इलाज में लापरवाही से फौजी के मासूम की मौत ने झकझोरा

..शुभांशु हमें माफ करना… हम शर्मिंदा हैं

सीएम ने दिए जांच के आदेश

पिथौरागढ़ जिले की नानी-नातिन की मौत की भी हुई थी जांच

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। पिता जम्मू कश्मीर की सरहद पर तैनात। और डेढ़ साल के बेटे ने उचित इलाज के अभाव में दम  तोड़ दिया। प्रदेश के इस दर्दनाक मामले की सीएम धामी ने जांच के आदेश कर दिए ।
अलबत्ता, परिवार का कहना है कि अब किसी जांच से क्या फर्क पड़ेगा जब उनका बच्चा हमेशा के लिए खो चुका है। 108 एम्बुलेन्स भी समय पर नहीं आयी।

यह घटना बीते दस जुलाई की है। लेकिन फौजी पिता के दर्द भरे वीडियो के बाद अब 20 दिन बाद मासूम की मौत मीडिया की सुर्खियां बनीं। इससे शासन स्तर पर हलचल मची रही।

गढ़वाल के सीमांत चमोली जिले के चिंडंगा गांव निवासी फौजी दिनेश चंद्र के पुत्र शुभांशु जोशीकी बीते दस जुलाई को तबियत खराब हुई।
घर में मौजूद मां व पत्नी ग्वालदम के हॉस्पिटल ले गयी। इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने पर रेफर का पुराना खेल चला।
सास-बहु डेढ़ साल के शुभांशु जोशी  को लेकर अस्प्ताल में और फौजी पिता सीमा पर परेशान होते रहे। बागेश्वर के डीएम से गुहार लगाई। लेकिन काफी देर हो चुकी थी।  फौजी पिता ने चिकित्सक के फोन पर किये दुर्व्यवहार की भी बात कही है।

एक ही दिन में ग्वालदम से बैजनाथ, बागेश्वर, अल्मोड़ा और हल्द्वानी के अस्पताल तक रेफर की कहानी दोहराई जाती रही। कहीं भी एक्सपर्ट चिकित्सक नहीं मिले।

बागेश्वर जिला अस्पताल में भर्ती के बाद भी बच्चे की गंभीर हालत के चलते हायर सेंटर भेजा गया, लेकिन 108 एंबुलेंस एक घंटे तक नहीं पहुंची। इसके बाद पिता ने स्वयं जिलाधिकारी से संपर्क किया;।  अंततः रात साढ़े नौ बजे एंबुलेंस मिली, पर तब तक काफी देर हो चुकी थी और शुभांशु की मौत हो चुकी थी  ।

घटना की जानकारी पर प्रशासन ने 108 सेवा प्रभारी को नोटिस जारी किया है। और पूरे मामले की जांच कराने का निर्णय लिया। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है  ।

बुधवार को जब यह मामला सुर्खियों इन आया तो उस समय राजभवन में राज्यपाल, सीएम व स्वास्थ्य मंत्री एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कुछ जिलों के टीबी मुक्त होने की घोषणा कर अपनी उपलब्धियां भी गिनाईं। लेकिन प्रदेश में अभी भी कई जगह स्वास्थ्य सुविधाएं चरमराई हुई हैं।  ततैया के डंक से घायल लोग भी मौत के मुंह में जा रहे हैं। गांव में आज भी बीमार को कई किमी उठाकर स्वास्थ्य केंद्र तक लाने की फोटोज आये दिन मीडिया में देखने को मिलती है। महिलाओं  को प्रसव के लिए भटकना पड़ता है। एक्सपर्ट चिकित्सक व स्टाफ की भारी कमी है।

बहरहाल, मासूम शुभांशु की इलाज में कोताही से हुई मौत ने स्वास्थ्य सेवाओं को एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है। नैतिकता के आधार पर जिम्मेदारी लेने की बात भी कहीं नहीं दिख रही।
इस झकझोर देने वाली मौत ने दावों और हकीकत पर नये सिरे से बहस छेड़ दी है…जांचे होती रहेगी..और इलाज के अभाव में सांसे यूं ही टूटती रहेंगी.. हो सके तो शुभांशु हमें माफ करना..

गमगीन फौजी पिता दिनेश जोशी व दादी

सीएम धामी ने जांच के आदेश दे जताईं संवेदना

बागेश्वर में एक मासूम बच्चे की चिकित्सा में लापरवाही से मृत्यु का समाचार अत्यंत पीड़ादायक और दुर्भाग्यपूर्ण है। जैसा कि अभी तक सूचना प्राप्त हुई है, उनसे प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कतिपय स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरती गई है।

इस अत्यंत संवेदनशील प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए कुमाऊं आयुक्त को तत्काल जांच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही या उदासीनता पाई जाती है तो दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। जनता के विश्वास और जीवन की रक्षा में कोई कोताही सहन नहीं की जाएगी।

नानी-नातिन की मौत से भी उपजे थे सवाल

गौरतलब है कि पिथौरागढ़ जिले की नानी-नातिन की उचित इलाज के अभाव में 13 जुलाई को हुई मौत के बाद विभागीय जॉच चल रही है। रेफर की चलायमान प्रक्रिया को भी रोकने की।कोशिश हो रही है। नानी कुंती देवी और नातिन दीया की मौत जंगली मशरूम खाने से हुई थी। दोनों को तीन दिन तक इलाज नहीं मिल पाया था। लोकगायक गणेश मर्तोलिया की  28 साल की बहन दीया नानी को मिलने थापा गांव गयी थी। जहां जंगली मशरूम खाने से दोनों की तबियत खराब हुई थी। इसके बाद कमेटी बना कर जांच के आदेश दिए गए थे।

पढ़ें- नानी-नातिन की मौत

अलविदा! नानी और दीया -हम शर्मिंदा हैं…

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