…बड़े धोखे हैं इस राह में..बाबू जी जरा संभलना..



तम्बाकू सेवन न करने की शपथ तो लेंगे पर निभायेंगे कैसे
“पर्यावरण की रक्षा करें” विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 2022 की थीम


डॉ वन्दना नौटियाल डबराल

आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के दिन जब देश के लाखों करोड़ों युवा तम्बाकू सेवन न करने की शपथ ले रहे हैं उस समय देश के कृषि वैज्ञानिक तम्बाकू की उन्नत किस्मों की खेती करने के तरीकों पर रिसर्च कर रहे हैं और तम्बाकू बोर्ड, तम्बाकू उद्योग के फलने फूलने की योजना बना रहा है। ये अलग बात है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय जनता को उससे होने वाले नुकसानों को समझाने में तत्पर हैं यहां तक कि तम्बाकू जनित रोगों पर करोड़ों रूपए खर्च भी कर रहा है। 


तम्बाकू के प्रयोग से हर साल लाखों लोगों को जान गंवाते देख विश्व स्वास्थ्य संगठन  1988 से प्रत्येक वर्ष  31 मई को पूरे विश्व में तम्बाकू निषेध दिवस मनाता है जिसका उद्देश्य तम्बाकूू सेवन के हानिकारक पहलुओं को उजागर करना है। इस वर्ष डब्ल्यू एच ओ द्वारा  “पर्यावरण की रक्षा करें ”थीम चुनी गई है जिस पर बात जरूर की जानी चाहिए।  विश्व में प्रति वर्ष 6,665,713 टन तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत साल भर में 761,318 टन तम्बाकू का उत्पादन करके विश्व में दूसरे नम्बर पर आता है जबकि चीन 2,806,770 टन तम्बाकू के साथ पहले नम्बर पर है। देश के पन्द्रह राज्यों में लगभग पाॅच एकड़ खेती की भूमि पर तम्बाकू की फसल तैयार हो रही है। यही नहीं भारतीय तम्बाकू  लगभग 100 देशों में निर्यात किया जाता है, यह देश की महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है और सालाना लगभग 6000 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा भी बटोरती है।


गौरतलब है कि तम्बाकू की खेती इंसानों के साथ साथ  पर्यावरण के लिए भी घातक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार तम्बाकू से हर साल 8 ़4 करोड़ टन कार्बन वातावरण में पंहुच रहा है जो 7 ़1 करोड़ मीट्रिक टन के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के बराबर है। इसके धँुए में तकरीबन 7000 तरह के कैमिकल होते हैं जिनसे 50 प्रकार के कैंसर होते हैं।  इसकी खेती के बाद धरती की उर्वरक क्षमता तेजी से खत्म होती है और किसान नई जमीन के लिए जंगलों को निशाना बनाते हैं। नदी के किनारे वाले भाग पर खेती होने की वजह से कैमिकल नदी में मिलकर जल प्रदूषण भी करते हैं। सिगरेट बनाने के लिए विश्व में हर वर्ष  600 मिलियन पेड़ काटे जाते हैं और 2 बिलियन लीटर पानी का प्रयोग होता है। 4 ़5 ट्रिलियन सिगरेट बट हर साल पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और हर साल 8 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है। आश्चर्यजनक है कि तम्बाकू संबंधी उत्पाद बेचने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता  है परंतु तंबाकू की खेती के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है।


अभी हाल अक्टूबर 2021 में केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने तम्बाकू के अतिरिक्त उत्पादन पर लगने वाली पेनाल्टी को भी आधा कर दिया है जिससे किसानों को अधिक उत्पादन करने और रकबा बढाने के लिए सोचना नहीं पड़ेगा।


