दिल्ली में उठी उत्तराखण्ड के मूलनिवासियों को जनजातीय दर्जा देने की आवाज

वक्ताओं ने कहा, संविधान की 5वीं अनुसूची लागू की जाय

अविकल उत्तराखंड

नई दिल्ली। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में संविधान की 5वीं अनुसूची लागू करने एवं पहाड़ के मूलनिवासियों को जनजातीय दर्जा लागू कराने के लिए उत्तराखंड एकता मंच का अधिवेशन नई दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान में संपन्न हुआ l अधिवेशन में इतिहासकार,वकील, पत्रकार, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी तथा गढ़वाली ट्राइबल कमेटी एवं कुमाऊनी ट्राइबल कमेटी के पदाधिकारी शामिल हुए l एकता मंच के अनूप बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंडी जनमानस अपने नदी,जंगल ,पहाड़ पर वैसे ही अधिकार चाहते है, जैसे बाकी हिमालयी राज्यों को मिले हैं l

इसलिए हम भारत सरकार से अन्य हिमालयी राज्यों की तरह संविधान की 5वीं अनुसूची लागू किए जाने और जनजातीय दर्जा प्रदान किए जाने की मांग कर रहे हैं l
वरिष्ठ लेखक और पत्रकार सुरेश नौटियाल ने कहा कि भारत सरकार एवं उत्तरप्रदेश सरकार के दस्तावेजों के आधार पर उत्तराखंड एकता मंच का दावा सही है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में 5वीं अनुसूची पूर्व में लागू थी, जिसे सरकार ने हमसे 1972 में छीन लियाl उन्होंने कहा कि सन 1995 तक पहाड़ के लोगो को शिक्षा में 6% आरक्षण मिलता था, वह भी सरकार ने हमसे छीन लिया.

निशांत रौथाण ने कहा कि गढ़वाली और कुमाऊनी ट्राइबल कमेटियां दस्तावेजों के आधार पर सरकार से बातचीत करेंगीl उन्होंने आशा व्यक्त की कि जल्द ही पहाड़ में पांचवीं अनुसूची लागू होगी और क्षेत्र को जनजतीय दर्जा मिलेगाl

वक्ताओं में हिंदी, संस्कृत, गढ़वाली, कुमाऊनी एवं जौनसारी अकादमी के पूर्व सचिव डा. जीतराम भट्ट, वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा, उत्तराखंड पत्रकार परिषद् दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानेंद्र पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार और अध्येता श्याम सिंह रावत, प्रोफेसर ईश मिश्रा और डॉ हरपाल सिंह नेगी जैसे महत्वपूर्ण लोगों ने उत्तराखंड में संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू किए जाने और क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने की जोरदार वकालत की l

अधिवेशन में पांचवीं अनुसूची के लाभ पर विस्तार से चर्चा हुई l वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में पांचवीं अनुसूची लागू होने से कई लाभ होंगे जैसे – शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण, नदी, जंगल, पहाड़ पर अधिकारl नदी एवं जंगल से रोजगार बड़ी कंपनियों की जगह पहाड़ के मूलनिवासियो को मिलेगा । केवल नदी एवं जंगल 2 लाख से ज्यादा परिवारों को रोज़गार दे सकते है l अनुसूचित जनजाति कल्याण अधिनियम से हमारी बहन, बेटियां सुरक्षित होंगी । स्थानीय उत्पादों और प्राकृतिक संसाधनों को बेचने का अधिकार भी स्थानीय लोगों को होगा। विकास के लिए राज्य एवं केन्द्र सरकार से अलग से बजट मिलेगा, भाषा एवं संस्कृति संरक्षण एवं विकास किया जाएगा , मूल निवास 1950 एवं 100% भू कानून स्वतः ही मिल जाएंगे l

अधिवेशन में इस बात पर भी चर्चा हुई की देश में मूल निवास 1950 केवल जनजातीय दर्जा प्राप्त होने पर ही मिलता है l देश में कभी भी सामान्य वर्ग के लोगों को मूल निवास 1950 नहीं मिलता है l मूलनिवास 1950 पाने के लिए पहाड़ के लोगों को जनजातीय दर्जा पाना ही होगा l

अधिवेशन में महेंद्र रावत, अश्वनी मैंदोला, योगेश्वरबिष्ट , ज्योति डंगवाल ,पी.एनशर्मा,आदि समाजसेवी भी शामिल हुए l

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *