अविकल उत्तराखंड
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने हरिद्वार के ग्राम सुनहरा में लगभग 50 करोड़ रुपये की भूमि घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए भूमि हड़पने के इस मामले में एसटीएफ ने जिन दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है, वे आईजी कार्यालय में विशेष कृपा या मौखिक आदेश पर तैनात थे, जिससे आईजी कार्यालय की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है।
रघुनाथ सिंह ने कहा कि सरकार को गिरफ्तार दोनों पुलिसकर्मियों का नार्को टेस्ट कराने की कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उनके पीछे कौन से प्रभावशाली लोग हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इन पुलिसकर्मियों को हरिद्वार में तैनात कराने और आईजी कार्यालय में आयात करने की सिफारिश किसने की थी।
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि छोटी मछलियों को तो पकड़ा गया, लेकिन बड़े मगरमच्छों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि आईजी राजीव स्वरूप का संरक्षण इन पुलिसकर्मियों को प्राप्त था और संभव है कि घोटाला उनके इशारे पर ही हुआ हो। उन्होंने यह भी कहा कि पार्षदों, गैंगस्टरों और पुलिसकर्मियों के गठजोड़ की कॉल डिटेल जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनता अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए पुलिस पर भरोसा करती है, लेकिन जब पुलिस ही भक्षक बन जाए तो यह गंभीर स्थिति है।
मोर्चा ने सरकार से मांग की कि न्याय के हित में आईजी राजीव स्वरूप को पदमुक्त कर नार्को टेस्ट की कार्रवाई की जाए, अन्यथा मोर्चा आंदोलन के लिए विवश होगा।

