पूर्व सीएम हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा, सामूहिक नेतृत्व की पंक्ति से मुझे हटा दें, पार्टी में हलचल
कांग्रेस संगठन होटल की चारदीवारी में कैद होकर न् रह जाय
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून।
इन दिनों पूर्व सीएम हरीश रावत 2022 के चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे की खुली जंग में उतर गए है। बीते कई दिनों से हरीश रावत के ट्वीट से पार्टी के अंदर खलबली है। कुछ राज्यों का उदाहरण देते हुए हरीश रावत साफ साफ कह रहे हैं कि उन्हें इंदिरा व प्रीतम दोनों मंजूर हैं । दोनों का नेतृत्व स्वीकार्य है लेकिन चेहरा घोषित किया जाय।
यही नही, मंगलवार के एक ट्वीट में हरीश रावत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए साफ कर दिया कि उन्हें सामूहिक नेतृत्व की पंक्ति से हटा दिया जाय। इस ट्वीट ने पार्टी नेतृत्व को भी इसलिए भी चिंता में डाल दिया है कि हरीश रावत गाहे बगाहे सीएम त्रिवेंद्र रावत व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की तारीफ करने नहीं चूकते।
हरीश रावत का यह ट्वीट कांग्रेस के अलावा अन्य दलों में भी चर्चा का विषय बन गया है। हरीश रावत ने अपने इस बयान से बहुत कुछ कहने की भी कोशिश की है। चूंकि, कुछ दिन पहले प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने अपने गढ़वाल व कुमायूँ के दौरे में इंदिरा, हरीश व प्रीतम के गुणों की तारीफ करते हुए सामूहिक नेतृत्व की बात कही थी। इस दौरे में स्वंय हरीश रावत भी मौजूद थे।
इस दौरे में कुमायूँ के अंदर प्रभारी देवेंद्र यादव को पार्टी की नारेबाजी से भी रूबरू होना पड़ा। इसके बावजूद प्रभारी देवेंद्र यादव ने अपने हालिया गढ़वाल व कुमायूँ के दौरे पर इंदिरा,हरीश व प्रीतम के बीच संतुलन साधते हुए तीनों की पार्टी में अहमियत और चुनावी जरूरत पर दार्शनिक अंदाज में अपनी बात रखी थी। और कहा कि तीनों नेताओं की पार्टी को बहुत जरूरत है। बिना हरीश रावत की रणनीति और इंदिरा जी के आशीर्वाद से जीत सम्भव नहीं।
हमेशा दौरे व कार्यक्रमों में व्यस्त रहने वाले हरीश रावत सोमवार से गढ़वाल व कुमायूँ के 16 जनवरी तक चलने वाले अपने कार्यक्रम में जनता व पार्टी कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात करेंगे।
इसी दौरे के बीच हरीश रावत ने विधानसभा चुनाव में पार्टी के सामूहिक नेतृत्व के फार्मूले से स्वंय को अलग करते हुए स्थिति साफ करने को कहा है। यह भी कहा है कि कुछ समय उन्मुक्त रहना चाहिये। 2017 के चुनाव के बोझ का उल्लेख करते हुए यह भी कहते हैं की वे पापार्जित बोझ से मुक्त करने का अनुरोध करते हुए दिख रहे। वे ट्वीट करते हैं कि सामूहिक नेतृत्व में पापार्जित बोझ बना रहेगा। प्रहार करते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस संगठन होटल की चारदीवारी में कैद होकर न रह जाय।
पूर्व सीएम हरीश रावत पार्टी के अंदर अपनी भूमिका की बाबत व सामूहिक नेतृत्व की पंक्ति से हटाने की बात कह कर एक बहुत बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय नेतृत्व हरीश रावत को किस खांचे में फिट करता है, यह देखना भी दिलचस्प होगा। पार्टी आलाकमान चुनाव के मद्देनजर किसी चेहरे को मुख्यमंत्री घोषित करता है या फिर सामूहिक नेतृत्व की जलेबी की चाशनी में नेताओं के गुणों को तलता है…..
इस बाबत पूर्व सीएम हरीश रावत प्रभारी देवेंद्र यादव समेत आलाकमान को अपनी इच्छा से लगातार अवगत करा थे हसि।
और फुल फार्म में तो हमेशा रहते ही हैं। दौरे, भ्रमण0
व पार्टी कार्यक्रमों में शिरकत के साथ साथ सोशल मीडिया का भी जमकर सहारा ले रहे हैं। हाल ही में पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव ने पार्टी में दागी शामिल नहीं होंगे,यह कहकर काफी कुछ हरीश रावत की मुराद पूरी कर दी।
हाल ही में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश ने कहा था कि भाजपा के कुछ विधायक मेरे सम्पर्क में हैं। सम्भवतः 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा मव गये पार्टी नेताओं की ओर इंदिरा का इशारा था। हरीश रावत भाजपा में शामिल इन पूर्व कांग्रेसी नेताओं में हरक सिंह रावत को सबसे ज्यादा निशाने पर ले रहे हैं। चूंकि, उस वक्त हरक सिंह रावत ने ही विजय बहुगुणा के नेतृत्व में सबसे ज्यादा बगावत का झंडा बुलंद किया था।
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