महंतों की तुलना ‘कुत्ते’ से करने पर निष्कासन की उठी मांग
अविकल उत्तराखंड
हरिद्वार। कनखल स्थित वात्सल्य गंगा आश्रय आश्रम के उद्घाटन समारोह में साध्वी ऋतंभरा के गुरु और निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर युगपुरुष स्वामी परमानंद सरस्वती द्वारा साधु-संतों की तुलना ‘कुत्तों’ से किए जाने पर संत समाज में तीव्र आक्रोश व्याप्त है।
इस बयान के बाद अखाड़ों और सनातन धर्म से जुड़े साधु-संतों ने इसे समस्त संत परंपरा और भगवा की मर्यादा का अपमान बताया है। उन्होंने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से मांग की है कि स्वामी परमानंद सरस्वती को तत्काल महामंडलेश्वर पद से हटाया जाए और उन्हें निरंजनी अखाड़े से निष्कासित किया जाए।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मंच पर मौजूद साध्वी ऋतंभरा ने इस बयान का प्रतिवाद करने की बजाय उस पर हास्य प्रकट किया, जिससे साधु समाज की पीड़ा और गहराई से उभरी है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी महाराज ने स्वामी परमानंद के इस बयान को निंदनीय बताते हुए कहा कि यह केवल साधु-संतों का नहीं, बल्कि पूरे सनातन धर्म और भगवा की गरिमा का अपमान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि परमानंद सरस्वती का यह आचरण आदि जगतगुरु शंकराचार्य की परंपरा और भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है।
संत समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी आग्रह किया है कि परमानंद सरस्वती को राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के पद से तुरंत हटाया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो संत समाज अयोध्या में राम मंदिर के सामने विरोध-प्रदर्शन करेगा।
अखाड़ा परिषद ने संकेत दिया है कि वह जल्द ही स्वामी परमानंद के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा।

