सल्ट-हरीश बनाम रणजीत बनाम भाजपा की जंग के बीच मतदान जारी

जीते तो हरदा और हारे तो हरदा

सहानुभूति लहर पर टिकी भाजपा उम्मीदवार महेश जीना की उम्मीद

सल्ट के पूर्व विधायक रणजीत रावत चुनाव प्रचार से रहे दूर

अविकल उत्त्तराखण्ड

सल्ट, अल्मोड़ा। 17 अप्रैल। सल्ट विधानसभा उपचुनाव में मतदाता लाइन में लगा है। मुख्य जंग हरीश रावत बनाम रणजीत रावत बनाम भारतीय जनता पार्टी के बीच सिमट हुई है। इस त्रिकोणीय राजनीतिक जंग में हरीश रावत के दायां हाथ रहे सल्ट के पूर्व विधायक रणजीत रावत मुख्य किरदार बनकर उभरे।

salt byeelection 2021

मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली व भाजपा के महेश जीना के बीच है। सीएम तीरथ रावत से लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत मतदाताओं से रूबरू अपील कर चुके हैं। जबकि भाजपा उम्मीदवार महेश जीना सहानुभूति लहर पर जीत की उम्मीद पाले हुए है। salt byeelection 2021

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गंगा को जिताओ। यह अपील करते पूर्व सीएम हरीश रावत

जबकि, कांग्रेस के अंदर हरीश रावत व उनके 35 साल पुराने साथ पूर्व विधायक रणजीत रावत के बीच सल्ट में वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है। कोरोना से ठीक होने के बाद हरीश रावत ने 15 अप्रैल को सल्ट के मतदाताओं से अपनी पसंदीदा उम्मीदवार गंगा पंचोली को भावुक अपील कर रहे थे ठेके उसी समय उनके दाएं हाथ रहे पूर्व विधायक रणजीत रावत ने कुछ पुरानी लेकिन सनसनीखेज तथ्यों का पिटारा खोल दिया।

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सल्ट से पूर्व कांग्रेसी विधायक रणजीत रावत

सल्ट के पूरे चुनावी परिदृश्य में भाजपा के अंदर चुनाव प्रचार व उम्मीदवार को लेकर कोई खेमेबंदी नहीं दिखी। अलबत्ता, 2020 में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना व उनकी पत्नी के आकस्मिक निधन के बाद हो रहे उपचुनाव में पार्टी सहानुभूति लहर के सहारे जीत तय मानकर चल रही है।

चुनाव प्रचार से स्वंय को दूर रखे हुए रणजीत रावत ने 2016 में राष्ट्रपति शासन के समय सत्ता हासिल करने के लिए की गई तांत्रिक क्रियाओं को लेकर पूर्व सीएम पर हमला बोला। कहा कि, हरीश रावत डरे हुए आदमी है। इस वीडियो के वॉयरल होते ही सल्ट में पूरी ताकत झोंके हुए कांग्रेस नेताओं को झटका लगा। हालांकि, हरीश रावत ने अपने पूर्व करीबी रणजीत रावत के आक्रमण का कोई जवाब नही दिया।

तीन बार चुनाव जीते भाजपा विधायक स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह जीना

सल्ट चुनाव की कथा का एक दूसरा पहलु भी सामने आया।
चूंकि, पूर्व में हरीश रावत सल्ट चुनाव में भाजपा को वाक ओवर देने की बात कह चुके थे। हरीश के इस बयान को भी रणजीत रावत ने हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की मौत के बाद रणजीत रावत अपने ब्लाक प्रमुख बेटे विक्रम रावत को चुनावी अखाड़े में उतारने की तैयारी में जुटे थे। इसके अलावा स्वंय भी सल्ट के  चुनावी मैदान में भाजपा से दो-दो हाथ करने का मन बना चुके थे। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश भी रणजीत रावत के नाम पर मुहर लगा चुके थे। लेकिन ऐन मौके पर कोरोना पीड़ित व दिल्ली एम्स में भर्ती हरीश रावत ने अस्पताल के बेड पर लेटे लेटे व खांसते हुए हाईकमान से अपनी पसंद की उम्मीदवार गंगा पंचोली के नाम पर मुहर लगवा दी।

2017 की प्रचंड मोदी लहर में लगभग 3 हजार मतों से हारी गंगा पंचोली के नाम की घोषणा होते ही सल्ट कांग्रेस की अंकगणित ही बदल गयी। हालांकि,पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव आखिरी पांच दिन डटे रहे। उधर, सीएम तीरथ रावत भी स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह जीना के नाम पर वोट मांग गए। नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश भी चुनाव प्रचार से दूर रही। इसके पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण बताए गए।

कांग्रेस की गुटीय खामोशी के बाद 90 हजार के मतदाताओं वाले सल्ट उपचुनाव में ब्राह्मण,दलित जे अलावा मनराल व मेहरा मतदाताओं की भूमिका भी खास मानी जा रही है। बहरहाल, 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सल्ट उपचुनाव के परिणाम राजनीति की बिसात पर आखिरी चाल चल रहे हरीश रावत के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।salt byeelection 2021

अगर हरीश रावत की पसंद की।उम्मीदवार गंगा जीत गई तो 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस हाईकमान हरीश रावत को बेहतर गिफ्ट से नवाज सकती है। मतदान के आज के दिन भाजपा नेता तय जीत का दावा कर रहे हैं। लेकिन मतदान के 1 घण्टे बाद कांग्रेस कैम्प में यह सुर्रा तेजी से ट्रेवल कर रहा है कि सल्ट में जीते तो हरदा और हारे तो हरदा….

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