सेना ने निकाला फ्लैग मार्च
अविकल उत्तराखंड / इम्फाल। मणिपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों पर सेना ड्रोन और हेलिकॉप्टरों के जरिये कड़ी नजर रख रही है। पिछले हफ्ते हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में भी कर्फ्यू में ढील दी गई। ये जिला जातीय हिंसा का केंद्र बन गया था, जिसमें अब तक कम से कम 30 लोग मारे गए हैं और 500 से अधिक घर जल गए हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों से अब तक 23,000 लोगों को बचाया जा चुका है। हालात को सामान्य बनाने के लिए सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च किया और आम जनजीवन कुछ हद तक सामान्य होने लगा है। लेकिन माहौल में तनाव साफ देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक हिंसाग्रस्त राज्य में लगभग 10,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, जो 3 मई से उबाल पर है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि हालात में सुधार और सेना की ज्यादा तैनाती के साथ सोमवार को 11 जिलों में कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील दी जाएगी। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्विटर पर कहा कि ‘चुराचंदपुर जिले में कानून-व्यवस्था की हालत में सुधार होने के साथ और राज्य सरकार और विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत के बाद, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कर्फ्यू में धीरे-धीरे आंशिक रूप से छूट दी जाएगी।’
वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक इंफाल पूर्वी और इंफाल पश्चिमी जिलों में सुबह 5 बजे से सुबह 8 बजे तक, थौबल, कांगपोकपी और काकचिंग में दोपहर 1 बजे से दोपहर 3 बजे तक, जिरीबाम में सुबह 5 से 10 बजे तक, बिष्णुपुर में सुबह 8 बजे से सुबह 10 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी जाएगी। फिरजावल में सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक, चंदेल में सुबह 6 बजे से 10 बजे तक और फिर दोपहर 1 बजे से दोपहर 3 बजे तक और चुराचांदपुर और टेंग्नौपाल में सुबह 7 से 10 बजे तक कर्फ्यू में ढील मिलेगी।
बयान में आगे कहा गया कि सरकार पूरे राज्य में अपने घरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हिंसा से प्रभावित व्यक्तियों को सुरक्षित मार्ग की सुविधा भी दे रही है। हिंसा से प्रभावित लोगों और परिवारों को भोजन और रहने की जगह देने के लिए प्रभावित जिलों में राहत शिविर भी खोले गए हैं। रक्षा पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल एम रावत ने कहा कि चुराचांदपुर में सुबह सात बजे से 10 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई क्योंकि किसी बड़ी हिंसा की सूचना नहीं है। इसके तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च किया। उन्होंने कहा कि ‘सेना हवाई निगरानी, यूएवी और इंफाल घाटी के भीतर सेना के हेलिकॉप्टरों की फिर से तैनाती के जरिये निगरानी के प्रयासों को बढ़ा रही है। सेना और असम राइफल्स ने अब तक 23,000 से अधिक नागरिकों को बचाया है।’
इस बीच मणिपुर से 2250 लोगों ने बीते तीन दिनों में असम में शरण ली है। अधिकारियों के मुताबिक 300 लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने मिजोरम में शरण ली है। असम के काछार जिले में 8 शेल्टर कैंप बनाए गए हैं। जिले के एक अधिकारी ने बताया, ‘शुक्रवार रात से ही मणिपुर के लोगों ने असम की तरफ आना शुरू कर दिया था। रविवार शाम तक कुल 2252 लोग आए गए थे। इनमें ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हैं।’ बड़े पैमाने पर पीडि़तों के घर जला दिए गए और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
इसके अलावा 300 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है क्योंकि वहां उनके रिश्तेदार थे। यही नहीं सीमावर्ती कस्बे मोरेह में रहने वाले मैतैई समुदाय के 300 लोग म्यांमार की सीमा में चले गए और वहां शरण मांगी है। यह ऐसे समय में हुआ है, जब खुद मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने म्यामांर से आए 500 शरणार्थियों को प्रदेश में रहने की मंजूरी दी है। मोरेह के एक शख्स ने बताया, ‘मोरेह के करीब 300 मैतेई समुदाय के लोगों ने सीमा पार करके म्यांमार में एंट्री ली है। हम में से ज्यादातर लोगों ने असम में ही शरण ली है।’ उन्होंने कहा कि म्यांमार में 300 लोग सुरक्षित ठिकाने की तलाश में गए हैं, लेकिन वहां उनकी सिक्योरिटी को लेकर हमें चिंता हो रही है।
काछार जिले के डिप्टी कमिश्नर रोहन कुमार झा ने कहा कि यहां शरणार्थियों को पर्याप्त राशन और खाना दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में नागिरक भी मदद कर रहे हैं और शरणार्थियों को राशन और पानी की सुविधा दे रहे हैं। पुलिस सुरक्षा में तैनात और वरिष्ठ अधिकारी कैंपों का दौरा कर रहे हैं। असम में अब तक कुल 2,252 लोग पलायन करके आए हैं और 300 लोग मिजोरम गए हैं। इतने ही लोगों ने म्यांमार में शरण ली है। इस तरह कुल 3000 लोगों को मणिपुर में हिंसा के चलते प्रदेश के बाहर जाना पड़ा है।
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