शासन ने अखबारों में छपी खबर को तथ्यहीन व भ्रामक समाचार करार दिया। मनोज सक्सेना, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, ने इस आशय का बयान दिया गया था।
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। संस्कृति विभाग ने आज बैठक कर उन खबरों का खुला खण्डन किया गया है जिसमें बीते दिनों केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने सम्बन्धी बात कही गयी है।
इस मसले पर शुक्रवार को संस्कृति सचिव हरिश्चंद्र सेमवाल ने बैठक आहूत कर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को ऐसे भ्रामक बयान देने के लिए फटकारा। और कहा कि ऐसे बयानों से आम जनमानस में गलत संदेश जाता है।
कुछ दिन पूर्व मनोज सक्सेना, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, देहरादून मण्डल के हवाले से इस आशय का बयान दिया गया था। सचिव संस्कृति ने कहा कि शासन स्तर पर ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। भविष्य में ऐसी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक तथ्यहीन व निराधार खबर है।
संस्कृति निदेशक बीना भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड के अन्तर्गत 70 स्मारक / स्थल संरक्षित घोषित हैं, जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रदेश के 43 स्मारक / स्थल संरक्षित घोषित हैं। केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किये जाने सम्बन्धी प्रकरण संस्कृति विभाग के कार्य क्षेत्र में नहीं है, और न ही इस प्रकार का कोई प्रस्ताव संस्कृति निदेशालय की ओर से शासन संदर्भित किया गया है।
संस्कृति निदेशक बीना भट्ट की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति का मूल सार
आज दिनांक 22 अप्रैल, 2022 को सचिव, संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड शासन श्री हरिचन्द्र सेमवाल द्वारा दिनांक 22-04-2022 के दैनिक • समाचार पत्र अमर उजाला में प्रकाशित समाचार त्रिवेन्द्र की गलती न दोहराएं धामी–महापंचायत एवं दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित समाचार ‘केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर बनाने का विरोध के सम्बन्ध में बैठक आहूत की गयी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, देहरादून गण्डल से श्री मनोज सक्सैना, अधीक्षण पुरातत्वविद एवं श्री राज किशोर मीना, सहायक अधीक्षण, पुरातत्वविद् उपस्थित रहे।
सचिव, संस्कृति द्वारा बैठक में उपस्थित श्री मनोज सक्सेना, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, देहरादून मण्डल से जानकारी चाही गई आप के माध्यम से दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र में दिनांक 13-04-2022 को समाचार प्रकाशित किया गया था कि ‘केदारनाथ मन्दिर राष्ट्रीय धरोहर बनेगा इसका आधार क्या है? क्या इस सम्बन्ध में शासन स्तर से कोई आदेश निर्गत हुआ है? अधीक्षण पुरातत्वविद् द्वारा अवगत कराया गया कि इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड शासन स्तर से कोई भी निर्देश जारी नहीं किये गये हैं, जिस पर सचिव, संस्कृति द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि इस प्रकार तथ्यहीन एवं भ्रामक सूचना प्रकाशित होना कदापि उचित नहीं है, जिससे आम जनमानस में गलत संदेश पहुँचता है। अतः अपने विभाग के स्तर से वास्तविक तथ्यों से महानिदेशक, सूचना को तत्काल अवगत करायें ताकि सही तथ्यों का संज्ञान लेते हुए उनके द्वारा समाचार प्रकाशित कराया जा सके।
निदेशक, संस्कृति द्वारा अवगत कराया गया कि संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत वही स्मारक / स्थल संरक्षित घोषित होते हैं जो पुरातात्विक महत्ता के होते हैं। वर्तमान में संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत 70 स्मारक / स्थल संरक्षित घोषित हैं, जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रदेश के 43 स्मारक / स्थल संरक्षित घोषित हैं। केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किये जाने सम्बन्धी प्रकरण संस्कृति विभाग के कार्य क्षेत्र में नहीं है, और न ही इस प्रकार का कोई प्रस्ताव संस्कृति निदेशालय की ओर से शासन संदर्भित किया गया है।
सचिव, संस्कृति ने दिनांक 22 अप्रैल, 2022 को विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार का खण्डन करते हुए कहा कि केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किये जाने हेतु संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं है और न ही भविष्य में ऐसी कोई योजना है।
सचिव, संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड शासन ने कहा कि केदारनाथ धाम ऐतिहासिक एवं पौराणिक धार्मिक आस्था का केन्द्रबिन्दु है, जिसमें देश ही नहीं अपितु पूरे विश्वभर के श्रद्धालुओं की आस्था है। प्रदेश के धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिये सुगम एवं सुव्यवस्थित करना हमारा ध्येय है। धार्मिक आस्था के प्रतीक इन महत्वपूर्ण स्थलों का सर्वांगीण विकास करना प्राथमिकता है।
सचिव, संस्कृति ने विभिन्न समाचार पत्रों में केदानाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किये जाने सम्बन्धी समाचार का खण्डन करते हुए कहा कि यह खबर पूरी तरह निराधार एवं तथ्यहीन है। शासन की ओर से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव भारत सरकार को नहीं भेजा गया है।
बैठक में सुश्री बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति के अतिरिक्त श्री मनोज सक्सैना, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, देहरादून एवं श्री राज किशोर मीना, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, देहरादून उपस्थित थे।
निदेशक
संस्कृति विभाग उत्तराखण्ड, देहरादून
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