कांवड यात्रा संचालन के सम्बन्ध में पड़ोसी राज्यों से किया जायेगा विचार विमर्श-सीएम
कहीं कुम्भ की तरह कांवड़ यात्रा भी न बन जाय सुपर स्प्रेडर
हाईकोर्ट चारधाम यात्रा पर लगा चुकी है रोक। स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी प्रदेश सरकार को लगातार लग रही फटकार
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। हाईकोर्ट के सख्त रुख व कोरोना की तीसरी लहर की दहशत के बीच सावन के महीने में चलने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार अपने स्तर पर कोई फैसला नहीं ले पायी है। गुरुवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह तय किया गया कि पहले पड़ोसी राज्यों से कांवड़ यात्रा से जुड़े हर पहलु पर विचार विमर्श किया जाय। उसके बाद ही
कोई फैसला लिया जाय।
बीते साल कोरोना की वजह से कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गयी थी। हाल ही में कुमायूँ की तराई में डेल्टा प्लस वेरिएंट मिलने से खलबली मची हुई है। राज्य में कोरोना से 7 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि ब्लैक फंगस से भी 100 से अधिक लोगों का निधन हुआ है।
प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए कांवड़ यात्रा भी कहीं कुम्भ की तरह कोरोना सुपर स्प्रेडर न साबित हो जाय। शासन स्तर पर इस मुद्दे पर भी मंथन जारी है। कांवड़ यात्रा में कई प्रदेश के श्रद्धालु हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री व अन्य पवित्र स्थलों से गंगाजल लेने उत्त्तराखण्ड आते हैं।
इधऱ, नैनीताल हाईकोर्ट प्रदेश कैबिनेट के फैसले पर रोक लगाने जे बाद चारधाम यात्रा को 28 जुलाई तक स्थगित कर चुकी है। कांवड़ यात्रा को लेकर भी हाईकोर्ट सख्त आदेश जारी कर सकता है।
इधर, कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सच
िवालय में शासन के उच्चाधिकारियों की बैठक ली। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि इस सम्बन्ध में पड़ोसी राज्यों के साथ व्यापक विचार विमर्श कर सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाय।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. सन्धु, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव नितेश झा, अमित नेगी, शैलेश बगोली, दिलीप जावलकर, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, जिलाधिकारी हरिद्वार सी. रविशंकर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सेंथिल अवूदई कृष्णराज के साथ ही अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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