विश्वभर के 500 से भी अधिक केन्द्रों पर विभिन् कार्यक्रमों का आयोजन
अविकल उत्तराखंड
आगरा। राधा स्वामी सत्संग सभा दयालबाग़ के आठवें आचार्य परम पूज्य हुज़ूर प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब का पावन जन्म दिवस दयालबाग़ एवं विश्वभर के 500 से भी अधिक केन्द्रों पर भक्ति भाव से मनाया गया। इस अवसर पर समस्त भाई बहन एवं बच्चे बहुत ही उमंग के साथ सतसंग एवं सेवा के कार्य के लिए प्रातः 3:00 बजे ही सिकन्दरपुर के खेतों में सरसों की कटाई के लिए पहुँचने लगे। खेतों में एक कप गर्म दूध (अमृत पेय), चाय रस्क एवं दयालबाग़ के केले का प्रशाद ग्रहण कर सभी भाई-बहन सरसों की कटाई की सेवा में लग गए। भाई-बहन ही नहीं अपितु छोटे बच्चे भी बड़ी उमंग से सरसों की बालियां बीन बीन कर पल्लियों में इकट्ठा कर रहे थे।
परम पूज्य हुज़ूर प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब एवं रानी साहिबा भी सतसंग शुरू होने से पूर्व ही खेतों में पधार चुके थे तथा पूर्ण समय तक सरसों की कटाई करते रहे। ठीक 3:45 बजे प्रातः की आरती एवं सतसंग शुरू हुआ जिसका सजीव प्रसारण देश-विदेश के 500 से अधिक केन्द्रों पर हुआ। सतसंग के पश्चात 2 स्पेशल पाठ हुए जो क्रमशः परम आदरणीय रानी साहिबा एवं परिवार के सदस्यों द्वारा तथा दयालबाग़ प्रेस एवं पब्लिकेशंस के सदस्यों द्वारा ऑफिसियल वेबसाइट लॉन्चिंग के उपलक्ष्य में हुए।
सतसंग के पश्चात रा धा/धः स्वा आ मी सतसंग सभा के अध्यक्ष प्रे. भा. गुरुस्वरूप सूद साहब ने आज के पावन दिन पर दयालबाग़ प्रेस व पब्लिकेशन की आधिकारिक वेब साइट का विवरण दिया तथा जिसका विमोचन परम पूज्य हुज़ूर प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब की पावन उपस्थिति में उनके निर्देशानुसार किया गया।
दयालबाग़ प्रेस व पब्लिकेशन की स्थापना रा धा/धः स्व आ मी मत के सिद्धांतों पर आधारित पवित्र पुस्तक सारबचन (गद्य व पद्य) के रूप में सन् 1884 से प्रारम्भ की गई थी। उसके पश्चात् पाक्षिक मैगज़ीन, प्रेमपत्र का मुद्रण 1 मई, 1893 से प्रारम्भ हुआ। दयालबाग़ प्रेस व पब्लिकेशन की स्थापना विधिवत् रूप से 26 मई 1942 के एक प्राइवेट कम्पनी के रूप में भारतीय कम्पनी अधिनियम 1913 के अधीन हुई। मुद्रण का कार्य 1929 से ही ‘लैटर प्रेस’ की तकनीक के रूप में, सन् 2005 तक चालू रहा। उसके पश्चात् ‘आWफ़सेट तकनीक’ के अधीन एक छोटी ‘आWफ़सेट प्रिटिंग प्रेस’ प्रारम्भ की गई। इस ‘छोटी आWफ़सेट प्रेस’ के द्वारा सप्ताहिकी (हिंदी) प्रेम प्रचारक, दयालबाग़ हेरल्ड (अंग्रेज़ी) व अन्य छोटे छोटे प्रिटिंग कार्य जैसे- बिल बुक इत्यादि का सम्पादन किया जाता रहा।
सन् 2011 में दयालबाग़ प्रेस ने अपनी पवित्र पुस्तकों के मुद्रण हेतु फुल साइज़ की एच.एम.टी. प्रिटिंग मशीन खरीदी। इसी विकास के क्रम में सितम्बर, 2014 में एक 12 Kw का सोलर प्लांट लगाया गया जो कि सम्पूर्ण प्रिटिंग प्रेस के कार्यकलापों को करने हेतु सक्षम हैं। आज दिनांक 09 मार्च, 2024 के शुभ दिवस पर दयालबाग़ प्रेस की एक वेब साइट का अनावरण किया गया। जिसमें दयालबाग़ की चारों सप्ताहिकी (हिन्दी प्रेम प्रचारक, दयालबाग़ हेरल्ड, तेलगु प्रेम प्रचारक व तमिल प्रेम प्रचारक) है। यह सभी के पढ़नार्थ (Read Only) हेतु उपलब्ध हैं। चार आWडियो पुस्तकें जिसमें मंगलाचरण व बिनती आदि है, को भी अपलोड़ किया गया है एवं अन्य आWडियो पुस्तकों को भी वेबसाइट पर शीघ्र अपलोड़ किया जायेगा। 2005 व 2007 से जारी किये गये ई-प्रेम प्रचारक व ई-दयालबाग़ हेरल्ड को भी शीघ्र ही वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जायेगा। इस वेबसाइट पर पहुँचने हेतु इसकी सदस्यता रु. 118/- प्रति वर्ष (शुल्क रू 100/- व जी.एस.टी. रु.18/-) है।
इस वेब साइट को डी.ई.आई. की वेबसाइट dei.ac.in पर eDElwww.education के माध्यम से दयालबाग़ प्रेस के पेज पर क्लिक करके पहुँचा जा सकता है। इस पावन अवसर पर समस्त उपस्थित जनसमूह को लड्डू एवं गुजिया का परशाद वितरित किया गया। खेतों और सतसंग के कार्यक्रम के बाद अन्य कार्यक्रम का आयोजन प्रतिदिन की भाँति जमुना, गंगा, सरस्वती तीरे वैकुंठ धाम पर हुआ जहाँ पी टी के पश्चात संत सुपरमैन के बच्चो द्वारा होली मुबारक जन्मदिन मुबारक पर मनमोहक प्रस्तुति दी गयी इसके पश्चात सभी उपस्थित सत्संगियों को पी टी और कल्चर प्रोग्राम का स्पेशल प्रशाद वितरित किया गया अन्त में मार्च पास्ट के दौरान परम पूज्य हुज़ूर प्रो॰ प्रेम सरन सतसंगी साहब ने अपनी दया व मेहर भरी दृष्टि से समस्त सतसंगियों को सराबोर किया।
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