सांसद ने उठाया उत्तराखंड एमएसएमई का मुद्दा
अविकल उत्तराखंड
नई दिल्ली। हरिद्वार सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लोकसभा के मानसून सत्र में राज्य की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाइयों की वित्तीय चुनौतियों और ऋण उपलब्धता पर प्रश्न उठाया। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या उत्तराखंड में एमएसएमई इकाइयों को पर्याप्त ऋण मिल रहा है, ऋण गारंटी योजना (सीजीटीएमएसई) में राज्य को प्राथमिकता दी जा रही है या नहीं, और निवेश व जीएसटी रिफंड को लेकर क्या ठोस निगरानी तंत्र मौजूद है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित उत्तर में बताया कि 31 मार्च 2025 तक उत्तराखंड में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का एमएसएमई ऋण बकाया ₹53,164 करोड़ रहा। वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य में ₹25,385 करोड़ का ऋण संवितरण हुआ जो लक्ष्य से अधिक है। आगामी वर्ष के लिए ₹29,306 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है।
सीजीटीएमएसई योजना के तहत उत्तराखंड में अब तक ₹11,168 करोड़ की लगभग 1.51 लाख गारंटी स्वीकृत की गई हैं। विशेष श्रेणियों—महिला उद्यमी, एससी/एसटी, दिव्यांग और आकांक्षी जिलों—को अतिरिक्त लाभ दिए गए हैं। निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम, पीएम विश्वकर्मा, एमएसएमई क्लस्टर विकास, आरएएमपी तथा आत्मनिर्भर भारत फंड ऑफ फंड्स जैसी योजनाएँ लागू की जा रही हैं। इसके अंतर्गत देशभर की 645 एमएसएमई को पूंजी वृद्धि सहायता दी गई है, जिनमें उत्तराखंड की 5 इकाइयाँ शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि जीएसटी रिफंड और ऋणों के वितरण को सुगम बनाने हेतु रियल-टाइम ट्रैकिंग, सिंगल डिसबर्स्ड विंडो, समयबद्ध रिफंड, राज्य स्तरीय समितियाँ और विलंब होने पर ब्याज भुगतान जैसी व्यवस्थाएँ लागू की गई हैं।
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों की आर्थिक प्रगति में एमएसएमई की बड़ी भूमिका है और रोजगार व उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयास सराहनीय हैं।

