अविकल उत्तराखंड/ देहरादून। वन विभाग ने काफी मशक्कत के बाद सहसपुर में गुलदार को पिंजरा लगाकर कैद तो कर लिया लेकिन राज्य के चारों रेस्क्यू सेंटरों में जगह नहीं होने से उसे रखने का संकट खड़ा हो गया है। ढाई-तीन साल के स्वस्थ गुलदार को चार फीट चौड़े, सात फीट लंबे पिंजरे में कैद हुए धीरे-धीरे समय बढ़ रहा है। लेकिन, वन विभाग के पास उसे पिंजरे से निकालने के बारे में कोई जवाब नहीं है। प्रभारी रेंज अधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि गुलदार को गहन निगरानी में रखा गया है। हालांकि, उन्होंने मेडिकल जांच जैसी कोई जानकारी नहीं दी। उनके पास निगरानी में रखने की समय सीमा की भी पुष्ट जानकारी नहीं है। उधर, कालसी वन प्रभाग के डीएफओ अमरेश कुमार का कहना है कि रेस्क्यू सेंटर और चिड़ियाघरों को लेकर अधिकारियों से बात चल रही है।
अभी गुलदार को कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज में रखा गया है। जल्द ही किसी रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा। विशेषज्ञ राजाजी टाइगर रिजर्व से लेकर दून चिड़ियाघर तक अपनी सेवाएं दे चुकीं डॉ. दीप्ति अरोड़ा का कहना है कि स्वस्थ गुलदार के ज्यादा देर पिंजरे में कैद रखना ठीक नहीं है। सबसे बड़ा खतरा उसके पिंजरे में दांत गड़ाने और पंजे मारकर खुद को घायल करने का रहता है। इसके अलावा कमजोर दिल होने के कारण हृदयाघात भी हो सकता है। अगर गुलदार स्वस्थ है तो उसे जल्द पिंजरे से शिफ्ट करना पड़ेगा। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में चार रेस्क्यू सेंटर हैं। इनमें दो कुमाऊं मंडल में हैं। एक कार्बेट नेशनल पार्क की ढेला रेंज और दूसरा अल्मोड़ा जिले में है।
गढ़वाल मंडल में एक रेस्क्यू सेंटर दून चिड़ियाघर और दूसरा चिड़ियापुर, हरिद्वार में है। इनमें पहले से गुलदार हैं। अन्य गुलदार के लिए जगह नहीं है। बाड़े बढ़ाने की मांगी अनुमतिहरिद्वार प्रतिनिधि के मुताबिक, चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में गुलदार रखने के लिए नौ बाड़े हैं और यहां 10 गुलदार रखे गए हैं। जगह नहीं होने पर एक गुलदार को चिकित्सा कक्ष में रखा गया है। दो शावक भी बड़े हो चुके हैं। हालांकि, इन्हें दून जू में शिफ्ट किया जाना है।
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