पिछले महीने रिंगटेल कैट भी पकड़ी गई थी एयरपोर्ट से
देहरादून: जौलीग्रांट एयरपोर्ट में गुलदार घुसने से अफरा तफरी मच गई। फॉरेस्ट विभाग की रेसक्यू टीमें पिछले कई घंटे से गुलदार को रेस्क्यू करने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। गुलदार के एयरस्ट्रिप के पास स्थित एक ड्रेनेज में घुस जाने से अभी तक रेस्क्यू नहीं किया जा सका है।
एयरपोर्ट की सुरक्षा में लगी सीआरपीएफ को आज सुबह एयरस्ट्रिप के पास गुलदार नजर आया। सीआरपीएफ द्वारा तत्काल इसकी सूचना फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को दी गई। फारेस्ट डिपार्टमेंट की दो टीमें रेसक्यू ऑपरेशन में लगी हुई हैं। लेकिन, गुलदार के ड्रेनेज पाइप में घुस जाने के कारण रेसक्यू में दिक्कत आ रही है।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट जंगल से लगा हुआ है। यहां अक्सर बन्दर, सियार और भेड़िए एयरस्ट्रिप पर आ जाते हैं। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट यहां पिंजरे लगाकर अभी तक कई बंदर और सियार पकड़ चुका हैं। पिछले महीने रिंगटेल कैट भी पहली बार यहां से पकड़ी गई थी। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट यहां अक्सर पिंजरा लगा के रखता है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने अब एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम बुलाई है। गुलदार को ट्रेंकुलाइज करने की योजना है। लेकिन इसके लिए भी तब तक इंतजार करना होगा जब तक गुलदार ड्रेनेज से बाहर नहीं आ जाता।
बाघों की संख्या उसकी क्षमता से अधिक हो गई है
बता दें कि बीते दिनों खबर सामने आई थी कि 71 फीसदी फॉरेस्ट कवर्ड एरिया वाले उत्तराखंड के प्रसिद्व दो पार्कों, कार्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी नेशनल पार्क जिसे अब राजाजी टाइगर रिजर्व भी कहा जाता है, में बाघ और हाथियों की संख्या क्षमता से अधिक हो गई है। भारतीय वन्य जीव संस्थान, डब्लूआईआई की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। डब्लूआईआई के वैज्ञानिकों को उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा जून में एक प्रोजेक्ट सौंपकर इन दोनों पार्कों की बाघ और हाथियों की कैंरिग क्षमता पता करने को कहा था। डब्लूआईआई ने इस रिपोर्ट का कुछ पार्ट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को सौंप दिया है। रिपोर्ट बताती है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या उसकी क्षमता से अधिक हो गई है।
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