आरटीआई एक्टिविस्ट ने सरकार को भेजी रिपोर्ट
कैग की रिपोर्ट को सालों तक दबाए रखने का आरोप
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड पेयजल निगम में भारी वित्तीय अनियमितताओं का मामला अब बड़े घोटाले का रूप ले चुका है। आरटीआई एक्टिविस्ट और अधिवक्ता विकेश नेगी के अनुसार, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में 2016 से मई 2025 के बीच निगम की विभिन्न परियोजनाओं में लगभग 2,690 करोड़ 27 लाख की वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। नेगी ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट न केवल गंभीर वित्तीय भ्रष्टाचार का संकेत देती है, बल्कि इसे वर्षों तक जनता और विधानमंडल से छिपाया गया। उन्होंने इस संबंध में शिकायत और दस्तावेज प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजते हुए उच्च स्तरीय जांच और अभियोजन की मांग की है।
सबसे बड़ा सवाल — रिपोर्ट विधानसभा में क्यों नहीं रखी गई?
अधिवक्ता नेगी के अनुसार, कैग की यह रिपोर्ट तीन साल तक सार्वजनिक नहीं की गई और न विधानसभा में प्रस्तुत हुई। उनका आरोप है कि जनता के हक की सबसे महत्वपूर्ण रिपोर्ट को व्यवस्था ने छिपाए रखा, ताकि भ्रष्टाचार उजागर न हो सके।

रिपोर्ट में दर्ज वित्तीय अनियमितताएं
( करोड़ में)
वित्तीय वर्ष अनियमितता
2016-17 92.41
2017-18 ऑडिट नहीं
2018-19 ऑडिट नहीं
2019-20 656.05
2020-21 829.90 (सबसे अधिक)
2021-22 43.48
2022-23 96.99
2023-24 803.00
2024-25 (मई तक) 38.41
कुल कथित अनियमितता : 2,660 करोड़ 27 लाख
कोरोना काल में सबसे ज्यादा अनियमितताएं
सबसे अधिक अनियमितताएं कोरोना काल (2020-21) में दर्ज की गईं— जब पूरा राज्य स्वास्थ्य संसाधनों के लिए जूझ रहा था, उसी समय पेयजल निगम में 829.90 करोड़ का हिसाब संदिग्ध पाया गया।
शिकायत और रिपोर्ट के अनुसार—
- बिना गारंटी ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान
- अधूरे कामों पर बिल पास
- कई ठेकेदारों ने जीएसटी जमा नहीं किया, फिर भी भुगतान
- निर्माण गुणवत्ता पर सवाल, जगह-जगह अधूरी परियोजनाएं
- रॉयल्टी और ब्याज वसूली नहीं
- अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का स्पष्ट संकेत
अधिवक्ता नेगी का कहना है—
यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि योजनाबद्ध आर्थिक नुकसान है। दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए।
घोटाले के मुख्य बिंदु
- कैग रिपोर्ट 3 साल तक छिपाए जाने का आरोप
- कई वर्षों में ऑडिट नहीं हुआ
- कोविड अवधि में सबसे अधिक अनियमितता
- परियोजनाएं अधूरी, भुगतान पूरा
- भ्रष्टाचार में विभागीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
जनता और विपक्ष में चर्चा तेज
मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों, जनता और सोशल मीडिया में इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। कई लोग इसे राज्य का अब तक का सबसे बड़ा जल-संबंधी वित्तीय घोटाला बता रहे हैं। अब निगाहें सरकार और जांच एजेंसियों की अगली कार्रवाई पर हैं।

