अनुभवहीन कंपनियों को शामिल कर यात्रियों की जान जोखिम में डाली गई
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हरिद्वार मनसा देवी रोपवे का टेंडर मामला राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण है। यह दर्शाता है कि भ्रष्ट तंत्र लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं हिचकिचाता।
आर्य ने बताया कि हरिद्वार नगर निगम ने रोपवे के संचालन और रखरखाव के लिए एक टेंडर जारी किया था, जिसमें केवल रोपवे संचालन का अनुभव रखने वाली कंपनियों को ही शामिल किया गया था। लेकिन बाद में इस टेंडर में चुपचाप बदलाव कर दिए गए और पात्रता मानदंडों को इस तरह संशोधित किया गया कि सड़क, पुल, अस्पताल और टेलीकॉम जैसी असंबंधित सेवाओं से जुड़ी कंपनियों को भी बोली में शामिल कर लिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह बदलाव नगर आयुक्त नंदन कुमार द्वारा नगर निगम बोर्ड की मंजूरी के बिना किए गए, जिससे पारदर्शिता और प्रक्रियागत शुचिता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। रोपवे जैसे तकनीकी और जोखिम भरे क्षेत्र में अनुभवहीन कंपनियों की भागीदारी यात्रियों की सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ है।
आर्य ने बताया कि इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। अदालत ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए संशोधित टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी और इसे “मानव जीवन से खिलवाड़” करार दिया।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि 44 वर्षों से रोपवे का संचालन कर रही अनुभवी कंपनी को टेंडर से बाहर कर सड़क और टेलीकॉम जैसी असंबंधित कंपनियों को क्यों शामिल किया गया? ऐसी प्रक्रिया की जिम्मेदारी किसकी है, और यदि न्यायालय समय रहते हस्तक्षेप न करता तो संभावित हादसों की जवाबदेही कौन लेता?
नेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि सरकार इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष व विस्तृत जांच कराए ताकि दोषियों की जवाबदेही तय हो और भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जाए।

