मुख्यमंत्री धामी से मिले तीर्थ पुरोहित, देवस्थानम् बोर्ड को तत्काल भंग कर पूर्ववर्ती स्थिति बहाल करने की मांग
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर चारधाम देवस्थानाम् बोर्ड को भंग कर पूर्ववत स्थिति बहाल करने की मांग की।
समिति के अध्यक्ष अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उत्तराखंड सरकारा द्वारा पारित चारधाम देवस्थानम् प्रबंधकीय विधेयक 2029 लागू होने से उत्तराखंड के तीर्थों और चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूक धारी एवं आम जनता के मन में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
इस अधिनियम के माध्यम से सरकार इन तीर्थों एवं धामों की सम्पूर्ण व्यवस्था को अपने हाथों में रखने की मंशा पाले है। सरकार अधिनियम के माध्यम से अपनी आमदनी बढ़ाना चाह रही है। चाहे इसके लिए इन धामों से संबंधित आम जनता के हितों की बलि ही क्यों न चढ़ानी पड़े।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विधेयक बनाने से पहले वहां से जुड़े तीर्थ पुरोहितों, पुजारियों, रावल, पण्डा समाज हक-हकूक धारियों और स्थानीय जनता से किसी भी प्रकार का संवाद नहीं किया। उन्हें विश्वास में लिए बिना चारधाम देवस्थानम बोर्ड को कैबिनेट और विधानसभा से पारित कर दिया।
महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि चारों धामों के सूचीबद्ध अभिलेख मौजद हैं। इसके अलावा अन्य मंदिरों के अभिलख्ेा वहां की स्थानीय समिति और पंचायत के पास अनादिकाल से सूचीबद्ध हैं। उदाहरण के लिए बदरीनाथ मंदिर में वहां के बारे में अनादिकाल से जुड़े प्रत्येक तथ्य वहां के डट्टा-पट्टा/अमलदस्तूर नामक पुस्तक में प्रत्येक हकदारों के दस्तूर व समय-समय पर वहां के लागों द्वारा मंदिर के हित में किए गए योेगदान सूचीबद्ध हैं। इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों की बहियां और राजस्व विभाग के अभिलेख आज भी मौजूद हैं।
केदारनाथ और बदरीनाथ मात्र मंदिर नहीं तीर्थ धाम हैं।
डिमरी ने कहा कि तीर्थों की मर्यादा मात्र दर्शन-पूजन तक की सीमित नहीं है। तीर्थ मोक्ष के साधन होते हैं। यहां मात्रा पूजन, दान, पितृ मोक्ष और स्वयं को मोक्ष हेतु साधना प्राप्त की जाती है। इस समस्त संस्कारों के समापन के लिए शास्त्र सम्मत विधान हैं। इन तीर्थों की यात्रा हर व्यक्ति नहीं कर सकता। इसी प्रकार इन तीर्थों के पूजन का कार्य भी निश्चित श्रेणी के व्यक्ति कर सकते हैं। इसी प्रकार इन तीर्थों में दान प्राप्ति का अधिकार निश्चित श्रेणी के व्यक्ति एवं समुदाय कर सकते हैं।
महामंत्री डिमरी ने कहा कि सरकार इन तीर्थों एवं मंदिरों के लिए बालाजी तिरुपति और वैष्णो देवी माॅडल दिया है, जो शास्त्र सम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि चारधाम देवस्थानम् बोर्ड केवल उत्तराखंड सरकार और यहां के चारों तीर्थों और मंदिरों तथा उनके तीर्थ पुरोहितों एवं हक-हकूक धारियों से संबंधित ही नहीं है बल्कि यह विधयेक करोड़ों हिन्दुओं की धार्मिक अधिकारों एवं आस्थाओं और विश्वास पर भी आघात करता है। यह विधयेक भारतीय संविधान में प्रदत्त धर्म संबंधित मौलिक आधकारों को बाधित करता है। डिमरी ने मुख्यमंत्री से चारधाम देवस्थानम् बोर्ड को तत्काल भंग कर 27 नवंबर 2019 से पूर्व जो स्थिति थी उसे बहाल करने की मांग की।
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