढ़ा दिया है।
अपर मुख्य सचिव का मूल आदेश
“कारण बताओ नोटिस”,
श्री राहुल,
निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर, नैनीताल।
कार्बेट नेशनल पार्क के अन्तर्गत कंडी रोड निर्माण, गोरघट्टी तथा पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, पाखरो वन विश्राम गृह के समीप जलाशय का निर्माण, पाखरो में प्रस्तावित टाईगर सफारी में वृक्षों के अवैध पातन तथा भारतीय वन अधिनियम, 1927, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 तथा वित्तीय नियमों के उल्लंघन के संबंध में प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ). उतराखण्ड, देहरादून द्वारा पत्रांक-948(ii). दिनांक 27.12.2021 तथा पत्रांक-1002, दिनांक 12.01.2022 के माध्यम से गठित पांच सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत संलग्न विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट दिनांक 07.02.2022 का कृपया संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें।
2- उक्त के संबंध में अवगत कराना है कि उक्तानुसार गठित पांच सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत उक्त जांच आख्या में कण्डी रोड निर्माण, मोरघट्टी तथा पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, पाखरो वन विश्राम गृह के समीप जलाशय का निर्माण तथा पारी में प्रस्तावित टाइगर सफारी में वृक्षों के अवैध पातन के संबंध में गंभीर प्रशासनिक, वित्तीय विधिक एवं आपराधिक अनियमिततायें परिलक्षित हुई हैं।
-C 3 उक्त के संबंध में अवगत कराया जाना है कि आप उक्त घटनाक्रम की अवधि तथा वर्तमान में निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर, नैनीताल के पद पर कार्यरत हैं। प्रकरण के समय में प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ). उत्तराखण्ड, देहरादून द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत उक्त विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट दिनांक 07. 02.2022 के क्रम मे प्रदत्त संस्तुति के आधार पर आपके द्वारा FCA में निर्गत स्टेज-1 एवं स्टेज-2 के स्वीकृतियों के अन्तर्गत निर्गत शर्तों का अनुपालन केन्द्रीय चिडियाघर प्राधिकरण द्वारा सैद्धान्तिक स्वीकृति की काथा टाइगर पैशन प्लान का मिड टर्म रिव्यू कराये जाने हेतु एन०टी०सी०ए० को प्रस्ताव प्रेषित किये जाने संबंधी कार्यों में प्रभावी योगदान न करने एवं लापरवाही बरतना परिलक्षित है। आपका यह कृत्य अखिल भारतीय सेवायें (आधरण) नियमावली, 1968 के विरुद्ध है।
4 – उपरोक्त वर्णित तथ्यों के दृष्टिगत आपका यह कृत्य अखिल भारतीय सेवायें (आचरण) नियमावली, 1968 के विरूद्ध है। अतएव क्यों न आपके विरूद्ध अखिल भारतीय सेवाये (अनुशासन एव अपील) नियमावली, 1969 के प्राविधानों के अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाही प्रचलित की जाये।
अतः इस संबंध में मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि उक्तानुसार गठित पांच सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत उक्त आंध आख्या दिनांक 07.02. 2022 एवं प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ). उत्तराखण्ड, देहरादून द्वारा उका आख्या पर प्रदत्त संस्तुति तथा उक्त वर्णित तथ्यों के क्रम में उक्त प्रस्तर-3 के संबंध में अपना स्पष्टीकरण प्रमुख वन संरक्षक (HOFF). उत्तराखण्ड देहरादून के माध्यम से इस कारण बताओ नोटिस की प्राप्ति की तिथि से विलंबतम् 15 दिनों के भीतर शासन को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। यदि आपके द्वारा निर्धारित समयान्तर्गत स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो यह समझा जायेगा कि आप उक्त तथ्यों के संबंध में कोई स्पष्टीकरण / प्रत्युत्तर प्रस्तुत नहीं करना चाहते हैं एवं तदनुसार प्रकरण में गुणावगुण के आधार पर विचार कर अपेत्तर आपके विरूद्ध अखिल भारतीय सेवायें (आचरण) नियमावली, 1968 व अन्य सुसंगत नियमावलियों आदि में विहित प्राविधानों के अन्तर्गत यथोचित प्रशासनिक, वैधानिक, अनुशासमात्मक आदि कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी।
(आनन्द बर्दन) अपर मुख्य सचिव
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