दोहरी मार करता है तम्बाकू
बड़ी आबादी की रोजी रोटी का जरिया है तम्बाकू


टी0ए0आर0आई0 एवं ऐसोचेम की 2019 में दी गई संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत मे तकरीबन 5 ़47 करोड़ लोग तम्बाकू उद्योग एवं इससे संबंधित क्षेत्र में रोजगार से अपनी रोजी रोटी चलाते हैं। देश में तकरीबन 60 लाख किसान तंबाकू की खेती करते हैं और इस खेती से 2 करोड़ खेतिहर मजदूरों की रोजी रोटी चलती है। आई0एल0ओ0 के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख श्रमिक बीड़ी बनाने का काम करते हैं इनमें से 50 लाख (71 प्रतिशत से अधिक) महिलाएं शामिल हैं। क्योकि महिलाएं घर से काम करती हैं तो लगभग 17 लाख बच्चे भी इस काम में लिप्त होते हैं। जिससे इनमें पेट,पीठ में दर्द, सांस लेने में कठिनाई टीबी अस्थमा जैसी बीमारी होना आम बात है।


तम्बाकू उत्पादन और सरकार


भारत में 1 जनवरी 1976 को एक सांविधिक निकाय के रूप में भारतीय तंबाकू बोर्ड अधिनियम, 1975 की धारा 4 के तहत तम्बाकू बोर्ड का गठन किया गया जिसके उपर तम्बाकू उद्योग के विकास, उत्पादन , वितरण घरेलू खपत और निर्यात और विनियमन की जिम्मेदारी है। तम्बाकू बोर्ड भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंदर काम करता है। वर्ष 2019 में तम्बाकू बोर्ड आफ इंडिया को सबसे प्रभावशाली सार्वजनिक सेवा पहल श्रेगी में गोल्डन लीफ पुरस्कार से सम्मानित किया गया । बोर्ड को यह पुरस्कार जैविक तम्बाकू उत्पादन के लिए दिया गया।  आन्ध्रप्रदेश के राजमुन्दरी में स्थित भारतीय कूषि अनुसंधान परिषद के तहत गठित केन्द्रीय तम्बाकू अनुसंधान संस्थान  के वैज्ञानिक देश में तम्बाकू की उच्च गुणवत्ता, उत्पादकता वृ़िद्ध ,उत्पादन के लिए कृषि प्रौद्योगिकी का विकास और संसाधनों के रिसर्च और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालते है।

संस्थान का काम तम्बाकू किसानों को बेहतर पैदावार देने के लिए प्रशिक्षित करना भी है।  ऐसोचेम के अध्ययन के अनुसार तम्बाकू क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में 11,79,498 करोड़ रूपए का योगदान देता है। 2021 वैश्विक तम्बाकू उद्योग हस्तक्षेप इंडेक्स में भारत को 100 में 61 अंक मिले हैं जो 2019 में 69 थे। नहीं जनाब ये कोई बेहतर प्रदर्शन नहीं है जितने ज्यादा अंक होंगे उसका मतलब है सरकारी कामकाज में तंबाकू उद्योग का उतना ज्यादा दखल। इसके बाद सरकार ने तम्बाकू उद्योग से जुड़ा कोड आफ कंडक्ट तो बनाया परंतु वो सिर्फ हाथी के दाँत साबित हुआ।

इसके अनुसार ये कोड सिर्फ स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों पर लागू होगा यानि की वे तंबाकू उद्योग एवं उसके प्रतिनिधियों के साथ किसी किस्म का व्यावसायिक, सार्वजनिक या आधिकारिक गठजोड़ नहीं करेंगे और न ही उनके कार्यक्रमों में बतौर मेहमान शामिल होंगे व न ही उनके प्रायोजित किसी कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। परंतु ये कोड केवल स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए है तम्बाकू उद्योग से जुड़े वाणिज्य,वित्त व कृषि मंत्रालय इसके दायरे में नही आते। देश में तंबाकू उद्योग को नियंत्रित करने वाला तंबाकू बोर्ड स्वयं केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के नीचे आता है। अब विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर सवाल ये उठता है कि तम्बाकू उन्मूलन का ये शपथ अभियान किसके सहारे गति पकड़ेगा।

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