दल बदलुओं और पैराशूट के भरोसे भाजपा-कांग्रेस
आग में चार वनकर्मियों की मौत पर जवाब दे सरकार-कांग्रेस
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। कांग्रेस ने वनाग्नि, उद्यान घोटाले और उपचुनाव के मुद्दे पर भाजपा सरकार को जमकर घेरा। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस वार्ता के जरिये सरकार की नाकामी गिनाईं।
वनाग्नि
दसौनी ने कहा कि जंगल की आग में कई वनकर्मियों की और स्थानीय लोगों की मौतें हो गई पर फिर भी सरकार और प्रशासन का दिल नहीं पिघला। दसौनी ने कहा कि बीते रोज अल्मोड़ा बिनसर में चार वन कर्मियों की मौत कोई स्वाभाविक मौतें नहीं हैं बल्कि सिस्टम के द्वारा की गई हत्या है।
दसौनी ने कहा कि विभाग को यह जानकारी तक न होना कि आग बुझाने के लिए आठ कर्मचारी गए थे या नौ । उन कर्मचारियों की गाड़ी में सिर्फ एक गैलन पानी का होना और इन वन कर्मियों के पास आग बुझाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं और इक्विपमेंट का ना होना विभाग की संवेदनशीलता और उदासीनता को दर्शाता है। दसौनी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 10 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा तो की है पर क्या 10 लाख रुपए में 35 वर्षीय दीवान राम 56 वर्षीय त्रिलोक मेहता 50 वर्षीय पुराण मेहरा और 21 वर्षीय करन आर्य जैसे अपने परिवारों के कमाऊ पूत लौटा पाएंगे ?
दसौनी ने कहा कि कितनी बड़ी विडंबना है कि प्रदेश की जनता बार-बार भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत की सरकार और पांचो सांसद देने का काम कर रही है लेकिन अल्मोड़ा जैसे जिले में एक बर्न वार्ड तक नहीं है ?महिला अस्पताल ,बेस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद ,9 सीएचसी और 6 पीएचसी सेंटर होने के बावजूद बर्न आईसीयू नहीं है
उद्यान घोटाला
दसोनी ने कहा कि एक ऐसी कंपनी अर्निका ट्रेडर्स जिसका अक्टूबर 2022 तक कोई अस्तित्व ही नहीं था उसका इतिहास और अनुभव जांचे बिना 5 जनवरी 2023 को उद्यान विभाग द्वारा उसे लाइसेंस दे दिया जाता है ।नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों की बंदर बांट कर दी गई।
हिमाचल की तर्ज पर बागवानी को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को शुरू तो किया गया परंतु मानक पूरे ना होने के बावजूद ,न सिर्फ सप्लाई के काम का लाइसेंस बल्कि महंगी दरों पर पौधा खरीद में भी विभागीय संलिप्तता पूरी तरह से रही है उन्होंने कहा कि ₹150 का पौधा ₹400 में खरीदा गया, बिना किसी नियम के कंपनी को लाभान्वित किया गया। दसौनी ने कहा कि विभागीय मंत्री अब कितना ही भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया और जीरो टॉलरेंस की बात करें परंतु हकीकत यह है कि इस पूरे घोटाले में मंत्री की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है।
उच्च न्यायालय के सख्त रवैये के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया गया। विभाग लगातार सीबीआई जांच से बचता रहा और उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी।दसौनी ने कहा कि गणेश जोशी बताएं यदि वह भ्रष्टाचार पर नकेल कसना चाहते थे और आरोपियों को सजा दिलवाना चाहते थे तो सीबीआई जांच न होने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का जोर क्यों लगाया?
दसौनी ने कहा की सुप्रीम कोर्ट में उद्यान विभाग ने मुंह की खाई और विभाग की एसएलपी को खारिज कर दिया गया, देहरादून की ही एक महिला उद्यान अधिकारी के द्वारा उत्तरकाशी के एक नर्सरी संचालक अनिल रावत को 3 करोड़ 28 लाख की पेमेंट बिना विभागीय निदेशक की अनुमति से कर दी गई।
2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कभी सेब महोत्सव के नाम पर तो कभी मशरूम कभी दाल और मसलों के महोत्सव आयोजित कराए गए जिसमें कुल खर्च जहां 22 से 23 करोड़ होना चाहिए था वही खर्चा 67से 68 करोड़ दिखा कर विभाग को चूना लगाया गया। उन्हीं दिनों बावेजा के घर पर 10 लाख रुपए और दफ्तर में 14 लाख रुपए का सौंदर्यकरण किया गया।
सवाल ये उठता है कि इतने बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने के बावजूद सरकार के हाथ आखिर किसने बांध रखे हैं?
और तो और इसी उद्यान घोटाले में भाजपा विधायक के भाई का नाम भी प्रमुखता से आया है।
उपचुनाव
दसौनी ने भारतीय जनता पार्टी पर मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी के इतने बुरे दिन आ गए हैं कि जिन दो सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें उसे अपना कोई निष्ठावान कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नजर नहीं आ रहा है।
दसौनी ने कहा कि मंगलौर से जिस व्यक्ति करतार सिंह भड़ाना को भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है वह कांग्रेस के टिकट पर हरियाणा से चुनाव लड़ चुका है।
उत्तर प्रदेश में आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुका है बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुका है और अब भाजपा ऐसे दल बदलू पैराशूट व्यक्ति पर अपने समर्पित कार्यकर्ता को नजर अंदाज कर दांव खेलना चाह रही है। इससे भारतीय जनता पार्टी की मंगलौर में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर बद्रीनाथ से भी सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली पार्टी के पास अपना कोई कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नहीं मिल पाया।
गरिमा ने कहा की एक ऐसा व्यक्ति जो बमुश्किल दो महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुआ है और जिसे बद्रीनाथ की जनता ने कांग्रेस के टिकट पर विधायक के रूप में विजयी बनाया परन्तु उसने न सिर्फ बद्रीनाथ की जनता के जनादेश का अपमान किया बल्कि मां समान कांग्रेस पार्टी के सीने में भी खंजर भौंकने का काम किया।
अपने जमीनी कार्यकर्ताओं का दोहन करने वाली भाजपा, टिकट देते समय विपक्षी दलों के नेताओं पर अधिक भरोसा जताती है।
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