लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, किशन महिपाल व अंजलि खरे समेत कई कलाकारों ने उत्तराखंड लोक विरासत में बिखेरे रंग
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड लोक विरासत का आगाज शनिवार को धूमधाम से शुरू हुआ। उत्तराखंड के दिग्गज लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, किशन महिपाल, ओम बधानी, प्रह्लाद मेहरा, रजनीकांत सेमवाल, सौरव मैठानी, अंजली खरे समेत अनेक लोकगायकों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से समां बांध दिया। दो दिनी सांस्कृतिक विरासत में पहाड़ के हर कोने की संस्कृति व लोग संगीत का जादू लोगों पर छाया रहा। दिग्गज लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, आयोजक मंडल के संस्थापक चार धाम अस्पताल के निदेशक डॉ.केपी जोशी की अगुवाई में एक ही मंच पर अनुभवी व युवा लोक कलाकारों ने अपने संगीत के सुर बिखेरे।
हरिद्वार बाईपास स्थित सोशल बलूनी स्कूल में शुरू हुए सांस्कृतिक विरासत समारोह में निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा ने राज्य के उत्पादों की हस्तशिल्प प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। इसके बाद स्कूल परिसर में दिन भर सांस्कृतिक उत्सव का उल्लास छाया रहा। संगीतमयी प्रस्तुति में नेगीदा ने.. किशन महिपाल ने जै बदरी विशाल बोला.. के बाद अपने हिट गीत घुघुती-टू सुनाया। प्रह्लाद मेहरा ने ऐजा मेरा दानपुरा..,खोला पारी रंग भंग..सुनाया। सौरभ मैठाणी ने ढोल दमौं की थाप, मश्क बाजा लगला..,सपना स्यालि मेरी सपना स्यालि..,हांजी छै तौला की पैजी, हिमगिरी की चैली जै जै बोला.., नीलिमा गीत सुनाया। रजनीकांत सेमवाल ने पोस्तु का छुमा मेरी भग्यानी बौ..,घर घाघीरि..,विवेक नौटियाल ने द्यो लागि नंदा देवी..गीत की प्रस्तुति दी। संचालन गणेश खुगशाल गणी, अजय जोशी, बीना बेंजवाल ने किया।
राज्य की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए इस तरह के आयोजन जरूरी – के पी जोशी
इससे पहले आयोजक डॉ.केपी जोशी ने कहा कि राज्य की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए इस तरह के आयोजन होने बेहद जरुरी है। आयोजन का मकसद पहाड़ों की हस्तशिल्प और हुनर को उचित प्लेटफार्म देना है।
उत्तराखंड के परम्परागत वस्त्र-आभूषणों का अनोखा प्रदर्शन
उत्तराखंड के परम्परागत वस्त्र-आभूषणों के प्रदर्शन के साथ उनका परिचय रोचक व ज्ञानवर्द्धक रहा। नई पीढ़ी को इस बहाने अपनी कला संस्कृति की बारीक समझ विकसित होने में इससे मदद मिलेगी। संस्कृति विशेषज्ञ लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, उनकी पत्नी उषा नेगी, डॉ.नंद किशोर हटवाल व रमाकांत बेंजवाल की अगुवाई में पहाड़ी वस्त्रों का फैशन शो लारा लत्ता, गैंणा पत्ता ने कार्यक्रम का आकर्षण कई गुना बढ़ा दिया। मंच पर पौड़ी जिला के चौंदकोट-गंगा सलाण, तल्ला सलाण के परिधान के साथ अंजली नेगी, शैलेन्द्र पटवाल, उत्तरकाशी के भटवाड़ी, भागीरथी, गंगोत्री घाटी के टकनौरी परिधान में सुरक्षा रावत, वंदना सुंद्रियाल, चमोली के भोटिया परिधान में किशन महिपाल, भरत सिंह, कुमाऊंनी दानपुरा के परिधान में सोहन चौहान, नीलम तोमर थापा, पिथौरागढ़, धारचुला, दारमा, व्यास, चौंदास की जनजाति परिधान में सुबोध कुटियाल, रंजू रौतेला, जौनसारी परिधान व आभूषणों का प्रदर्शन रितिक, शिवांगी, सुरेन्द्र आर्यन ने किया।
पहाड़ के लोकनृत्य, वाद्ययंत्र के अलावा भूले बिसरे गीत का अनोखा प्रदर्शन
पहाड़ के लोकनृत्य, वाद्ययंत्र के अलावा भूले बिसरे गीत का प्रदर्शन दिन भर हुआ। इसमें महेश राम जागरिया और साथियों ने छोलिया, भगनौल, न्यौली, छपेली और गंगनाथ जागर की प्रस्तुति दी। अर्चना सती ने बद्रीनाथ का जागर, खुदेड़ गीत गाया। वर्षा और ऊषा देवी ने पारम्परिक ढोल वादन, माता व भेरु का जागर लगाया। जगेन्द्र शाह ने पैसारा, छूड़े, बाजूबंद, तांदी रासौ, पाडौ नृत्य, प्रेम हिंदवाल व ग्रुप ने भोटिया जनजाति नृत्य, पौंणा, बगड़वाल, मुखौटा नृत्य पेश किया। दिव्यांग कलाकार रोशन लाल ने जागर, बाजूबंद, पवांडे की प्रस्तुति दी।
फूड कार्नर में मंडवे के मोमो समेत अन्य पकवानों के लिए लोगों की भीड़
पहाड़ी उत्पादों के साथ ही पहाड़ी फूड कार्नर के स्टॉल पर लोगों की भीड़ दिन भर जुटी रही। फूड कार्नर में मंडवे के मोमो समेत अन्य पकवानों के लिए लोगों की भीड़ जुटी रही। वहीं पहाड़ी दालों में मसूर, लोबिया, सोयाबीन, उड़द, राजमा की खूब खरीद हुई। पहाड़ी टोपी भी लोगों ने जमकर खरीदी। ये स्टॉल रविवार को भी रहेंगे।
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