अपनी ही सरकार में मनमाफिक स्ट्रोक नहीं खेल पा रहे मंत्री हरक सिंह
कांग्रेस राज में उड़ाए खूब छक्के, भाजपा सरकार में तरस रहे एक-एक रन के लिए
साइकिल घोटाले ने छीनी बोर्ड अध्यक्ष की कुर्सी
सीएम त्रिवेंद्र ने साइकिल एपिसोड से साधे कई निशाने
सत्याल को बोर्ड अध्यक्ष बनवा चुफाल को दिया संदेश
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। हमेशा खुल कर चौके-छक्के लगाने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के लिए भाजपा में एक-एक रन चुराना भी भारी पड़ता जा रहा है। उधर, सीएम ने सही बॉल मिलते ही छक्का जड़ दिया।
हाल ही में उनके ही श्रम विभाग की साइकिल आम आदमी पार्टी के हाथों बंटने से उठा गुबार उनकी ही कुर्सी को ले बैठा। विभागीय जांच तक सब कुछ मैनेज था। लेकिन शासन की जांच में साइकिल बंटवारे में बड़ा खेल पकड़ में आया। और रातों रात उत्त्तराखण्ड भवन एवम सन्निनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया। उत्त्तराखण्ड में एक नए साइकिल घोटाले की गूंज से राजनीति सरगर्म हो गयी।
कैबिनेट मंत्री 2017 में तीन साल के लिए इस बोर्ड के स्वंय अध्यक्ष बन गए थे। साइकिल घोटाले के बाद सीएम त्रिवेंद्र रावत के स्टैंड के बाद अन्य दायित्वधारी शमशेर सिंह सत्याल को बोर्ड के अध्यक्ष की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी दी गयी। सीएम सत्याल का कद बढ़ा विधायक बिशन सिंह चुफाल को भी सन्देश दिया। सत्याल व चुफाल के बीच तनातनी भी जगजाहिर है। हालांकि, शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति में आयी बोर्ड की सचिव दमयंती रावत की कुर्सी बरकरार रखी गई है।
हरक के करीबी आप में शामिल
इस पूरे मामले में श्रमिकों के बजाय अपात्रों को साइकिल बंटने के अलावा एक दूसरा राजनीतिक पहलु भी भाजपा सरकार की समझ में आया। दरअसल, आम आदमी पार्टी में कुछ हरक सिंह के करीबी लोग भी शामिल हैं। पिछली कांग्रेस की हरदा-बहुगुणा की सरकार में हरक सिंह ने अपने करीबी रविन्द्र आनन्द को देहरादून मंडी परिषद का अध्यक्ष भी बनाया। यही रविन्द्र आनन्द इस समय आम आदमी पार्टी में है। ऐसे में श्रम विभाग की साइकिल का गोदाम से निकल कर आम आदमी पार्टी के हाथों में पहुंच जाना भी भाजपा सरकार की पेशानी पर बल डाल गया। उस पर राजनीतिक हलकों में हरक सिंह के आम आदमी पार्टी में जाने की चर्चाओं ने आग में घी का काम किया।
यह पहला मौका है जब हरक सिंह रावत को उनके ही खिलाफ हुए फैसले की भनक तक नही लगी। अभी तक की सरकारों में किसी भी तरह अपने सभी काम करवाने वाले हरक सिंह भाजपा सरकार में खुल कर नहीं कर पा रहे। हालांकि, अपने करीबियों को येन केन प्रकारेण एडजस्ट करने में सफल भी रहे। लेकिन कई रणनीतिक मुद्दों पर दरकिनार भी होते देखे गए। कई बार विभागीय तबादलों की खबर भी मंत्री हरक सिंह को मीडिया के जरिये ही मिलती रही है। मंत्री हरक की तबादलों की फ़ाइल भी मंजूरी को तरसती रही। लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग में भी अभी तक रोड़े ही बिछे हैं। इस मुद्दे पर अन्य भाजपा विधायक दलीप रावत साफ कह चुके हैं कि इस मार्ग के बाबत मंत्री हरक ने सीएम को विश्वास में नहीं लिया।
बहरहाल, 2016 में कांग्रेस सरकार गिरा कर भाजपा में आये हरक सिंह के लिए त्रिवेंद्र सरकार में बहुत मनमाफिक स्ट्रोक नही खेल पा रहे हैं। साइकिल घोटाले और पुत्रवधु की एनजीओ को भी श्रम विभाग की योजनाओं से लाभ पहुंचाने का मामला भी नैनीताल उच्च न्यायालय में चल रहा है। साइकिल घोटाले के बाद बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटे हरक सिंह से जिन तेवरों की उम्मीद थी वो कहीं भी नहीं दिखाई दिए। भाजपा के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह कब तक खामोश रहते है,,देखने वाली बात यही है….अपनी ही पिच पर मनमाफिक स्ट्रोक खेलने के लिए जगह बनाते हुए हिट विकेट हो गए विस्फोटक बल्लेबाज हरक सिंह रावत।
कपूर की विधानसभा में बांटी “आप” ने साइकिल
कपूर-हरक की हो चुकी है तू तू में मैं
साइकिल कहाँ और कैसे बंटी ? किसने बांटी? यह पूरा माजरा भी पार्टी के विधायक हरबंस कपूर ने ऊपर तक पहुंचाया। दरअसल, कैंट विधानसभा से भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री कपूर के इलाके में यह साइकिल बंटी। कपूर को यह बहुत नागवार गुजरी। अपनी सरकार और साइकिल बांटी आम आदमी पार्टी ने।
जब हरक सिंह कांग्रेस में थे और कपूर भाजपा में। उस समय विधानसभा सत्र के दौरान सभा मंडप में ही कपूर और हरक की जमकर तू तू मैं मैं और आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग हुआ था।
चूंकि,उस समय विधानसभा की कार्यवाही स्थगित थी और पक्ष-विपक्ष के अधिकांश सदस्य विधानसभा की वेल में हंसी मजाक कर रहे थे। सम्भवतः इसी हंसी मजाक में बात बढ़ी और तीखे बोलों में बदल गयी। दोनों के बीच वेल में ही जमकर तकरार हुई।दोनों के संबंधों में खटास की शुरुआत यहां से बढ़ी। हालांकि, इससे पूर्व उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बतौर विधायक रह चुके दोनों की लखनऊ में भी झड़प हो चुकी है।
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