जानें इस दिन इतिहास
जानें राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2024 की थीम
नई दिल्ली। भारत में हर वर्ष 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से महाद्वीप वाणिज्य, व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था में समुद्र के महत्व को बढ़ावा देना है।
भारत के राष्ट्रीय समुद्री दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय समुद्री दिवस पहली बार 5 अप्रैल 1964 को मनाया गया था। भारतीय नौवहन की गाथा पहली बार 5 अप्रैल, 1919 को शुरू हुई, जब द सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लिमिटेड के पहले जहाज एसएस लॉयल्टी ने मुंबई से यूनाइटेड किंगडम (लंदन) की यात्रा की। इस दिन “वरुण (Varuna)” नामक पुरस्कार उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने भारतीय समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है।
नौका एसएस लॉयल्टी की खासियत
नौका एसएस लॉयल्टी मूलतः एक ब्रिटिश जहाज था जो 1890 में भारत में ही बना था। 485 फुट लंबा यह जहाज 5940 टन का था इसे ग्वालियर के महाराज ने 1914 में खरीदा था जो बाद में उन्हीं के नाम की कंपनी ने खरीद लिया था। इस कंपनी में वालचंद हीराचंद और नरोत्तम मोरारजी की भागीदारी थी। इस जहाज की पहली यात्रा 5 अप्रैल 1919 को शुरू हुई थी। इस जहाज की यात्री क्षमता 700 यात्रियों की थी जिसे बाद में कार्गो जहाज में बदल दिया था और केवल चार साल बाद ही इसका उपयोग बंद कर दिया था, लेकिन यह जहाज और इसकी पहली यात्रा को भारत के समुद्री व्यापार के लिहाज से अहम अवसर माना जाता है।
राष्ट्रीय समुद्री सप्ताह का आयोजन
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 31 मार्च को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘प्रथम मर्चेंट नेवी ध्वज’ लगाकर राष्ट्रीय समुद्री समारोह का शुभारंभ किया।
इस दिन के महत्व को चिन्हित करने के लिए भारत सरकार 30.03.2023 से 05.04.2023 तक राष्ट्रीय समुद्री सप्ताह का आयोजन कर नाविकों की सेवाओं को श्रद्धांजलि दे रही है और भारत की उस गौरवशाली घटना का जश्न मना रही है।
राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2024 की थीम
हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रीय समुद्री दिवस की थीम तैयार की गई है। इस साल की थीम ‘भविष्य को नेविगेट करना, सुरक्षा पहले’ है। यह थीम समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालती है।
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