उपचुनाव- सीएम तीरथ के सपोर्ट में उतरा खंडूडी गुट,कांग्रेस का हमला जारी

सीएम तीरथ के उपचुनाव के मुद्दे पर खंडूडी के करीबी प्रकाश सुमन ध्यानी ने विपक्ष को घेरा

उपचुनाव को लेकर मदन कौशिक कर रहे हैं कुतर्क- गरिमा मेहरा दसौनी

मदन कौशिक को सविधान का ज्ञान नहीं- गरिमा मेहरा दसौनी, प्रदेश प्रवक्ता

केंद्रीय चुनाव आयोग के उपचुनाव कैंसिल करने सम्बन्धी निर्णय पर “अविकल उत्त्तराखण्ड” ने 4 जून 2021 को कोरोना की सीएम के उपचुनाव पर पड़ी काली छाया पर एक खबर जारी की थी। उस खबर के नीचे दिए गए लिंक पर clik करिये-

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। सीएम तीरथ चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा के तहत अब उनका उपचुनाव लड़ना संदेह के घेरे में हैं। कोरोना की वजह से केंद्रीय चुनाव आयोग पहले ही देश के अंदर लोकसभा व विधानसभा के कई उपचुनाव स्थगित कर चुका है। सीएम नहीं पाए तो कौन होगा अगला सीएम। आदि आदि ये सवाल उत्त्तराखण्ड की फिजां में तैर रहे है।

विपक्षी दल मुखर हैं। सीएम कहाँ से चुनाव लड़ेंगे। यह अभी तक तय नही हुआ है। संगठन व सरकार में सहयोगी मंत्री व विधायक भी विपक्षी दल कांग्रेस के इस मुद्दे पर हो रहे हमले का ठोस जवाब नही दे पा रहे।

चूंकि सीएम तीरथ रावत को 10 सितम्बर से पहले चुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता लेनी है। इस बीच, इस मुद्दे पर खंडूडी गुट सीएम तीरथ के पक्ष में उतर आया है।  पूर्व सीएम खंडूडी के करीबी प्रकाश सुमन ध्यानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विपक्ष पर हमला बोला है।

उत्त्तराखण्ड भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता व पू प्रकाश सुमन ध्यानी में कहा कि आजकल संविधान में प्रदत्त आर्टिकल 151A को लेकर भाजपा के विरोधी जनता में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। विपक्षी दल भाजपा के अलावा मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत  की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में जनता के सामने सच्चाई बताना जरूरी हो गया है।

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 151A में लिखा गया है कि चुनाव आयोग को छ: माह के अन्दर चुनाव कराना होगा यदि कोई भी विधायक की सीट खाली घोषित होती हैं तो यह छह माह का समय चुनाव आयोग को प्राप्त सूचना की तिथि से गिना जायेगा। लेकिन यदि सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष से कम रहा गया हो तो यह बाध्यता स्वयं समाप्त हो जाती है।

पूर्व प्रवक्ता ने कहा कि आर्टिकल 151A में कहीं नहीं लिखा गया यदि खाली होने वाली सीट के सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष से कम रहा है  तो चुनाव आयोग चुनाव करा ही नहीं सकता है। चुनाव आयोग यदि चुनाव कराना चाहता है  तो उसे कैसे रोका जा सकता है।

इसी धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग केन्द्र सरकार से भी विचार विमर्श कर सकता है।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी की वजह से अपने आपात अधिकारों का प्रयोग करते हुए पिछले दिनों तीन लोकसभा तथा विभिन्न राज्यों की 8 विधान सभाओं के उपचुनाव निरस्त किये थे।  अब खासकर उत्तरराखंड में कोरोना महाभारी का कुप्रभाव कम हो रहा है।  ऐसे में चुनाव आयोग वर्चुअल प्रचार माध्यम की बाध्यता के साथ  उपचुनाव करा सकता है ।

पूर्व भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जो विद्वान लोग 151 A का सहारा लेकर उत्तरकाशी उपचुनाव पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। उनसे मेरा अनुरोध है कि संविधान की उपरोक्त धारा की व्याख्या भी करें। क्योंकि सविधान में सब कुछ लिखा नहीं जा सकता है। जो लिखा है उसकी  व्याख्या भी जरुरी है, जो कि सुप्रीम कोर्ट भी करता है, वैसे भी हिन्दुस्तान का संविधान विश्व में सबसे बड़ा लिखित संविधान है, लेकिन फिर भी उसकी बार-बार व्याख्या हुई है और कभी-कभी  इसी व्याख्या को स्पष्ट करने के लिए संशोधन भी हुए हैं।

