इस्तीफा सौंपने के बाद त्रिवेंद्र ने कहा कि पार्टी हाईकमान का यह सामूहिक फैसला था। पार्टी मुख्यालय में बुधवार सुबह 10 बजे विधानमंडल दल की बैठक में मये सीएम का चुनाव किया जाएगा।
सीएम त्रिवेंद्र ने मंगलवार सांय 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को सौंपा इस्तीफा
केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह व दुष्यंत गौतम की मौजूदगी में बुधवार को सुबह 10बजे पार्टी मुख्यालय में होगी भाजपा विधानमंडल दल की बैठक
त्रिवेंद्र ने राज्यमन्त्री धनसिंह रावत का नाम आगे बढ़ाया। भाजपा में गुटीय जंग हुई तेज
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। बीते छह मार्च से भाजपा में जारी हाईप्रोफाइल राजनीति का मंगलवार को द एंड हो गया। सीएम त्रिवेंद्र की इनिंग समाप्त हो गयी। अब नया बैट्समैन भाजपा सरकार की ओपनिंग करेगा। तेजी से बदले घटनाक्रम के तहत उत्त्तराखण्ड में भाजपा सरकार के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज अपने इस्तीफे के ऐलान कर दिया। लगभग 4 बजे त्रिवेंद्र सिंह रावत राजभवन पहुंचे। और अपना इस्तीफा राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को सौंप दिया। त्रिवेंद्र साढ़े चार बजे तक राजभवन में रहे।
राज्यपाल ने नया सीएम चुने जाने तक उन्हें पद पर बने रहने को कहा है। इसके बाद सीएम आवास में आहूत पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि वे अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप आये हैं। पार्टी हाईकमान ने सामूहिक फैसला किया है। अब कल नये नेता का चुनाव किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में पार्टी अध्यक्ष बंशीधर भगत, मुन्ना सिंह चौहान,हरबंस कपूर,केदार रावत व मेयर सुनील उनियाल गामा मौजूद थे।
अब भाजपा विधानमंडल दल की बैठक बुधवार को देहरादून में होने की उम्मीद है। इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधानमंडल दल के नेता का चुनाव किया जाएगा। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पर्यवेक्षक डॉ रमन सिंह व प्रभारी दुष्यंत गौतम बुधवार देहरादून पहुंच रहे हैं।सभी विधायक भी देहरादून की ओर कूच कर गए है।
सीएम के मंगलवार को देहरादून पहुंचने के बाद राज्य मंत्री धन सिंह रावत को श्रीनगर से देहरादून लाने के लिए हेलीकाप्टर भेजा गया। 2 बजे के लगभग धन सिंह रावत देहरादून पहुंचते ही सीधे सीएम आवास में गए। दोनों के बीच लंबी वार्ता हुई। विधायक मुन्ना सिंह चौहान भी साथ थे।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। आने वाली 18 मार्च को चार साल पूरा करने पर जश्न की तैयारी थी। लेकिन उससे पहले ही त्रिवेंद्र को कुर्सी से हटना पड़ गया। इसके पीछे ताजातरीन कारणों में गैरसैंण मंडल की घोषणा, नन्दप्रयाग-घाट सड़क के आंदोलनकारियों पर बजट सत्र के दौरान जबरदस्त लाठीचार्ज समेत असंतुष्टों की नाराजगी प्रमुख वजह रही। कई सलाहकारों की फौज और उनके व्यवहार से भी सीएम की छवि पर चार साल से विपरीत असर पड़ रहा था।
…और मिथक नहीं टूट पाया
उत्त्तराखण्ड के सीएम आवास से भी यह मिथक जुड़ा रहा है कि जो भी सीएम रहा वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। इस बीच,त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि वे पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। और मिथक तोड़ देंगे। लेकिन चार साल पूरा होने से पहले ही त्रिवेंद्र को रुखसत होना पड़ा। और सीएम आवास से जुड़ा मिथक बरकरार रहा।
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