संघ, केन्द्रीय नेतृत्व व पार्टी संगठन से गहन मंथन के बाद टीम त्रिवेंद्र को किया आउट
सीएम त्रिवेंद्र ने दिसंबर 2018 से बांटनी शुरू की थी लालबत्ती। कई पुराने व योग्य नेताओं की हुई थी अनदेखी
अब तीरथ की नयी टीम पर नजर
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। नये सीएम तीरथ राज में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को लगातार झटके लगने का सिलसिला जारी है। जुम्मा जुम्मा कुर्सी संभाले 20 दिन हुए तीरथ रावत फिलहाल अपनी ही सरकार की सरकारी व पॉलिटिकल गलतियों को दुरस्त करने में जुटे हैं।
शुक्रवार को जिस तरीके से सीएम तीरथ रावत ने त्रिवेंद्र काल के लगभग सवा सौ दायित्वधारियों को पैदल किया उससे के के बात यह साफ हो गयी है कि केंद्रीय नेतृत्व, पार्टी संगठन व संघ त्रिवेंद्र के कई फैसलों से खुश नहीं था।
गैरसैंण के बजट सत्र 1 मार्च से ठीक पहले त्रिवेंद्र ने डेढ़ दर्जन लोगों को दर्जाधारी बना कर अपने कुनबे को बढ़ाने की कोशिश की थी। दर्जाधारियों की यह नयी सूची जारी होते ही हरिद्वार के एक भाजपा नेता ने कुर्सी के बदले 30 लाख रुपए लेने का आरोप लगाते हुए मुकदमा तक दर्ज करा दिया था। इस व्यक्ति को दर्जाधारी नहीं बनाया गया था। कुर्सी के बदले धन लेने का यह मामला काफी सुर्खियों में भी रहा था।
पार्टी सूत्रों का कहना था कि दर्जाधारी की नयी सूची ल्र्ड केंद्रीय नेतृत्व की सहमति भी नही ली गयी थी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से के एक व्यक्ति को राज्य योजना आयोग जैसे महत्वपूर्ण महकमे की चाबी सौंप दी गयी थी। इस मुद्दे पर भी भसजप के अंदर और बाहर काफी चर्चाएं भी हुई।
त्रिवेंद्र रावत ने लंबे इंतजार के बाद दिसंबर 2018 में दायित्वधारियों की पहली सूची जारी की थी। इस पहली सूची में भाजपा के कई पुराने व वरिष्ठ नेताओं के नाम नहीं थे। इसके बाद त्रिवेंद्र राज में दायित्वधारियों की क्रमवार अन्य सूचियां भी जारी हुई। दर्जाधारियों कि जमात में कई अनजान चेहरों को जगह देकर त्रिवेंद्र ने भाजपा के प्रांतीय महारथियों को भी विशेष संदेश देने की कोशिश की।
त्रिवेंद्र के लगभग चार साल के कार्यकाल पर नजर डालने से एक बात यह भी उभरी की पूर्व सीएम ने दायित्वधारियों व सलाहकारों को लेकर अपनी टीम बनाई। त्रिवेंद्र की इस टीम में अधिकतर नये चेहरे थे। पुराने कुछ लोगों को कुर्सी दी भी तो सिर्फ दिखाने को। पूर्व सांसद बलराज पासी तो जलागम महकमे की कुर्सी पर बैठे ही नहीं।
त्रिवेंद्र काल में पुराने नेताओं के कई समर्थकों को कुर्सियों के पास तक नहीं फटकने दिया। नयी टीम की बदौलत ही पूर्व सीएम 2022 की जंग जीतने का तानाबाना बुन रहे थे। हालांकि, अमित शाह के त्रिवेंद्र के बेहतर रिश्तों को लेकर भी पार्टी नेता बहुत मुखर नही हो रहे थे। लेकिन 2020 के उत्तरार्द्ध में बिशन सिंह चुफाल,पूरण फर्त्याल, मंत्री हरक सिंह, पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी समेत कुछ नेताओं ने खुले-दबे स्वरों में जेपी नड्डा व संघ तक त्रिवेंद्र की मनमानी की कहानी सुनाई। लिहाजा केंद्रीय नेतृत्व ने कई मुद्दों पर पनप रहे आक्रोश को देखते हुए क्रीज पर जमे त्रिवेंद्र की गिल्लियां कब गिरा दी। यह पता ही नहीं चला।
अब नये सीएम तीरथ रावत ने त्रिवेंद्र के पसंदीदा सभी दायित्वधारियों को झटके से क्लीन बोल्ड कर दिया। सीएम तीरथ के इस फैसले में संघ, पार्टी संगठन व केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति पूरी तरह शामिल है। टीम त्रिवेंद्र को बर्खास्त करने के बाद यही रणनीतिकार तीरथ की नयी टीम के लिए पिच तैयार करने में जुट गए हैं।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के फैसले पलटे
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लॉकडौन के मुकदमे वापसी का आदेश
महाकुम्भ हरिद्वार आने जाने की रोक टोक खत्म
जिला विकास प्राधिकरण में नक्शों की अनिवार्यता खत्म
घाट-नन्दप्रयाग सड़क के चौड़ीकरण को धनराशि स्वीकृत
सलाहकार व करीबी अधिकारियों की छुट्टी
कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव दीप्ति सिंह हटाई। हटे 38 कर्मचारी हुए बहाल
गैरसैण मण्डल की घोषणा पर रोक। हालांकि,त्रिवेंद्र राज में जारी नहीं हुई थी अधिसूचना।
ये फैसले होंगे वापस
चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन
शुक्रवार को दायित्वधारी बर्खास्त, pls clik
सभी भाजपा के दर्जाधारी हटाये गए, देखें आदेश
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