भारत निर्वाचन आयोग की चार मई 2021 की प्रेस विज्ञप्ति- कोरोना की वजह से तीन लोकसभा व 8 विधानसभा उपचुनाव स्थगित किये थे

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड महामारी के दौरान सरकार को कुछ छूटें प्रदान की है। हम उन रियायतों का भी उत्त्तराखण्ड में उपयोग कर सकते हैं।

प्रवक्ता ध्यानी ने कहा कि विरोधी दलों एवं भाजपा विरोधियों से कहना चाहता हूँ कि वे संविधान का बार बार अध्ययन करें तब भाजपा या व हमारे मुख्य मंत्री के खिलाफ कुछ बोलें अन्यथा उन्हें मुँह की खानी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि  जनता को विरोधियों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा 57 विधायक  के समर्थन का अपमान कर कैसे राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं? विपक्षियों के इस मिथ्या प्रचार में न फंसे।

भाजपा अपने मुख्यमंत्री सीएम रावत के नेतृत्व में एक जुट होकर विकास कार्य करने में जुटी है। हम इस जन आकांक्षा पर में खरे उतरेंगे। विरोधियों को भी परास्त करेंगे। उत्तराखंड के विकास के लिए केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की तीरथ सकार मिलकर प्रतिबद्ध है।

उपचुनाव को लेकर मदन कौशिक कर रहे हैं कुतर्क- गरिमा मेहरा दसौनी

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा के अध्यक्ष मदन कौशिक पर उत्तराखंड की जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है।
दसोनी ने कहा कि या तो मदन कौशिक कम पढ़े लिखे हैं या जानबूझकर जनता को उलझाने का प्रयास कर रहे हैं। दसोनी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 164 (4)कहता है कि शपथ ग्रहण की तारीख से 6 महीने के भीतर मुख्यमंत्री को चुनाव लड़कर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना अनिवार्य है लेकिन मदन कौशिक दो बातों को उलझाने का प्रयास कर रहे हैं।

चर्चा इस विषय पर नहीं हो रही है कि सरकार का कार्यकाल कितना रह गया ,चर्चा इस विषय पर है कि संविधान के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 151(क)के अनुसार जो सीट रिक्त हुई है वह किस तारीख को हुई है और उसकी रिक्ति से लेकर सरकार के कार्यकाल तक 1 साल शेष रहता है या नहीं?? दसोनी ने कहा की मदन कौशिक जानबूझ पूरी डिबेट कर रुख दूसरी दिशा में मोड़ने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।


दसोनी ने कहा कि मुख्यमंत्री के उपचुनाव को लेकर जिस तरह के कुतर्क मदन कौशिक दे रहे हैं उससे उनके संविधान को लेकर अल्प ज्ञान और बौद्धिक क्षमता का परिचय मिलता है। गरिमा दसोनी ने कहा की मदन कौशिक अपनी सरकार व मुख्यमंत्री को बचाने के लिए अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।दसौनी ने कहा कि गिनती 22 अप्रैल से ही शुरू होगी जिस दिन गोपाल सिंह रावत जी के निधन के बाद गंगोत्री की सीट खाली हुई थी। दसोनी ने कहा कि भाजपा स्वयं को संविधान से भी ऊपर समझ रही है ,सभी नियमों को भी ताक पर रखने को तैयार है।

भाजपा के राज में देश में जंगलराज चल रहा है। दसोनी ने मदन कौशिक को सलाह देते हुए कहा की अच्छा होगा यदि मदन कौशिक को ज्ञान नही है तो किसी संविधान विशेषज्ञ से राय लेने के बाद ही बयान बाजियां करें क्योंकि इस तरह के कुतर्क देने से वह अपना ही मखौल उड़वा रहे और पार्टी की किरकिरी करा रहे हैं। दसोनी ने कहा कि मदन कौशिक को ज़िद छोड़कर प्रदेश को राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेलने के लिए की प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

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