प्राचीन धातु-पात्रों के उपयोग व  चिकित्सा सेवा पर विशेष जोर

UCOST सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण, आयुर्वेद व एक्यूप्रेशर स्वास्थ्य शिविर आकर्षण का केंद्र

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन  में गंगा मैती परिवार संस्था ने  निःशुल्क आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा व एक्यूप्रेशर द्वारा असाध्य रोगों के निदान और उपचार की सेवा प्रदान की गई।


साथ ही मां गंगा को स्वच्छ रखने, पर्यावरण संरक्षण, तथा तांबा, पीतल, मिट्टी जैसे परंपरागत धातु-पात्रों के उपयोग के प्रति जागरूकता दी गई।

कैंप का उद्घाटन प्रो. दुर्गेश पंत, महानिदेशक—उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, की धर्मपत्नी रीमा पंत द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में डॉ. पीयूष गोयल सहित विभिन्न वैज्ञानिक व विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

डॉ. के. के. शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष पीजी मेडिकल कालेज , हरिद्वार की देखरेख में शिविर का संचालन किया गया।

शिविर में सहभागिता

तीन दिवसीय शिविर में देश-विदेश के प्रतिभागियों, स्कूलों व विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों, सरकारी–गैरसरकारी संस्थाओं, विभागों के प्रतिनिधियों और नागरिकों ने भाग लिया।

स्वास्थ्य सेवाएं व उपचार

डॉ. दीपा एन. मोठघरे (पूर्व अधिकारी, नीति आयोग), जो 30 वर्षों से निःशुल्क एक्यूप्रेशर सेवा दे रही हैं और मरणोपरांत देहदान का संकल्प रखती हैं, ने लगभग 150 नागरिकों का सर्वाइकल, साइटिका, घुटना दर्द, कमर दर्द, श्वास रोग आदि का चमत्कारिक उपचार किया।

इसके अतिरिक्त BP, शुगर, थायराइड, हड्डी रोग, स्त्री–पुरुष बांझपन जैसे रोगों के स्थायी निदान हेतु विशेष उपचार व प्रशिक्षण दिया गया।
देव पाल सिंह (नीति आयोग) और महेश चंद्र नौटियाल (पूर्व अधिकारी—सम्पदा मंत्रालय) ने शिविर संचालन व जागरूकता में विशेष सहयोग दिया।

पर्यावरण व संस्कृति संरक्षण का संदेश

गंगा मैती संस्था के अध्यक्ष आर. डी. चमोली ने देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक जीवनशैली को आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने की अपील की। उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को जीवन व पर्यावरण के लिए हानिकारक बताते हुए इसे त्यागने पर जोर दिया।

उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि विद्यालयों में स्वास्थ्य, पर्यावरण, धातु-पात्रों के उपयोग, और पारंपरिक जीवनशैली को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।

संस्था सदस्यों का योगदान

संस्था के मुंबई क्षेत्र प्रमुख प्रवीण ठाकुर, आर. के. महापात्रा, स्लोचना कपिल, मीनाक्षी भट्ट, मनोज भट्ट, प्रहलाद अधिकारी आदि का विशिष्ट योगदान रहा।

स्वास्थ्य व जीवनशैली पर विशेष व्याख्यान

नीति आयोग, नई दिल्ली के कल्याण अधिकारी टी. वी. सिंह, जो लंबे समय से निःस्वार्थ एक्यूप्रेशर शिविरों के संचालन व पर्यावरण जागरूकता में योगदान दे रहे हैं, ने जीवनशैली, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और मोबाइल के दुष्प्रभाव पर प्रभावी व्याख्यान दिया।

UCOST का सहयोग

UCOST के वैज्ञानिक मंडल—डॉ. डी. पी. उनियाल, डॉ. आशुतोष मिश्रा, डॉ. अमित पोखरपाल ने शिविर का निरीक्षण किया, एक्यूप्रेशर टीम की सराहना की और आश्वस्त किया कि इस पद्धति को भविष्य में प्राथमिक उपचार विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा तथा विद्यालयों में समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के प्रतिनिधियों, विद्यार्थियों व अधिकारियों ने एक्यूप्रेशर के लाभ अनुभव किए और भविष्य में अपने क्षेत्रों में ऐसे शिविर आयोजित कराने का आग्रह किया।

सम्मान समारोह

UCOST द्वारा डॉ. दीपा मोठघरे, आर. डी. चमोली, टी. वी. सिंह और महेश चंद्र नौटियाल को सम्मानित किया गया। संस्था ने UCOST के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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