जलवायु परिवर्तन के बीच मानसून और पश्चिमी विक्षोभ की टकराहट
बढ़ा भारी बारिश का खतरा
डॉ एसपी सती, जियोलॉजिस्ट
पिछले चौबीस घंटे जम्मू कश्मीर के लिए ज्यादा गंभीर रहे। राँसी में 23 सेमी बारिश रिकॉर्ड हुई।
जिज्ञासुओं, ज्योग्राफी, जियोलॉजी, और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं छात्र-छात्राओं के लिए यह लिख रहा हूं।
वास्तव में उत्तर भारत में बारिश दो तरह से होती है। पहले दक्षिण पश्चिम मानसून और दूसरा पश्चिमी विक्षोभ।
सामान्यतः इन दोनों सिस्टम ने अपने लिए साल भर का अलग-अलग समय निर्धारित कर रखा है । उदाहरण के लिए पश्चिमी विक्षोभ सामान्यतः जाड़ों के मौसम में और दक्षिण पश्चिम मानसून गर्मियों में सक्रिय रहता है।
परन्तु कभी कभी एक असामान्य स्थिति आती है जब हिमालय क्षेत्र में गर्मियों में जून से सितंबर तक कभी भी दक्षिण पश्चिम मानसून सक्रिय रहता है।
उन्हीं दिनों पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय हो जाता है ।इसके अतिरिक्त यहां कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है और असामान्य रूप से एक अतिरिक्त आद्रता वाला सिस्टम सीधे अरब सागर से उठ कर हिमालय की ओर आजाता है।
इस तरह तीन आर्द्रताओं का दुर्लभ संयोग बन जाता है। इस कारण इस क्षेत्र – लगभग संपूर्ण पश्चिमी हिमालय और कुछ कुछ मध्य हिमालय के क्षेत्र में एक साथ भयानक बारिश होती है। यह असामान्य अवस्था लगभग एक हफ्ते तक चल सकती है।
जून 2013 की केदारनाथ आपदा में इसी तरह की असामान्य स्थिति थी। कमोबेश इस बार भी यही स्थिति है।अंतर इतना है कि 2013 में कम दबाव का क्षेत्र मुख्यतः उत्तराखंड और कुछ कुछ हिमाचल के ऊपर बना था।
इसी कारण उस घटना में पूर्व में काली नदी से लेकर सतलुज तक एक साथ 16 या 17 नदियों बाढ़ आई थी। वहीं अभी वाली स्थिति में संपूर्ण पश्चिमी हिमालय में कम दबाव का क्षेत्र बना है जो कश्मीर के ऊपर अधिक तीव्र है।यही कारण है कि इस दौरान कश्मीर से लेकर उत्तराखंड तक लगभग हर नदी खतरे के निशान के करीब या उसके ऊपर बह रही है। इस कारण मैदानी क्षेत्रों में भी व्यापक बाढ़ देखी जा रही है। जिसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है।
इसके अतिरिक्त यह भी देखा जा रहा है कि बरसात के मौसम में बड़ा बदलाव आ रहा है या तो यह पहले आ जा रहा है और या फिर बाद तक रह रहा है।
उदाहरणार्थ उत्तराखंड में मानसून 2013 में लगभग डेढ़ हफ्ते पहले आ गया था और 2023, 2024 में अक्टूबर अंत तक रहा।
यही नहीं, पहले उच्च हिमालय क्षेत्र में मूसलाधार बारिशों नहीं होती थी परंतु अब देखो जा रहा हैं।

