‘इंटीग्रेटिव वेलनेस मेडिसिन: आने वाले दशक का स्वास्थ्य मॉडल’

अमेरिका और यूरोप में इंटीग्रेटिव मेडिसिन यूनिट्स में इजाफा

लाइफस्टाइल बीमारियों में तेजी से उछाल आया -डॉ बिष्ट

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। नये अनुसंधान से घ तथ्य सामने आया है कि भविष्य इंटीग्रेटिव और वेलनेस मेडिसिन का होगा—जहाँ इलाज के साथ-साथ जीवनशैली, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और शरीर के मूल संतुलन पर समान जोर दिया जाता है।

दून मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एन एस बिष्ट ने 23वें उत्तराकोन में बतौर एक्सपर्ट्स यह बात कही।

डॉ बिष्ट ने अपने लंबे व्याख्यान में बताया कि
तेजी से बदलती जीवनशैली संबंधी बीमारियों और तनावपूर्ण कार्यशैली के बीच स्वास्थ्य को कैसे ठीक रखा जाना चाहिए।
डॉ बिष्ट ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में चिकित्सा की दिशा तेजी से बदलने वाली है।

डॉ बिष्ट ने कहा कि हालिया लाइफस्टाइल बीमारियों में तेजी से उछाल आया है । स्वास्थ्य रिपोर्ट्स के अनुसार डायबिटीज, हाई बीपी, थायरॉइड, PCOS, फैटी लिवर और उच्च तनाव से जुड़ी समस्याओं में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा लक्षणों को नियंत्रित तो करती है, लेकिन बीमारी के वास्तविक कारण—गलत खानपान, कम नींद, तनाव, हार्मोनल असंतुलन—अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।

इंटीग्रेटिव मेडिसिन क्यों बना विकल्प?

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ बिष्ट ने कहा कि मरीज की डाइट, नींद, तनाव और आदतों का विस्तृत मूल्यांकन आधुनिक मेडिकल टेस्ट के साथ गट हेल्थ, माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स और इंफ्लेमेशन पर फोकस जरूरी है ।

डॉ बिष्ट कहते हैं कि दवाओं के साथ योग, पोषण, माइंडफुलनेस और वेलनेस थेरेपी का संतुलित संयोजन आवश्यक हो गया है।  यही नहीं, प्रत्येक व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजना (पर्सनलाइज्ड प्लान)बनाना नितान्त आवश्यक हो चुका है ।

डॉ बिष्ट का कहना है कि यह मॉडल “रोग केंद्रित” नहीं, बल्कि रोगी केंद्रित है, जिससे लंबे समय तक लाभ मिलता है।

विश्वभर में इंटीग्रेटेड वेलनेस पर बात हो रही है और इसकी  स्वीकार्यता बढ़ रही है ऐसे में भारतीय परिपेक्ष में हमें नई चिकित्सा पद्धति की तरफ ध्यानाकर्षण आवश्यक हो जाता है । अमेरिका और यूरोप के प्रमुख अस्पतालों में इंटीग्रेटिव मेडिसिन यूनिट्स तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में भी कई बड़े अस्पताल, मेडिकल विश्वविद्यालय और वेलनेस संस्थान इसी मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यह बदलाव “इलाज से ज्यादा बचाव” को प्राथमिकता देने की ओर संकेत करता  है जिससे मरीजों में बदलाव के सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है ।
स्वास्थ्य रिपोर्टों के अनुसार इंटीग्रेटिव मॉडल अपनाने वाले मरीजों मे,दवाओं पर कम निर्भरता कम हुई है ।
क्रॉनिक बीमारियों में बेहतर नियंत्रण देखा गया है तनाव और अनिद्रा में कमी इसकी बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है ।

यही नहीं, ऊर्जा स्तर और नियमित जीवन शैली, गुणवत्ता में सुधार देखा गया है ।
डॉ बिष्ट ने कहा कि  “भविष्य की चिकित्सा केवल रोग शमन नहीं, बल्कि शरीर, मन और जीवनशैली का संतुलन पुनर्स्थापित करने पर आधारित होगी।”
आने वाले दशक का स्वास्थ्य मॉडल केवल दवाओं पर आधारित नहीं रहेगा।
इंटीग्रेटिव और वेलनेस मेडिसिन,जहाँ आधुनिक विज्ञान और जीवनशैली-आधारित उपचार साथ चलते हैं—अब चिकित्सा जगत का नया मार्ग बनने जा रहा है।
डॉ बिष्ट ने बताया कि मानसिक तनाव कम करने की टेक्नीक  ब्रीदिंग थैरेपी,इम्यून थेरेपी, कई बीमारियों को समय से पहले ठीक करने में सहायक हो रही हैं,उनका कहना है कि माइंडफुल ब्रीदिंगअब कैंसर के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है । यह तनाव और पेन मैनेजमेंट का हिस्सा बन चुका है ।
इसलिए आने वाला समय निश्चित तौर पर चिकित्सा क्षेत्र में नए बदलाव और नए कीर्तिमान स्थापित करने की ओर बढ़ने वाला होगा ।

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों में “ इंटीग्रेटिव मेडिसिन” की जानकारी न होने से “ अकुशल” का तमगा लग सकता है— क्योंकि इंटीग्रेटिव मेडिसिन अब “ चिकित्सा का मानक” बन चुका है।

Integrative Oncology की परिभाषा और विज्ञान

डॉ. बिष्ट ने बताया कि Integrative Oncology वह मॉडल है जिसमें
Conventional cancer treatment (सर्जरी, कीमो, रेडिएशन) के साथ —
Mind–Body Medicine, Nutrition, Lifestyle Medicine, Acupuncture, Yoga, Psycho-oncology जैसी प्रमाणित तकनीकों को जोड़कर उपचार के प्रभाव को बढ़ाया जाता है।

उन्होंने ज़ोर दिया कि यह “वैकल्पिक इलाज” नहीं, बल्कि evidence-based supportive care है, जिसे विश्व की प्रमुख संस्थाएँ (NCI, ASCO, SIO) समर्थन देती हैं।

Mind–Body Medicine की भूमिका

लेक्चर में बताया गया कि mindfulness, breathing therapy, yoga और relaxation techniques कैंसर मरीजों में—
• तनाव, चिंता और अनिद्रा को कम करते हैं
• Cancer-related fatigue में clinically significant सुधार देते हैं
• Pain control में सहयोग करते हैं
• Treatment adherence व quality of life बढ़ाते हैं

डॉ. बिष्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि mind–body interventions में कोई दुष्प्रभाव नहीं होते और ये modern oncology को सशक्त बनाते हैं।

Evidence-Based Approach

लेक्चर में Integrative Oncology के अनेक वैश्विक शोध और clinical trials प्रस्तुत किए गए, जिनमें शामिल था:
• Yoga in breast cancer fatigue (Level A evidence)
• Meditation for cortisol reduction
• Acupuncture for chemotherapy-induced nausea
• Lifestyle interventions improving survivorship outcomes

इससे सभी प्रतिभागियों को यह समझ आया कि यह क्षेत्र कठोर वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित है।

Clinical Practice में उपयोग

डॉ. बिष्ट ने अस्पतालों में लागू किए जा सकने वाले practical protocols भी साझा किए—
• Chemo room में guided imagery
• Radiotherapy से पहले 5-minute breathing module
• Pain clinic में acupuncture + relaxation
• Cancer survivors के लिए lifestyle & nutrition roadmap

इनसे मरीजों का तनाव कम होता है और उपचार का अनुभव अधिक मानवीय और सुरक्षित बनता है।




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