अविकल उत्तराखंड
हरिद्वार। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को हरकी पैड़ी पर श्रीगंगा सभा द्वारा गंगा सप्तमी के शुभ अवसर पर अयोजित गंगा मैया जन्मोत्सव में प्रतिभाग किया, जहां उन्होंने मां गंगा की पूजा-अर्चना की एवं मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करते हुये देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि तथा खुशहाली के लिये मां गंगा से प्रार्थना की।
उल्लेखनीय है कि भारत में गंगा मैया का जन्मोत्सव वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाया जाता है। गंगा जन्मोत्सव पुष्य नक्षत्र और अमृत सिद्ध योग में मनाया जाता है। इस दिन माता गंगा ब्रह्म लोक से ब्रह्मा जी के कमण्डल से निकलकर, भगवान विष्णु जी के चरणों को धोती हुई, भगवान आशुतोष की जटाओं में आई थी।
इस अवसर पर जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ0 योगेन्द्र सिंह रावत, अपर जिलाधिकारी पल0एल0 शाह, सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ0 जयपाल सिंह चौहान, मीडिया प्रभारी लव शर्मा, गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, पुजारी अमित शास्त्री सहित सम्बन्धित अधिकारीगण एवं पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
जानिए गंगा जन्मोत्सव (पुनर्जन्म ) की कथा
मां गंगा मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। जन्म से लेकर मत्यु तक सभी अनुष्ठानों में मां गंगा के जल का प्रयोग किया जाता है। वैसाख मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में जाना जाता है। गंगा सप्तमी को मां गंगा के पुनर्जन्म के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाने वाली गंगा सप्तमी का बहुत ही खास महत्व है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थीं, इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। मां गंगा का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है, जहां मां गंगा को जाह्नवी कहा गया। पौराणिक कथा के अनुसार गंगा तीव्र वेग से बह रही थी और ऋषि जह्नु ध्यान में लीन थे। उनका कमंडल गंगाजल के साथ बह गया। जब ऋषि का ध्यान पूरा हुआ तो यह देखकर बहुत क्रोधित हो गए और पूरी गंगा को पी गए।
इस पर भागीरथ ने उनसे आग्रह किया तब ऋषि ने गंगा को अपने कान से बाहर निकाला। उस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी थी, इसलिए इस दिन से गंगा सप्तमी मनाई जाती है। जह्नु ऋषि की कन्या होने के कारण ही मां गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है। गंगा सप्तमी के दिन यदि मां गंगा के इन मंत्रों का जाप किया जाए तो श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के समान पुण्य प्राप्त होंगे।
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